धिक्कार !! – स्वाति जैन : Moral stories in hindi

क्या दादाजी नहीं रहे ?? यह सुनकर मिहिर के हाथ से फोन बेड़ पर गिर गया !! भारत से आए इस कॉल ने मिहिर को हिला कर रख दिया !! बहुत प्यार करता था मिहिर अपने दादाजी से !!

मिहिर जब अपनी पढ़ाई के लिए विदेश आने वाला था उसके एक महिने पहले ही मिहिर के माता – पिता का एक कार एक्सीडेंट में देहांत हो गया तब से दादा दादी ही उसके जीने का सहारा बन गए थे !!

मिहिर के माता पिता का सपना था कि मिहिर डॉक्टरी की पढ़ाई कंपलीट करके एक दिन बहुत बड़ा डॉक्टर बने इसलिए उसके दादा दादी ने उसे विदेश पढ़ने के लिए भेज दिया !!

अभी दो दिन पहले ही मिहिर की उसके दादाजी से विडियो कॉल पर बात भी हुई थी तब वे कह रहे थे बेटा , खुब मन लगाकर पढ़ना , तेरे माता पिता का सपना जरूर पुरा करना !!

मिहिर को अपने दादाजी की कही हुई एक एक बात याद आ रही थी !! वे कह रहे थे जाने मैं कितने दिन ओर रहुं , मुझे कुछ हो गया तो तेरी दादी का ख्याल भी तुझे ही रखना हैं !! तु मेरा प्यारा पोता हैं !!

दादाजी का चेहरा याद कर मिहिर की आंखों से झर झर आंसू बरस पड़े मगर यह कैसी विडंबना कि वह दादाजी के अंतिम संस्कार पर भी नहीं पहुंच सकता !!

अभी उसकी पढ़ाई में एक साल ओर बाकी था इसलिए उसे बीच में भारत जाने की परमिशन नहीं मिल सकती थी !!

मिहिर के पास आज दादाजी की यादों के अलावा कुछ ना था क्योंकि अंतिम बार दादाजी के दर्शन करना भी उसके नसीब में ना था !! दादाजी के गुजरने के बाद मिहिर पुरी तरह से टूट चुका था और दादाजी की यादों से निकलने में मिहिर को काफी समय लग गया मगर उसे रह रहकर दादाजी के अंतिम शब्द याद आते बेटा , एक दिन तु बहुत बड़ा डॉक्टर बनेगा मैं जानता हुं और वहीं शब्द वापस उसे पढ़ने के लिए प्रेरित करते और मिहिर वापस अपनी पढ़ाई पर फोकस करने लगा !!

आखिर आज मिहिर की एम.बी.बी .एस की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और पूरे छः साल बाद वह भारत जाने वाला था !!

सबसे ज्यादा चाह उसे अपनी दादी से मिलने की थी !! फ्लाईट में बैठे बैठे मिहिर अपनी दादी के बारे में सोचने लगा जब दादी मुझे यूं अचानक इंडिया आया देखेगी तो नाच पड़ेगी और जब दादी को पता चलेगा कि मैं बहुत बड़ा डॉक्टर बन गया हुं तो मोहल्ले भर में पेडे बाटेगी दादी !!

मिहिर का वक्त यादों में ही बीत गया और कब भारत आ गया उसे पता ही ना चला !!

घर पहुंचते ही मिहिर ने जैसे ही डोर बेल बजाई उसके भतीजे ने दरवाजा खोला !!

पहले तो भतीजे ने मिहिर को पहचाना ही नहीं मगर जैसे ही मुस्कुराकर मिहिर ने  जेब से चॉकलेट निकालकर सोनू के हाथ में दी !!

सोनू चाचू चाचू कहकर मिहिर से लिपट गया !!

सोनू की आवाज सुन मिहिर की भाभी कामिनी रसोई से चिल्लाते हुए आई क्या हुआ सोनू ?? क्यूं हल्ला मचा रहा हैं ??

जैसे ही कामिनी ने अपने देवर मिहिर को सामने देखा उसके चेहरे की हवाईयां उड़ गई और वह बोली देवरजी , आप यूं अचानक !!

ना कोई फोन , ना खबर आने की , पहले बताया होता तो तुम्हारे भैया को एयरपोर्ट लेने भेज देती और तुम तो थोडे दिन वहीं रहकर ट्रेनिंग करने वाले थे ना !!

मिहिर हंसकर बोला अरे भाभी !! सांस तो लीजिए , एक साथ इतने सारे सवाल !!

मिहिर अंदर आकर बोला भाभी !! अपनो के बिना की गई तरक्की भी कोई तरक्की हैं क्या ??

मेरा तो आप सब के साथ रहने का मन था इसलिए मैंने इंडिया में जॉब के लिए अप्लाय किया और मेरा सेलेक्शन भी हो गया !!

अब आपका यह देवर यहीं रहकर लोगों की सेवा करेगा !! 

यह सब सुनकर कामिनी को झटका लगा जैसे कांटो तो खून नहीं !!

मिहिर बोला दरहसल भाभी !! मैं दादी मां को सरप्राइज देना चाहता था !! अगर आप सबको बता देता तो दादी मां को भी पता चल जाता और मिहिर दादी मां के कमरे की तरफ धीरे धीरे पांव रखते हुए पहुंचा मगर जैसे ही मिहिर ने दरवाजा खोला और बोला दादी …

 दादी मां कमरे में नहीं थी , मिहिर ने दादी- दादी कहते हुए पुरा घर छान मारा मगर उसे दादी मां कहीं दिखाई नहीं दी !!

कामिनी रसोई में मिहिर के लिए चाय बना रही थी !!

मिहिर रसोई में जाकर बोला भाभी !! दादी मां कहीं गई हुई हैं क्या ?? घर में कहीं दिखाई नहीं दे रही !!

उतने में पीछे से सोनू आकर बोला चाचू दादी मां अब हमारे साथ नहीं रहती !!

यह सुनकर मिहिर थोड़ा भड़कते हुए बोला भाभी !! यह क्या कह रहा हैं सोनू ??

कमिनी बोली देवरजी !! बच्चे तो कुछ भी बोलते हैं और सोनू को आंख दिखाकर बोली तू जा बाहर , कुछ भी बोलता हैं !!

देवरजी आपको फोन पर बताया तो था कि दादी मां अपनी सहेलियों के साथ चार धाम की यात्रा पर गई हैं !!

मिहिर बोला इस बात को तो दो महिने दो चुके हैं भाभी !! अब तक तो दादी मां को यात्रा से वापस आ जाना चाहिए था और मैंने जितनी बार भी दादी का नम्बर लगाया उनका नम्बर स्विच ऑफ आ रहा हैं !!

पता नहीं दादी मां कैसी होंगी वहां ??

कामिनी बोली देवरजी , वहां पहाडों में नेटवर्क की बहुत दिक्कत होती हैं , फोन लगता ही नहीं !!

अभी दो दिन पहले ही उनका फोन आया था कह रही थी अभी उनको आने में एक महिना ओर लग जाएगा और वे ठीक हैं बिल्कुल वहां , यह लिजिए आप चाय पीजिए !!

मिहिर चाय लेकर अपने मां बाबुजी के कमरे में चला गया , वहां दीवाल पर लगी दोनों की तस्वीर देखकर बोला – देखिए मां पापा आज मैं डॉक्टर बन गया !! आज आप दोनों का सपना पूरा हो गया और उसे वह दिन याद आ गया जब विदेश पढ़ने जाने के लिए उसका पासपोर्ट बनकर आ गया था !!

माता पिता को एक तरफ बेटे के डॉक्टर बनने का सपना पूरा होने की खुशी थी और दूसरी तरफ बेटे से बिछड़ने का गम मगर मिहिर कहां जानता था कि उसके विदेश जाने से पहले ही उसके माता पिता उससे हमेशा के लिए बिछड़ जाएंगे मगर दादा दादी ने मिहिर के माता पिता का यह सपना पूरा किया और मिहिर को विदेश पढ़ने भेजा !! दादी मां का मिहिर के विदेश जाने की खबर सुनकर रो रोकर बुरा हाल हो चुका था क्योंकि मिहिर बचपन से ही दादी संग खुब रहा था और मिहिर का अपनी दादी से बहुत लगाव था !! मिहिर दादी का लाडला पोता था !! दादी मां के हाथ से ही खाना खाना , उनके साथ पार्क जाना , रात को उनके पास सोकर कहानियां सुनना !!

दादी मां मिहिर के जाने से दुःखी तो थी मगर फिर भी उसे हैसला देते हुए बोली थी बेटा !! भगवान करे तू जब तक वापस लौटे तेरी यह दादी वह दिन देख पाएं !!

मिहिर की आंखो से भी झर झर आंसू बहने लगे थे !!

मिहिर का एक बड़ा भाई हैं राजू और उसी की पत्नी है कामिनी !!

दादाजी के हाथ की कपडे की दुकान अब राजू चलाता हैं !!

मिहिर के मां बाबुजी अपने मां पिताजी की खुब सेवा किया करते थे !! संयुक्त परिवार था इसलिए सभी लोग एक दूसरे का अच्छे से ध्यान रख लेते थे !!

मिहिर की मां सरोजिनी देवी की तबीयत भी कुछ सही नहीं रहती थी और दादी मां भी हमेशा छडी के सहारे ही चलती थी मगर फिर भी जहां प्यार होता हैं वहां सहयोग भी होता हैं , सभी एक दूसरे का सहारा बनकर जीवन निकाल रहे थे मगर मिहिर के मां बाबुजी की मृत्यु के बाद सारी जिम्मेदारियो का बोझ मिहिर के दादा दादी पर आ गया था !! मिहिर के विदेश जाने से पहले उसकी दादी मां ने उसके गले में श्री कृष्ण जी का लॉकेट पहनाया था और रोते हुए कहा था बेटा , यह हमेशा अपने गले में ही बांधे रखना , मेरे कान्हा जी वहां अनजान देश में हमेशा तुम्हार साथ देंगे , फिर दादाजी बोले थे बेटा जा , कान्हा जी और हम सबका आर्शीवाद हमेशा तेरे साथ हैं !! सभी के आर्शीवाद से मिहिर पढ़ाई में खुब मन लगाने लगा और वहां विदेश में अपनी पढ़ाई के साथ पार्ट टाईम जॉब भी करने लगा था जिसकी महिने की सेलेरी वह यहां भारत भेज देता था ताकि घर में कभी पैसों की कोई परेशानी ना आए !!

मिहिर अपने माता पिता की तस्वीर एक टक निहारे जा रहा था कि कमिनी बोली देवरजी खाना भी बन गया हैं आप चाहे तो अभी खा लें या थोड़ी देर में आपके भैया भी आ जाएंगे !!

मिहिर बोला भाभी भैया को आ जाने दीजिए , साथ में ही खा लेंगे !!

दादी को घर में ना पाकर मिहिर का पुरा उत्साह ठंडा पड़ गया था और मानो पूरा घर उसे कांटने को दौड़ रहा हो उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था !! उतने में सोनू बाहर से दौड़कर आया और बोला चाचू मेरे लिए विदेश से क्या लाए हो ??

मिहिर ने बैग में से कपड़े , खिलौने और चॉकलेट्स निकालकर सोनू के हाथ में रख दी !!

थोडी देर में मिहिर का बड़ा भाई राजू दुकान से आ गया और मिहिर को देखकर चौंक पड़ा फिर खुशी जताते हुए बोला भाई !! तु अचानक , तुझे देखकर बहुत खुशी हुई !! फिर दोनों भाईयों ने बैठकर ढेर सारी बातें की !! मिहिर बातों बातों में बोला पहले तो दादी से हर दो दिन में विडियो कॉल पर बात हो जाती थी मगर करीबन दो महिने से दादी का मोबाईल स्विच ऑफ आ रहा हैं !!

दादी से बात किए बिना सुकुन नहीं पड़ रहा मगर भाई भाभी दादी का टॉपिक निकलने पर बात को घूमा देते और दूसरी आनन फानन बातें करने लगते !!

मिहिर को भाई भाभी का यह व्यवहार कुछ अलग सा लगा !!

वह जब भी दादी की बात करता दोनों हडबड़ा जाते , मिहिर को एक दो बार उनकी बातों में गडबड़ भी नजर आई !!

दूसरे दिन अपने माता पिता की तस्वीर लेकर मिहिर अस्पताल पहुंचा और अपने कैबिन में उन दोनों की तस्वीर लगाकर हाथ जोड़कर बोला – मां बाबुजी मैंने आज आप दोनों का सपना साकार कर दिया हैं बस आप दोनों अपना आर्शीवाद यूं ही बनाए रखना !!

सभी अस्पताल के सहकर्मियों ने मिहिर का  स्वागत किया और अस्पताल के कर्मचारियो ने हाथ जोड़कर उसका अभिनंदन किया !!

मिहिर अस्पताल में राउंड पर निकला और सारे मरीजों का चेक अप करने लगा !!

मरीजों के दुःख दूर करके मिहिर को एक अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी !! मिहिर मानो आज डॉक्टर अर्थ के मायने समझ चुका था और डॉक्टर को भगवान का रूप क्यूं कहा जाता हैं यह भी समझ चुका था !!

तभी मिहिर के कानों में एक नर्स की आवाज गूंजी जो एक अधेड़ उम्र की महिला को बहुत डांट रही थी जाने कहां कहां से आ जाते हैं काम करने , जब झाडू पौछा सही से लगाने नहीं आता तो काम करने क्यूं आ जाते हो ?? अस्पताल फ्री का तो पगार नहीं देता ना !!

वह अधेड़ महिला बिचारी चुपचाप सब कुछ सुने जा रही थी !! यह देख मिहिर को बहुत बुरा लग रहा था !!

पीछे से वह महिला महिर को कुछ जानी पहचानी लगी, मिहिर जैसे ही पास जाते जा रहा था उसकी दिल की धड़कने बढ़ने लगी , उसे लगने लगा कि उसकी दादी यहां कैसे हो सकती हैं ?? जरूर यह उसका भ्रम हैं मगर जैसे ही मिहिर ने उस अधेड़ महिला का चेहरा देखा वह चौंक गया यह तो उसकी दादी मां ही थी !!

उसकी दादी मां की आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे !! वह बेचारी कपकपाते हाथों से पुरे अस्पताल में झाडू पौछा लगा रही थी !!

उतने में नर्स चिल्लाकर बोली आज ही बड़े सर से बात करके तुझे काम पर से निकलवाती हुं !! अब मिहिर के सब्र का बांध टूट चुका था , वह नर्स पर चिल्लाकर बोला नौकरी से तो मैं तुम्हें निकलवाऊंगा !!

तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अपनी उम्र से बड़ी महिला से इस तरह बात करती हो !! तुम घर पर अपनी मां , दादी मां से भी इस तरह से ही बात करती हो क्या ?

देखो तो इस उम्र में भी इन्हे इतना काम करना पड़ रहा हैं , जरूर इनकी कोई मजबूरी रही होगी और यह औरत कोई सफाई कर्मचारी नहीं मेरी दादी मां हैं !!

यह सुनकर वह नर्स हक्की-बक्की रह गई और आसपास के लोग भी चौंक गए , उतने में मिहिर अपनी दादी मां से बोला दादी मां आप यहां कैसे ?? आप तो चार धाम की यात्रा पर गई हुई थी ना !!

अपने पोते को देखकर दादी मां ने अपने हाथ से झाड़ू पोंछा नीचे फेंक दिया और अपने पोते के चेहरे को सहला कर उसे ढेरो आशीर्वाद देने लगी !!

अपनी दादी मां को ऐसे हाल में देखकर मिहिर के मन में ढेरों सवाल उठ रहे थे !!

वह दादी मां को अपने केबिन में ले जाकर  बोला दादी मां आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए अब आपका यह पोता आ गया है !!

मिहिर ने अपनी दादी मां को पीने के लिए पानी दिया फिर बोला दादी मां आप तो चार धाम की यात्रा के लिए गई हुई थी ना ??

मैंने भी आपको कितने फोन किए मगर हर बार आपका फोन स्विच ऑफ ही बताता और भैया भाभी कह रहे थे कि आप अपनी सहेलियों संग तीर्थ यात्रा पर गई हुई हैं !!

दादी मां की आंखों से झर झर आंसू बहने लगे !!

मिहिर बोला दादी मां मुझसे कुछ मत छुपाइए सब सच-सच बताइए आपकी यह हालत का कारण कौन है ??

दादी मां बोली बेटा तेरे दादाजी के चले जाने के बाद सारे कारोबार पर तेरे बड़े भाई राजू ने हक जमा दिया और पुरे घर पर तेरी भाभी ने !!

तेरे दादाजी की तो पाई-पाई यह घर बनवाने में खर्च हो गई थी !!

तेरे दादाजी के चले जाने के बाद तेरे बड़े भाई और उसकी पत्नी को मेरी दवाई का खर्च भी भारी लगने लगा था !!

कामिनी एक दिन मुझसे बोली इस घर में रहना है तो सारा काम करना पड़ेगा !!

खाना और दवाई मुफ्त में नहीं मिलेगा !!

मैंने भी कामिनी की हां में हां मिला दी और उसके बाद से कामिनी मुझसे घर का झाड़ू पोछा , बर्तन , कपड़े सब काम करवाने लगी !!

वह सिर्फ अपने पति और बच्चों का खाना बना कर चली जाती , मैं दिन भर घर के सारे छोटे-मोटे काम करती रहती इसके बदले में मुझे दो टाइम का खाना मिल जाता !!

पहले शुरुआती दिनों में मुझे दो समय का खाना मिल जाता मगर उसके बाद मुझे हाथ जोड़-जोड़ कर बहू से खाना मांगना पड़ता तब कहीं जाकर वह रात का सुखा बासी बचा हुआ खाना मुझे दे देती !! एक दिन मुझे सूखी रोटी खाई नहीं जा रही थी तो मैंने रसोई में जाकर अपने लिए खिचड़ी बना दी , उस पर तेरी भाभी कामिनी ने इतना बड़ा हंगामा मचा दिया कि तेरा भाई राजू भी मुझे ही डांट फटकार करने लगा !!

दोनों ने मिलकर मुझे एक कमरे में बंद कर दिया और बोले वैसे भी तुम्हारी इस घर को कोई जरूरत नहीं ,अगर तुम अंदर रहकर मर भी जाओ तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा !!

दादी मां यह बोलकर जोर-जोर से रोने लगी !!

मिहिर बोला दादी मां और क्या-क्या किया भैया भाभी ने आपके साथ मुझे आज सब खुलकर बताइए !!

दादी मां बोली मुझ पर जो गुजरी है बेटा मैं ही जानती हूं !!

कमरे में बंद रहकर अब मुझे सुखा बासी खाना भी नसीब नहीं होता था !!

कभी कभी सिर्फ पानी पीकर पूरा दिन निकालना पड़ता था !!

एक दिन तुम्हारे भतीजे सोनू ने कमरे की कुंडी खोल दी और मुझे कमरे से बाहर निकाल दिया !!

मैं भूख से तड़प रही थी इसीलिए बाहर आते ही मैं रसोई में जाकर अपने लिए कुछ खाने का सामान ढूंढने लगी , उतने में तुम्हारी भाभी कामिनी आ गई और झुंझला कर बोली बुढ़िया तुझे अब इस घर से ही बाहर निकलना होगा , तू यहां रहने के लायक ही नहीं है !!

उसने तुम्हारे भाई राजू को आवाज़ लगाई और बोली इस बुढ़िया को जल्द से जल्द वृद्ध आश्रम भेजना होगा !!

वैसे भी राजू को तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता था मेरे होने या ना होने से !!

राजू ने भी कामिनी की हां मैं हां मिलाई !!

मैं हाथ जोड़कर बोली मुझे वृद्धाश्रम मत भेजो , तुम लोग जो बोलोगे मैं करूंगी बस !!

दोनों ने मुझे वृद्धाश्रम नहीं भेजा , मुझे लगा शायद दोनों को मुझ पर तरस आ गया होगा मगर दो दिन बाद दोनों मेरे पास आकर बोले आपको हमेशा शरीर में कुछ ना कुछ तकलीफ रहती हैं , मेरा दोस्त पास ही के शहर दिल्ली में बहुत बड़ा डॉक्टर हैं चलिए मैंने उससे अपाइंटमेंट ली हैं , हमें वहां दो तीन दिन लग जाएंगे इसलिए अपने कपडे बैग में भर लिजिए और जरूरत का सामान भी ले लिजिएगा !! मैंने भी उनकी बातों में आकर अपने कपड़े बैग में भर लिए , मुझे राजू की प्यार भरी बातो पर बिल्कुल भी शक नहीं हुआ और मैं दोनों संग अस्पताल जाने तैयार हो गई !!

वहां दोनों मुझे अस्पताल के बाहर बेंच पर बैठाकर बोले हम अभी आते हैं कहकर आए ही नहीं !! मैं दो तीन घंटे राह देखती रह गई मगर बाद में समझ गई यह मुझसे पीछा छुडाने की तरकीब थी !! दोनो मुझे इस अनजान शहर में भीख मांगने के लिए अकेला छोड़कर चले गए थे !!

तेरे भाई ने तेरी भाभी के मुंह से निकली बात को सच कर दिखाया था !!

मैं वहीं बैठकर रोने लगी क्योंकि मेरे पास बहुत ज्यादा पैसे नहीं थे , सिर्फ गले में एक सोने की चैन पहनी हुई थी !!

अस्पताल के कर्मचारियों ने मुझे रोता हुआ देखकर मुझसे मेरी व्यथा पूछी !!

जब मैंने उन्हें अपनी पूरी कहानी बताई तो वह बोले माजी आप बुरा ना माने तो आप यहां अस्पताल में नौकरी कर लीजिए इससे आपको रहने और खाने की सुविधा मिल जाएगी !!

मैंने भी उनकी बात मान ली , जिससे मुझे हॉस्पिटल द्वारा रहने को क्वाटर मिल गया और दो समय खाने को मिल जाता !!

अपनी सोने की चैन बेचकर मैंने वर्वाटर में थोड़ा घर संबंधी सामान खरीदा ताकि मैं कभी कभी वहां अपने हाथ का बना खाना खा पाऊं !!

यह सब सुनकर मिहिर को अपने भाई भाभी पर बहुत गुस्सा आ रहा था !!

उतने में मिहिर की दादी मां बेहोश हो गई !!

मिहिर ने दादी मां के चेहरे पर थोडा सा पानी छिड़का और उन्हे होश आया !!

एक कर्मचारी से कहकर मिहिर ने दादी मां के लिए जूस मंगवाया और दादी मां को जुस देते हुए बोला – दादी मां जितने दुख सहन करने थे आपने कर लिए अब दुख सहने की बारी भैया और भाभी की है !! अब आपका दूसरा बेटा आ गया हैं , जो आपके उपर हुए सारे जुल्मो का बदला लेगा !!

अब आप बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए !!

सबसे पहले तो हम अपने घर चलेंगे !!

घर जाने की बात सुनकर दादी मां थोड़ा डर गई क्योंकि वह उस माहौल में वापस नहीं जाना चाहती थी !!

उनमें ओर अपमान सहने की शक्ति नहीं थी !!

दादी मां को घबराया हुआ देख मिहिर बोला – दादी मां आप बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए , वह घर दादा जी ने बनवाया है , वह लोग कौन होते हैं आपको घर से निकालने वाले ?? घर से निकलेंगे वह लोग जो आपके घर में रह रहे हैं !!

     आप अपने ही घर में जाने से घबराइए मत !! अब आपका यह पोता आ गया है जो आपको आपका हक दिलाकर रहेगा !!

चलिए गाड़ी में बैठिए और मेरे साथ घर चलिए !!

मिहिर ने अपनी दादी मां को अपनी गाड़ी में बिठाया और घर की तरफ चल पड़ा !!

अपने भाई भाभी को सबक सिखाने हेतु दादी मां को गाड़ी में बिठाए रख वह घर में अकेले घुसा !!

 घर में उसके भैया भाभी की दोस्तो संग पार्टी चल रही थी , म्यूजिक तेज आवाज में बज रहा था !!

सबसे पहले मिहिर ने म्यूजिक बंद किया तो उसकी भाभी कामिनी झुंझलाकर बोली -यह क्या बदतमीजी है देवर जी ??

मिहिर बोला पहले मुझे यह बताइए की दादी मां कहां है मुझे उनसे बात करनी है !!

राजू बोला तुम्हें कितनी बार बताएं वह तीर्थ यात्रा पर गई हैं !!

मिहिर बोला तीन महीने तक कौन सी तीर्थ यात्रा चलती है भैया ?? और कितना झूठ बोलोगे आप लोग ??

सच-सच बात क्यों नहीं देते की दादी मां को भीख मांगने के लिए अस्पताल के बाहर छोड़ आए थे आप लोग !!

और अपनी दादी मां को अंदर से आवाज लगाने लगा !!

अपनी दादी मां सरला जी को अचानक दे खकर कामिनी और राजू के पैरो तले जमीन खिसक गई !!

राजू के सारे दोस्त यह सब सुनकर आवाक रह गए और एक दोस्त बोला मुझे तुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी राजू , जो बड़ो का सम्मान ना कर सके ऐसा मेरा दोस्त नहीं हो सकता !! सभी दोस्तो ने हामी भरी और सारे दोस्त उसी वक्त राजू का घर छोड़कर चले गए !!

तभी वहां पुलिस आ गई और राजू और कामिनी को गिरफ्तार करके ले जाने लगी !!

राजू और कामिनी दादी मां के पैरो में गिर गए और माफी मांगने लगे मगर दादी मां ने उन्हें माफ नहीं किया !!

कामिनी बोली दादी मां मेरे बेटे सोनू का क्या होगा ?? अब हम कभी ऐसी गलती नहीं करेंगे !!

 मेरा बेटा सोनू अनाथ हो जाएगा दादी मां , प्लीज हमें घर से मत निकलिए !!

उतने में सोनू वहां आ गया !! सोनू को देखकर दादी मां को दया आ गई और 

दादी मां पुलिस से बोली मैं अपनी कंपलेट वापस लेती हुं क्योंकि मैं नहीं चाहती कि कोई भी बच्चा अपने माता-पिता के कर्मों की सजा भुगते !! इसके माता पिता ने जो भी किया उसमें इस मासूम की क्या गलती ??यह सुनकर राजू और कामिनी ने चैन की सास ली और उन्हें थोड़ी खुशी हुई !!

दादी मां उनके चेहरे के भाव देखकर बोली इसका मतलब बिल्कुल भी यह नहीं है कि मैंने तुम लोगों को माफ कर दिया है !! तुम लोगों ने मेरे साथ कुत्तों से बदतर सुलूक किया हैं , मैं कभी नहीं भूलूंगी कि तुमने मेरा इतना अपमान किया , मुझे कमरे में तक बंद कर दिया और भूखा प्यासा रखा !!

राजू और कामिनी अपने किए पर माफी मांगे जा रहे थे मगर दादी मां टस से मस ना हुई !!

मिहिर बोला आप लोगों को यह घर अभी की अभी खाली करना होगा !! यह दुकान और यह घर मेरे दादाजी और दादी की मेहनत है जिस पर आप लोगों ने कब्जा कर लिया था !!

कामिनी बोली हम लोग कहां जाएंगे , प्लीज हमें घर से और दुकान से मत निकालिए !!

 

मिहिर बोला यह बात तो आप लोगों को तब समझनी चाहिए थी जब आप लोगों ने दादी को घर से बेदखल कर दिया था !!

धिक्कार हैं ऐसे भाई – भाभी पर !!

 

दोस्तों अपने कुकर्मों की सजा कभी ना कभी हर इंसान को भुगतनी ही पड़ती है इसीलिए कर्म बहुत ध्यान से करें !!

क्या मिहिर ने अपने भाई भाभी को सजा दिलवा कर सही किया ?? क्या दादी मां ने अपने बड़े बेटे पोते को माफी ना देकर सही किया ??

आपकी राय के इंतजार में !!

यह कहानी आपको कैसी लगी कृपया जरूर बताएं तथा ऐसी ही अन्य कहानियां पढ़ने के लिए हमारे पेज को फॉलो जरूर करें !!

धन्यवाद !!

स्वाति जैन

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