दीदी, माँ तो तुम्हारी भी है ना – मीनाक्षी सिंह  : Moral stories in hindi

हेलो रीना दी …. हां बोल रोशन….. माँ की तबियत अचानक से फिर बिगड़ने लगी है … छोटा भाई रोशन बोला… ओह…. तो डॉक्टर को दिखाया नहीं क्या तूने?? रीना घबराती हुई बोली…. दी… होस्पिटल में ही हूँ….. डॉक्टर कह रहे है अब ऑपेरेशन ही करना पड़ेगा….. कीमो होगी फिर से माँ की…….. रोशन रोते हुए बोला…… कौन सी बड़ी बात है … करा ले ऑपेरेशन….. मैं आ जाऊँगी,, कल परसो में… अभी दो पेपर रह गये है बच्चों के… पेपर होते ही मैं और तेरे जीजा जी आ ज़ायेंगे … जब तक तू ईलाज कराता रह …. रीना बोली….. दी अगर मैँ ही ईलाज करा लेता माँ का ,,तो आपको फ़ोन ही क्यूँ  करता…… इससे पहले भी कई बार एडमिट करा चुका हूँ…. आपको तब खबर करता हूँ जब माँ की सेहत में कुछ सुधार हो जाता है …

रोशन रोष में बोला.. तो अबकि क्यूँ कर दिया पहले फ़ोन ?? रीना बोली…. दी…. आप तो जानते हो ज़ितना पैसा था मुझ पर … सब लगा  दिया मैने माँ पर… बच्चों को भी प्राईवेट स्कूल से निकालकर सरकारी में डाल दिया है ….. खेत भी बेच दिये… माँ के ईलाज के लिये कितनी बार कम्पनी से छुट्टी लेने की वजह से कितनी नौकरी से निकाला गया… अभी जहां हूँ वहां सैलरी भी बहुत कम है …. रोशन बोला….. तो इतनी रामायण क्यूँ सुना रहा है …. पैसे चाहिए ?? सीधा सीधा बोल… हां दी…. रोशन को दी की बात बोलने का तरीका  बुरा  लगा ……

ठीक है दस हजार है मेरे पास…… भेज देती हूँ…. अगर ज्यादा भेजूँगी तो तेरे जीजाजी से मांगने पड़ेंगे…… वो भी क्या सोचेंगे कि मेरे भाई पर इतने पैसे भी नहीं कि अपनी जन्म देने वाली माँ का ईलाज ना करा पायें …..

रीना धीरे से बोली.. रोशन को रीना की बात से धक्का सा लगा… वो सोचा क्या मुझे ही जन्म दिया है माँ ने…… वो थोड़ी देर शांत होने के बाद बोला….. दी थोड़े बहुत पैसों की ज़रूरत होती तो मैं आपसे कहता ही क्यूँ …… पूरे दस लाख बोले है डॉक्टर ने….. आगे कितना लगे पता नहीं….. रोशन बोला….

रोशन समझदारी से काम ले… माँ का कैंसर लास्ट स्टेज पर है … बचना बहुत मुश्किल है उनका… डॉक्टर ने पहले भी कहा था उन्हे घर ले जाओ…. बचा हुआ पैसा बचाकर रखो… कोई फायदा नहीं….. तू घर ही ले जा माँ को….. सबको देखकर कुछ दिन परिवार वालों के संग गुजार लेंगी….. रीना बोली…. रोशन सगी बहन के मुंह से यह सुन स्तब्ध रह गया…. दी आप रहने दो…. आप पेपर करवाइये बच्चों के……मैं इंतजाम कर  लूँगा …… रोशन ने इतना बोल फ़ोन दिया …… रीना भी अपने कामों में व्यस्त हो गयी….

चार दिन बाद फुरसत मिलने पर कहने को घर की बेटी रीना अपने पति के साथ मायके आयी….. उसने दरवाजा खटखटाया …. कोई दरवाजे पर आया… जी कहिये आप कौन ?? जी यहां तो मेरी माँ सावित्रीदेवी  भाई, भाभी , उनके बच्चे रहते थे ना ?? रीना आश्चर्य से बोली….. जी वो तो अब सामने वाले घर में किराये पर रहने लगे है …. ये घर तो उन्होने परसो बेच दिया है … मालिक ने हमें किराये पर दिया है …. बड़ी मजबूरी में बेचा बेचारे लड़के ने… उसकी माँ बहुत बीमार है ….. ज़िन्दगी और मौत से लड़ रही है ….

बड़ा तरस आता है उन लोगों को देखकर…. पास पड़ोस के लोग भी ज़ितनी बन रही है , मदद कर रहे है ….. वो आदमी बोला…… आप सामने वो जो पीला घर है , वहां चली जाईये….. वो आदमी बोला…. तुमने बताया नहीं रीना एक बार भी कि तुम्हारी माँ इतनी बीमार है…. घर तक बिक गया है तुम्हारा….. रीना के पति विमल बोले….. जी मुझे भी नहीं पता था …. रीना को रोशन पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि उसने अपनी बहन की नाक कटा दी…… दोनों पति पत्नी तेज कदमों से सामने वाले पीले घर में आ गये….

दरवाजा खटखटाया …. भाभी ने दरवाजा खोला….. वो कुछ नहीं बोली…. पैर छूकर अंदर चली गयी….. सामने वाले ज़र्जर से कमरे में बेड पर रीना की माँ लेटी थी …….. पास में ही रोशन माँ की दवाई घोल रहा था ….. रीना को देख रोशन से मुंह फेर लिया….. रीना की माँ रीना को देख बोली….. अब क्यूँ आयी है बिटिया … का ज़रूरत थी …. घर के काम देखती….. यहां तो मेरा असली परिवार मौजूद ही है …. माँ  खांसती हुई बोली…. तो क्या मैँ आपके असली परिवार की सदस्य नहीं माँ….. आप ऐसे बोल रहे हो……

रीना गुस्से में बोली…. बिटिया …… अगर तू परिवार की होती तो अपने भाई के पैसे मांगने पर दे देती…. मैने कहां तो था माँ पैसों की?? हां वो दस हजार रूपये की……. तुझे 20 लाख दहेज देकर विदा किया… तूने जो मांगा वो दिया ब्याह में तेरे….. अपने रोशन से छिपकर तेरे खाते में ना जाने कितने लाखों भेज दिये होंगे….. हर बार 50000 से कम खर्चा कराकर नहीं जाती थी तू …. उसी के  कर्मों का फल शायद मैं भुगत रही हूँ…. अंत में वो रोड के किनारे का प्लोट भी तूने ज़िद करके ले लिया……. कि रोशन अकेला लड़का है तो मैँ भी तो अकेली बेटी हूँ…

उसके नाम घर है तो प्लोट मुझे दो….. देख मेरे रोशन ने तो मेरे लिए अपना घर भी बेच दिया… पर क्या तेरा मन नहीं पसीजा…. प्लोट तो बहुत महंगा होगा… थोड़ा ही दे देती तो भी तेरा ना घटता … सच में बेटी परायी होती है …. वैसे तो जीने की आश नहीं बची … मैँ तो रोशन से भी मना करती हूँ…. अपना काम देख…. मेरी फिकर मत कर …. कोई खर्च मत कर मुझ पर …. पर बांवरा मेरी अंतिम सांस तक लगा रहेगा ….. मानता ही नहीं… ज़रा सी हीचकी भी लेती हूँ तो भागा आता है…… माँ बोलती जा रही थी …. माँ तुम ज्यादा मत बोलो…. सांस उखड़ जायेगी….. रोशन माँ को पानी पिलाने लगा…..

ये तो बेटे का ही फर्ज होता है माँ…. इतना  तो हर माँ बाप करते हैं अपनी बेटी के लिये ….. तुमने कुछ नया नहीं किया…. मुझ पर किये का एहसान दिखा रही हो तुम माँ….. वो भी अपने दामाद के सामने…. रीना आग बबूला हो रही थी ….. रीना तुमने तो कहा था कि तुम शादी से पहले जॉब करती थी वही  पैसे है तुम्हारे अकाऊंट में…. और ये प्लोट का भी तुमने बोला कि रोशन अच्छे पैसे कमाता है …. उस पर किसी चीज की कमी नहीं… ऐसलिये माँ ने तुम्हे दे दिया था प्लोट …. तुमने हर बात झूठ बोली मुझसे……

रीना के पति विमल के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी थी ये सब सुन…… जी माँ पर अब पैसे नहीं है तो ऐसा बोल रही है …… ये सच नहीं है ….. सच तो मुझे दिख रहा है रीना… तुम्हारी माँ की क्या हालत हो रखी है ….. घर तक बेचना पड़ा है इन लोगों को….. तुम बहुत ही पत्थर दिल बेटी हो…. जो अपनी जन्म दी  हुई माँ का उन पर दिया हुआ ही खर्च नहीं कर सकती…. वो अपने बच्चों और पति की क्या होगी…….. माँ जी मुझे माफ कर दीजिये … मुझे  इन सब बातों की बिलकुल जानकारी नहीं थी …..

सोचा दामाद हूँ ज्यादा दखलंदाजी ससुराल में करना ठीक नहीं…… रोशन माफ कर देना अपने जीजा को… तुम्हे घर बेचना पड़ा इसके लिये बहुत शर्मिन्दा  हूँ ….जितने पैसे और चाहिए बता देना….. विमल बोले…. जीजा जी अब नहीं चाहिए… अब तो आ गये है पैसे….. रोशन बोला… माँ जी वैसे तो मैँ इसे (रीना) को अपने साथ नहीं ले जाना चाहता…. पर आप पर एक और बोझ बढ़ जायेगा….. और भी पता नहीं जो बचा है वो भी ना ले जायें आपसे… ऐसलिये ले जा रहा हूँ…. पर अब इससे मेरा कोई रिश्ता नहीं….

दामाद जी गुस्से में बोले….. नहीं जी… ऐसा ना करो दामाद जी… समझ जायेगी…. हाथ जोड़ू  हूँ तुम्हारे… किसी जन्म के अच्छे कर्म होंगे तो हीरा जैसा दामाद मिला….. माँ बोली…. रीना पश्चाताप के आंसू बहाये जा रही थी …. विमल जी नमस्ते कर बाहर की ओर चले गये… जीजा जी…..दीदी….. चाय तो पी लेते… पीछे से बहु चाय लेकर आयी…. रीना भी अपनी माँ के हाथ ज़ोड़ अपने पति के पीछे चल पड़ी थी …. आज के ज़माने में कोई माँ सोच रही है कि बाप की सम्पत्ति पर बेटी का भी बराबर का अधिकार है तो ठीक है बाप का कर्ज भी बेटी चुकाये …

उनकी सेवा भी बेटी करे ज़ितना बेटों को करने को कहा जाता है …. ज़रूरत पड़ने पर अपने खाते भी खाली करे माँ बाप के लिये ….. बराबरी करनी है तो हर चीज में करो…. कुछ माँ बाप की सम्पत्ति अपने नाम कराती हैं ….. अगर आपको बेटे पर विश्वास नहीं तो बहु को क्या अपनाओगे … कड़वा है मगर सच है …… मौलिक अप्रकाशित मीनाक्षी सिंह आगरा

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