दास्तान इश्क़ की (भाग – 3) – अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा…
राधिका और कावेरी कॉलेज में फॉर्म जमा करने जाती है… वहाँ उनकी लडाई दो तीन लड़को से हो जाती है राधिका के घर उसके ताऊजी आते है
अब आगे……
गार्ड्स ने डोर बेल बजायी तो अंदर से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी….. देवेंद्रजी को दरवाज़े पर देख कर उस शक़्स ने मुस्कुराते हुए झुक कर उनके पैर छुए ….
“खुश रहिए कुंवर आदित्य देवेंद्र जी ने कहा…
कैसे हैं आप?
जी बिल्कुल ठीक है…
भुवन जी आप ?
“बस कृपा है आपकी भुवन ने हाथ जोड़ते हुए कहा “
“आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुयी “?
जी नहीं….
आइए….और देवेंद्र जी खुद आगे चलने लगे
आदित्य और भुवन उनके पीछे….
देवेंद्र जी ने उनको न कमरे में बिठाया और बोले “आप बैठे हम अभी आते है”
आदित्य बैठे हुए कमरे को देख रहा था …. उसकी नज़र कोने में रखी हुयी तस्वीर पर गयी…. वो अपनी जगह से उठा और उस तस्वीर कि तरफ बढ़ा… वो तस्वीर सुरेंद्र जी की थी… आदित्य ने उस तस्वीर को छुआ और अपने हाथ जोड़ लिए…
कुंवर आदित्य …शीतल ने पुकारा… आदित्य मुस्कुराते हुए उनकी तरफ घूमा और आगे बढ़ कर उनके भी पैर छुए…
कैसे है आप?
हम ठीक है आप?
हम भी ठीक हैं … बैठे
आदित्य वही सोफे पर बैठ गया
भुवनआप कैसे है ?
जी ठीक है
तभी देवेंद्र जी राधिका के साथ कमरे में आए…..
आदित्य राधिका का देख कर अपनी जगह से उठ गया…
देवेंद्र जी ने राधिका से कहा… ये कुंवर आदित्य है
राधिका ने हैलो बोला तो आदित्य ने हाथ जोड़ कर उसको जवाब दिया… राधिका ने भी अपने हाथों को जोड़ कर थोड़ा सा सिर झुका कर उसका जवाब दिया
आदित्य ने भुवन की तरफ देखा तो भुवन उनकी बात को समझते हुए बोला….” ले आओ सब अंदर “
भुवन के इतना कहने पर तीन लोग आए और बड़े से थाल जो कि कपड़े से ढ़के हुए थे टेबल पर रखा कर चले गए |
शीतल और देवेंद्र जी एक दूसरे की तरफ देख रहे थे और राधिका टेबल पर रखे हुए उनके थालो का हैरानी से देख रही थी उसने पूछा ये सब? “
तभी आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा ” शगुन हैं….. शादी के लिए
“शादी ?? किसकी शादी? ” राधिका ने पूछा
आदित्य ने कहा – “आपकी और हमारी ….हमारे घर में अब कोई बड़ा है नही तो हम आए हैं आपके लिए ये लेकर “
इतना सुनते ही राधिका झटके से खड़ी हुयी और गुस्से में बोली ” मैं आपको जानती नहीं… है कौन आप.. और ये शादी क्या मज़ाक है?? अभी इसी वक़्त मेरे घर से बाहर जाए आप… निकलिए
राधिका …..शीतल ने कहा
क्या माँ….ये है कौन? और ताऊजी आपने इनको अंदर कैसे आने दिया…ये क्या बेकार की बातें कर रहे है??
राधिका की आवाज़ कुछ ज़्यादा ही ऊँची हो गयी थी अभी जो लोग थाल रख कर गए थे…. आवाज़ सुनकर अंदर आ गए और उन्होंने गन पॉइंट की…
आदित्य ने देखा तो भुवन को कहा -” ये क्या है…??.. अरे हम कर लेंगे इनसे बात हटाओ इन सबको यहाँ से …
भुवन ने उनको इशारे से जाने को कहा तो वो लोग चले गए
आदित्य ने राधिका की तरफ देखा और बोला – आपके तेवर हमें पसंद आए…… वो उठा और मुस्कुरा कर आगे बोला..शायद आपके ताऊजी ने और आपकी माँ ने आपको अभी तक बताया नहीं कि आपकी और हमारी शादी होने वाली है….. ऐसा कह कर उसने देवेंद्र जी और शीतल की तरफ देखा तो उन्होंने नजरें नीची कर ली
राधिका ये देख कर बोली… “ताऊजी, माँ ये क्या बोले जा रहे है? कोई कुछ बताएगा??”
आदित्य ने कहा ” हम चलते है बाक़ी आप बता दें इनको….
हम पंडित जी से पूछ कर महूर्त निकलवा कर फोन करेंगे …..कह कर आदित्य ने उनको हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और तेज़ कदमों से बाहर निकल गया… भुवन भी उसके पीछे बाहर निकल गया
ड्राइवर ने आदित्य को आते देखा तो जल्दी से कार का दरवाज़ा खोला… आदित्य उसमें बैठा और भुवन से बोला… कुछ लोगो का यहाँ रहने दो नज़र रखे लेकिन उनको पता नही चलना चाहिए…
जी ….कहकर भुवन ने अपना फोन निकला एक नंबर डायल किया…. उधर से एक ही रिंग में किसी ने फोन उठा लिया….
“जी सर बोलें “
भुवन ने कहा एक घर का एड्रेस भेज रहे है नज़र रखे उस पर लेकिन किसी को पता ना चले
ठीक है सर
कॉल कट करके भुवन गाड़ी में बैठ गया और ड्राइवर को चलने के बोला
उधर राधिका गुस्से भरी नज़रों से देवेंद्र जी और शीतल को देखा…. देवेंद्र जी ने उसकी तरफ देखा और फिर शीतल की तरफ…. शीतल ने कहा – राधिका शांत हो जाओ
शांत…कैसे शांत हो जाऊँ मैं माँ …. ये सब होने के बाद भी आप बोल रहीं हैं कि मैं शांत हो जाऊँ…… और क्या है ये सब शादी ….. शादी कहाँ से आ गयी ….
उसने फिर देवेंद्र जी कि तरफ देखते हुए कहा -” ताऊजी आपने तो कहा था कि मैं जब तक अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर लेती और जो बनना चाहूँ नहीं बन जाती तब तक ये शादी की बात नही होगी आप तो जानते हैं कि हम प्रॉफ्रेसर बनना चाहते हैं …. आज ही तो हम एम. ए. का फॉर्म जमा करके आए है और ये सब??
देवेंद्र जी ने कहा “- लाडो…. हम आपका बताने वाले थे लेकिन बस समय नही मिल रहा था “
“तो कब मिलता आपको समय जब शादी हो जाती ….जिस तरह ये हमारे घर में घुस आए वो भी शगुन लेकर … उस तर शादी हो जाती तब मिलता आपको समय… उसके आँखों से आँसू बह निकले “
आप दोनों ने हमें क्यों नहीं बताया क्यों क्यूँ?? कहते हुए वो रो पड़ी ….थोड़ा रुक कर वो बोली – ” हम नहीं करेंगे शादी चाहे जो हो जाए .. और ये इंसान मेरे घर में दोबारा ना दिखे…. वरना मैं मुह तोड़ दूँगी इसका … कह दे आप उनसे वरना मुझे दे नंबर इनका मैं खुद बोल दूँगी….
राधिका ने कहा और तेज़ कदमों से चलती हुयी अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी…. उसने दरवाज़ा बन्द किया और अपने बेड पर जाकर लेट गयी उसकी आँखों से आँसू बह कर तकिये को भिगो रहे थे
बाहर देवेंद्र जी राधिका के जाने के बाद सोफे पर बैठ गए
“अब क्या करें भाईसाहब” ? शीतल ने कहा
“कभी ना कभी तो ये होना ही था… सुरेंद्र तो चला गया ये सब करके… वो होता तो बात संभाल लेता लेकिन…. खैर थोड़ा वक़्त दो उसको बात करते है
“वक़्त ही तो नहीं है भाईसाहब वक़्त का इंतज़ार करते -करते इतने साल बीत गए और आज ये हो गया
अब तो राधिका पता नही क्या करेगी..? और कुंवर ने उधर डेट बता दी तो हम कुछ नहीं कर पायेंगे अभी ही बात करनी होगी
रुको मैं बात करता हूँ उस से… कह कर देवेंद्र जी उठे और राधिका के कमरे की तरफ गए…. उन्होंने वहाँ पहुँच कर दरवाज़े को खटखटाया….. लाडो दरवाज़ा खोलो
अंदर से कोई आवाज़ नहीं आयी उन्होंने फिर पुकारा….. लाडो खोलो दरवाज़ा हमें आपसे बात करनी
कोई बात नहीं करनी हमें ताऊजी…और ना ही हम ये शादी करेंगे
लाडो सुनो तो आपके पापा ये शादी तय कर के गए थे…… और कुंवर आदित्य बहुत अच्छे हैं….. आप सुने तो एक बार अपने पापा की ख़ातिर …..
उनके इतना कहने पर राधिका ने दरवाज़ा खोल दिया और साइड हो गयी…… देवेंद्र जी और शीतल दोनों उसके कमरे में आ गए…. राधिका कि आँखों में अभी भी आँसू थे…. शीतल ने उसे गले से लगाया और अपने साथ बिठाया …..
देवेंद्र जी उसके सामने कुर्सी लेकर बैठ गए और उसके दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर बोले – ” लाडो हम आपको बताने वाले थे सब…. लेकिन समय नहीं मिला या कहें कि बता नही पा रहे थे….. राधिका ने आँसू भरी नज़रों से उनकी तरफ देखा
“ऐसे मत देखें हमें हम ऐसे रोते हुए आपको नहीं देख सकते ….आप सुनें फिर फैसला करेंगे…….. देवेंद्र जी ने सांस भरी और बोले………
सोनपुर आपने नाम तो सुना ही होगा ….हरा -भरा गाँव था हमारा सब लोग मिलजुल कर रहते थे एक का दुख पुरे गाँव का दुःख और एक का सुख पूरे गाँव का सुख…..2001 की बात है जब आप 6 महीने की थी……. हमारे गाँव पर नक्सलियों का हमला हुआ…. उन्होंने लूट- पाट तो की ही साथ में घरों को जलाना भी शुरू कर दिया…..हम वहाँ के सरपंच थे उस वक़्त… हमला रात को हुआ चारों तरफ से गोलियों की आवाज़े गूँज रहीं थी
बिजली के तार उन्होंने काट दिए चारों तरफ भगदड़ मच गयी शोर सुनकर हमलोग बाहर आए तो देखा….. आग लगी हुयी है गोलियों की आवाज़े आ रही हैं….तब इतने मोबाइल नही थे सुरेंद्र ने फोन करने के लिए उठाया तो वो भी नही चल रहा… क्या करें क्या ना करें कुछ भी समझ में नही आ रहा था…. हम लोग घर के पीछे वाले दरवाजे से निकले और किसी तरह छुपते हुए और कुछ गाँव के लोगो के साथ भागते हुए आगे बढ़े जा रहे थे… आप हमारी गोदी में थी और सुरेंद्र शीतल का हाथ पकड़ कर भाग रहा था…. शायद हमारी किस्मत अच्छी थी रास्ते में हमें जीप आती हुयी दिखायी दी…. पहले तो हमें लगा कि ये लोग उन्ही नक्सलियों में से एक होंगे…. हम लोग रुक गए थोड़ा और पास आने पर देखा तो उदय ठाकुर थे और कुछ लोग … हमारी जान में जान आयी.. उदय ठाकुर… किशनगढ़ के सरपंच थे जो कि हमारे गाँव से थोड़ी दूरी पर था उनके साथ और जीप भी थी…… वो जीप से उतरे उन्होंने जल्दी से हम सबको जीप में बैठने को बोला…. हम लोग बस उनकी जीप में बैठ गए…. ठाकुर साहब ने कहा अभी चलो बाक़ी बाद में बात करेंगे….. जीप उसी रास्ते से दौड़ती हुयी थोड़ी ही देर में सड़क पर आ गयी….. पर इतनी भी अच्छी नहीं थी हमारी किस्मत…… जीप के सड़क पर आते ही गोलियां चलने लगी हम सबके चेहरे पर हवाइयाँ उडी हुयी थी…..सुरेंद्र पीछे बैठा था और हम आपको लिए हुए आगे …. ठाकुर साहब से जीप को जंगल की तरफ ले जाने को बोला….. लेकिन तब तक एक गोली आ कर सुरेंद्र की सीने पर लग गयी लग गयी….. जीप स्पीड में थी और रास्ता कच्चा…… सुरेंद्र के खून बहने लगा हम सब डर गए… अब क्या करें…. रात अंधेरी और कुछ दिखायी भी नहीं दे रहा था….. थोड़ा दूर आने पर जीप को रोका उदय ठाकुर जल्दी से उतरे और सुरेंद्र को देखने लगे ….. सुरेंद्र कुछ नहीं होगा आपको आप बस थोड़ा हौसला रखे….. सुरेंद्र की आँखे बंद होने लगी थी वो लड़खड़ती हुयी आवाज़ में बोला…. ठाकुर साहब एक वादा करेंगे……हम आपसे कहना चाहते थे कि क्या आप कुंवर आदित्य की शादी राधिका से करेंगे
ठाकुर साहब की आँखों में आँसू थे उन्होंने सिर हिला कर हाँ बोला….. सुरेंद्र ने कहा
मेरे जाने के बाद राधिका को आप संभाल लेना
ठाकुर साहब ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया…….
शीतल….सुरेंद्र ने सांस भरते हुए कहा … शीतल रोए जा रही थी… रो मत शीतल
भईया आप भी वादा करिए कि राधिका को पिता की कमी महसूस नहीं होने देंगें
मैंने उसके हाथ पर हाथ रखा और सुरेंद्र ने अंतिम सांस ली |
“लाडो ये वादा सुरेंद्र ने किया था….. हम ठाकुर साहब से बीच बीच में मिलते रहे अभी 1 साल पहले ही ठाकुर साहब इस दुनियां से चले गए और जाते वक़्त आदित्य को अपनी इच्छा बता कर गए…..जब हम उनके अंतिम संस्कार के लिए गए थे तब आदित्य ने हमें बताया कि ठाकुर साहब और सुरेंद्र अंकल की इच्छा को हम ज़रूर पूरा करेंगे | अब एक साल हो गया तो कुंवर आदित्य इसलिए आए थे |
राधिका ने सब सुना वो उठ कर खड़ी हुयी और बोली… ताऊजी ये बातें बहुत पहले की है और अब ऐसा नही होता ….हाँ पापा की बात का मैं मान रखती हूँ …लेकिन शादी मैं नहीं करूँगी और ऐसा कोई कानून नही है ..
जिस बात का कोई प्रमाण ही नहीं है… उस बात को मैं नही मानती….. और ये कोई पुराना ज़माना नही है जब बचपन में शादियाँ तय होती थी …..कौन से ज़माने में जी रहे हैं आपसब और कुंवर आदित्य ….
आप उनको मना कर दें और जो भी सामान उन्होंने भेजा है वापस कर दें |
राधिका ऐसा नहीं कहते बेटा तुम गलत समझ रही हो – शीतल ने कहा
“माँ मुझे कुछ नहीं सुनना ये मेरा फैसला है… ताऊजी ने कहा ना की फैसला मेरा होगा”
देवेंद्र जी और शीतल राधिका की बात सुनकर कमरे से बाहर निकल आए
तभी उनका फोन बजा आदित्य का फोन था
हैलो …
देवेंद्र जी ने कहा
प्रणाम ताऊजी…. पंडित जी ने दो दिन बाद का महूर्त निकाला है शादी का आप बता दें कि ठीक है या नही?
देवेंद्र जी ने कहा… कुंवर आदित्य वो बात ऐसी है कि राधिका आपसे शादी नहीं करना चाहती…
“आपने सब बताया उनको “?
जी …सब बता दिया है
ठीक है… प्रणाम
आदित्य ने कह कर फोन रख दिया ………और आवाज़ लगाई भुवन….
अगला भाग बहुत जल्द
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर

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