दायित्व – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

राघव बेटा….. ज़रा शाम को सरला  (पत्नी ) की दवा लेता आना बाजार से…. खत्म हो गयी है …. एक दिन नहीं हुआ दवा खत्म हुए…. सांस फूलने लगी है उसकी….

शिवदयाल जी ऑफिस जाते हुए बेटे  राघव से बोले…..

जी पापा… ले आऊंगा…. और कुछ…..??

राघव पूछता है …….

भईया…. पेपर आने वाले है …. फीस ज़मा होनी है …. आज लास्ट डे है फीस सबमिट करने का….. लंच में अगर आपको टाइम हो तो कोलेज आकर ज़मा कर देना भईया….

छोटी बहन रोशनी बोली….

हां बिट्टो …. आज सोच ही रहा था आने को…. अच्छा हुआ तूने फिर से  याद दिला दिया…..

राघव रोशनी के सर पर हाथ फेरता हुआ बोला……

बेटा….. मीता (बड़ी बेटी) के यहां त्योहारी जानी है …. जाने को तो तेरे पापा ही चले ज़ाते पर अभी पहला ही साल है उसके ब्याह का… तू चला जाता तो ज्यादा अच्छा रहता….. गांव घर के लोग कहने में चूकेंगे नहीं मीता को….. बिटिया दुखी हो जायेगी…..

माँ सरला अंदर कमरे से बाहर आंगन में आती हुई बोली…..

जी माँ….. संडे …. को सुबह ही चला जाऊंगा तो शाम तक आ जाऊंगा…. आप फिकर मत करो ……

राघव बोला…..

राघव की बात से सभी घरवालों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी….. सिवाय राघव की नयी नवेली दुल्हन पीहू को छोड़….

जब उस पर ना रहा गया तो अपनी पायल छनकाती हुई बाहर आयीं…..

भाभी की पायल की छन छन कितनी अच्छी लगती है …..

ननद रोशनी बोली…..

आप लोग इतनी देर से राघव को काम पर काम बताये जा रहे है… आप सब देख नहीं रहे कि वो लेट हो जायेगा ऑफिस के लिए… फिर जल्दी गाड़ी चलायेगा…. ईश्वर ना करे कुछ अनहोनी हो गयी तो….. एक आदमी पर इतनी ज़िम्मेदारी देना ठीक नहीं…….

बहू पीहू सर पर पल्लू डाले हुए बोल गयी…..

सभी को बुरा तो लगा और सबसे ज्यादा बुरा राघव को लगा…..

बहू….. तू अपने पति का नाम लेती है ….. ये सही नहीं है …. आयें हुए चार दिन ना हुए तुझे इतना बोलने लगी है …. ये भी नहीं देख रही कि सास ससुर सब खड़े है …… और ये सुबह सुबह मुंह से शुभ शुभ बात बोलनी चाहिए… तू अनहोनी की बात कर रही……

सास सरला जी सख्त लहजे में बहुरानी से बोली….

माँ…. भाभी ठीक कह रही है …. भईया को जाने दीजिये …. लेट हो रहे होंगे…. और हम भी तो भईया से सुबह सुबह ही सब फर्माइशें बताने लगे…… शाम को आयेंगे तब बात कर लेंगे…..

ननद रोशनी घर का माहोल बिगड़ते देख बात को रफा दफा करते हुए बोली…..

बेटा राघव जा तू …. ये सब बातें तो होती रहती है …. आराम से जाना…… जल्दबाजी ना करना…..

पिता शिवदयाल जी भी सूझबूझ का परिचय देते हुए मुस्कराते हुए राघव से बोले…..

ठीक है पापा….. मैं चलता हूँ…..

राघव माँ पापा के पैर छू ऑफिस के लिए निकल गया…..

बहू पीहू भी राघव के ज़ाते ही किचेन से नाश्ता ले अपने रूम में आ गयी और कमरा बंद कर लिया ……

देख रहे हो जी…. बहू अभी दो महीने पहले ही आयीं और इसके तेवर देखो…..

सब समझ जायेगी सरला वो…. अभी आयीं है … समय लगेगा…. पर तुम इस तरह उससे झगड़ा करोगी तो घर का मोहोल बिगड़ेगा ही…. उसमे खुद सभी के व्यवहार को देख बदलाव आ जायेगा….. और फिर राघव तो कितना समझदार लड़का है ….. उसके स्वभाव में तो शादी के बाद भी कोई परिवर्तन न आया…. तो बस ….. इतना ही शुक्र है ….

शिवदयाल जी पत्नी को समझाते हुए बोले….

बहू अगर ऐसे ही करती रही तो राघव को बदलने में भी समय न लगेगा जी…..

माँ….. बदलना भाभी को नहीं है …. बस हमें बदलना है …. वो दूसरे घर से आयीं है …. अभी हमें जानी ही कितना है ….. अब पहले जैसी सास य़ा ननद वाला व्यवहार करना बिल्कुल सही नहीं है माँ…. आजकल घर के टूटने का  ज्यादातर यही कारण है ….आप बस भाभी से जैसे मेरे से बातचीत करती है ,, वैसे ही कीजिये…..

ननद रोशनी माँ को समझाती है …..

हां अब यही लग रहा कि मुंह सीके ही रहना पड़ेगा….

सरला जी गुस्से में बोलती है ….

रोशनी और शिवदयाल जी सरला जी के गुस्से को देख हंस पड़ते है …..

पीहू राघव के आने का इंतजार करती है ….

जैसे ही राघव आय़ा…. वो आंगन में ही माँ,,पापा के पास बैठ गया….

माँ सर में दर्द है … ज़रा तेल लगा देना…

राघव सरला जी से बोला…..

रोशनी तेल ले आयी ….

इधर आ रे ….. तेरे सर और बालों में तेल लगा दूँ अच्छे से…. जबसे ब्याह हुआ है ,  ऐसे ही रुखे बाल लेकर घूम रहा है ……

सरला जी  राघव के सर की चम्पी करती है ……

पीहू कमरे में बैठी बस घड़ी की तरफ देख रही थी… रोशनी ने आवाज भी दी कि भाभी बाहर आंगन में ही आ जाईये…..

पर पीहू फ़ोन पर बात करने का बहाना कर बाहर ना आयी….

जा अब अन्दर चला जा…. बहू राह देख रही होगी….

सरला जी बोली….

राघव अंदर आता है ….

पीहू… दरवाजा बंद कर गुस्से में बेड पर बैठ ज़ाती है ….

आज हमारी प्यारी पत्नी जी का मूड ऑफ है क्या ??

इतना गुस्सा ठीक नहीं ……

राघव पीहू के गाल पकड़ते हुए बोलता है ……

छोड़ो मुझे…… आये हुए एक घंटा हो गया तुम्हे … अब आये हो अन्दर ……

तो तुम क्यूँ नहीं बैठती सबके बीच…. सबके साथ बैठोगी तभी तो सबको जानोगी…..

राघव बोला…..

मुझे नहीं बैठना…… तुम कब तक अपने पूरे खानदान की ज़िम्मेदारी लेकर चलोगे राघव….. आगे हमारे बच्चे भी होंगे उनके लिए भी तो कुछ सेविंग होनी चाहिए…. जिस तरह तुम अपने माँ, पापा, बहन की हर बात मानते हो उन पर खर्चा करते हो तो वो दूर नहीं कि हम रोड पर आ जायें ….. इस हिसाब से तो अपनी बहन की शादी भी तुम अपने ही पैसों से करोगे….. बोलो राघव…. ये सब सोच सोचकर तो मेरा सर फटा जा रहा है ….

पीहू बोली…..

एक बात ध्यान से सुन लो पीहू…. मेरे माँ पापा अब तुम्हारे माँ पापा भी है ….. मेरी बिट्टो अब तुम्हारी ननद है …. माँ पापा मुझे इस दुनिया में लायें…. मुझे पढ़ाया , लिखाया, मुझे इस लायक बनाया कि आज तुम्हारे घर वाले मेरी सेंट्रल जॉब देखकर ही तुम्हे मेरे साथ  ब्याह कर गए है ……मैं तो पढ़ने में भी इतना होशियार नहीं था पीहू कि इस तरह की नौकरी मिलती मुझे…. वो तो पापा ने ही दो साल पहले रिटायरमेंट ले लिया ज़िससे कि मुझे नौकरी मिल जायें और मेरा भविष्य सुधर जायें ….. पता है तुम्हे मेरी बिट्टो को जो भी  पैसा ट्यूशन का य़ा कोई रिश्तेदार देकर जाता जाता तो उसे रख लेती और जब मैं कोई फोर्म भरता तो चुपके से मुझे पकड़ा देती कि भईया फीस दे दो…..

और मेरी माँ जब तुम आने वाली थी घर तो अपने जेवर को बेच तुम्हारे लिए नयी डिजाइन की चीज बनवा लायी….. तो मेरे भी तो कुछ दायित्व माँ, पापा, बिट्टो , दी के प्रति है  …. अब दिन पर दिन माँ पापा का शरीर ढल रहा है , , उनको संभालने वाले हम ही तो है और कौन करेगा उनका…. बिट्टो तो रोज कहती थी मुझसे कि भईया भाभी आ जायेंगी तो मैं उनके साथ घूमने जाया करूंगी….. उनकी दोस्त बनकर रहूँगी…. पर तुम तो खुद को मेरे ज़ाते ही  कमरे में बंद कर लेती हो…. क्या सबको बुरा नहीं  लगता होगा… जबसे तुम आयी हो ,,,तुम किचेन में एक भी काम करती हो… बस महारानी की तरह बिट्टो और माँ का बनाया हुआ खाना उठा लाती हो…..

क्या ये सही है ?? क्या तुम्हारी रागिनी भाभी भी ऐसा ही करती है ??

बोलो पीहू…..

राघव बोला…..

पीहू कुछ ना बोली पर उसकी आँखें नम थी…. वो उठी रसोई में गयी….. उसने राघव के लिए खाना परोसा…..

तुम भी तो खाओ खाना पीहू ?? मेरे साथ ही तो खाती हो…

आप खाईये…. मुझे भी मेरे दायित्व निभाने है ….

पीहू इतना बोल किचेन में आयी….

ये क्या कर रही हो रोशनी… छोड़ो बरतन…. मैं  मांज लूंगी…. तुम जाकर पढ़ाई करो… पेपर आने वाले है तुम्हारे……

पीहू रोशनी के हाथ से साबुन लगा ग्लास अपने हाथ में लेती हुई बोली…

भाभी आप भईया के साथ खाना खा लो… मैं तो खा चुकी हूँ…. कल से हम सबके साथ खा लिया करना… भईया तो बहुत लेट आते है ….. कल से आप कर लेना… आज मुझे कर लेने दीजिये …..

रोशनी पीहू का हाथ पकड़ हठ करती हुई बोली….

पीहू ने रोशनी को गले से लगा लिया …. मन ही मन सोची काश मैं भी  ऐसी ननद बन पाती मायके में तो….

अगले दिन से शिवदयाल जी के घर में हंसी ही हंसी गुंजने लगी थी….. अब पीहू को भी अपने दायित्वों का एहसास हो चला था….

सास सरला की तो जान बसती है अब पीहू में….

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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