दास्तान इश्क़ की (भाग – 7 – अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा….

राधिका के कहने पर आदित्य गार्ड्स को हटाने के लिए तैयार हो जाता है और उसे पूजा में किशनगढ़ आने के लिए कहता है… ओम ठाकुर को आदित्य और राधिका की सच्चाई पता चल जाती है !!

अब आगे…….

राधिका आदित्य से बात करके बाहर आती है वो देवेंद्र और शीतल को बताती है कि वो किशनगढ़ में हो रही पूजा में जायेगी

देवेंद्र जी और शीतल उसकी इस बात से खुश हो जाते है

देवेंद्र जी शीतल से कहते है…. राधिका की विदाई की तैयारी करो शीतल…. अब ऐसे थोड़ी ना भेजेंगे हम अपनी बेटी को!!

“जी बिल्कुल आप सही कह रहे है “..शीतल ने कहा

“कुछ सही नही कह रहे आप दोनों… हम बस पूजा में जा रहे है और अगले दिन आपके और ताऊजी के साथ वापस आ जायेंगे..”

“हम लोग नही जा रहे है आपके साथ…” देवेंद्र जी ने कहा

“आप दोनों चल रहे है … हम अकेले नहीं जायेंगे .. “

“ऐसा नही होता राधिका… हम कैसे जा सकते है “

”  ताऊजी क्यों नहीं जा सकते ???वो आपके दोस्त का घर हैं .. और आप कुंवर को बेटा मानते हैं … तो क्यों नहीं जा सकते……आप दोनों चल रहे हैं हमारे साथ … और ये मेरा फैसला है “

“ठीक है …. अब आपसे बहस तो हम कर नही सकते… शीतल चलते है हम भी एक बार आप भी देख लो अपनी बेटी का ससुराल देवेंद्र जी ने मुस्कुराकर राधिका की तरफ देखते हुए कहा  “

“ताऊजी आप हमें चिढ़ा रहे हैं…. राधिका कहते हुए कमरे से बाहर चली गयी … “

देवेंद्र जी शीतल को देखकर मुस्कुरा दिए…

राधिका ने अपने कमरे में जाकर कावेरी को फोन किया उधर से कावेरी ने फोन उठाया और बोला

हैलो राधिका…

कैसी हो तुम?

ठीक हूँ…

ऑन्टी का सब हो गया…

हम्म… कावेरी इतना कह कर रोने लगी

कावेरी… मत रो ऑन्टी को दुख होगा…

कावेरी ने रोते हुए ही कहा… अकेली हो गयी मैं राधिका

बिल्कुल भी नही… मैं हूँ अभी तो तुम ऐसा कैसे बोल सकती हो…? कब आ रही हो? और रो मत

दस दिन तो अभी लगेंगे उसके बाद आऊँगी कावेरी ने सुबकते हुए कहा…

हम्म ठीक है जब आना हो बता देना

और तुम बताओ ठीक हो… ताऊजी हैं या चले गए?

हाँ ठीक हूँ .. ताऊजी अभी है और अभी जाने का उनका कोई प्लान भी नही है

राधिका….

हाँ…..

कुछ हुआ है ना??

कावेरी की इस बात पर राधिका एक पल को चुप हो गयी

अरे… क्या तुम भी कुछ नही हुआ वो बस तुम नहीं हो तो मन नही लग रहा

तुम अभी भी नही बताओगी ना ….? चलो कोई बात नही हो सकता है बात फोन पर बताने वाली ना हो “

कावेरी….

राधिका मैं तुम्हें तुमसे थोड़ा ज़्यादा जानती हूँ…. पता है ना तुम्हें .. आती हुँ तब बात करते हैं बाय

कावेरी…

हाँ….

कुछ नही… बाय

पूजा के एक दिन पहले शाम को एक गाड़ी आ कर राधिका के घर के सामने रुकी… उसमें से भुवन के साथ तीन लोग और कुछ सामान लेकर उतरे…

भुवन ने घर की डोर बेल बजायी तो शीतल ने दरवाज़ा खोला

भुवन ने शीतल को देखा और बोला – प्रणाम माँ जी

भुवन आप?? प्रणाम

जी वो हम ठाकुराइन के लिए सामान लाए हैं कुंवर ने भेजा है..

सामान …..कैसा सामान??

वो तो हमें नहीं पता….

आप बैठिए…. हम राधिका को बुलाते है

जी…  कह कर भुवन वहीं बैठ गए

शीतल राधिका के कमरे में गयी और बोली… राधिका भुवन आए हैं.. कुछ सामान लेकर आए है कुंवर ने भेजा है

अच्छा…

क्या सामान है?

हम आपको बताना भूल गए…”. कुंवर ने कहा था कि वो जो भेजेंगे उसे ही पहन कर पूजा में आना है “

कोई बात नहीं…ठीक है तो हम सामान आपके कमरे में भिजवा देते हैं …

राधिका कुछ नही बोली…. शीतल कमरे से बाहर गयी और.. भुवन से सामान वहीं रखवा लिया

भुवन ने कहा…हम कल सुबह आठ बजे आयेंगे आप सबको लेने …… प्रणाम

ठीक है … आप बैठिए मैं चाय बनाती हूँ

नही आप रहने दें… हम अभी चलते है थोड़ा इंतज़ाम देखना है और सब गार्ड्स से मिलना भी है भुवन ने हाथ जोड़े और बाक़ि सबने भी हाथ जोड़े सब बाहर चले गए

रात के खाने के बाद शीतल राधिका के कमरे में आयी और बोली….. राधिका हम आ जाए

हाँ आइए ना माँ

देखो ज़रा कुंवर ने क्या सामान भेजा है?

राधिका ने अटैची खोली और देखा तो उसमें रेड और येल्लो कलर के कॉम्बिनेशन का बहुत सुंदर लहंगा था साथ में सारा श्रृंगार का सामान और ज्वैलरी भी थी

वाह  बहुत सुंदर है ये सब है ना राधिका …

राधिका ने धीरे से हाँ कहा

शीतल वापस से सब अटैची में रखने लगी… “चलो तुम सो जाओ कल सुबह जल्दी उठना है भुवन आठ बजे आ जायेंगे कह कर शीतल उसके कमरे से बाहर आ गयी “

राधिका ने एक नज़र अटैची की तरफ देखा और अपने पलंग पर जा कर लेट गयी…और अपनी आँखों को बंद कर लिया…. तभी उसका फोन बजा

राधिका ने देखा तो आदित्य का नंबर फोन पर दिख रहा था…..

उसने फोन उठाया…

हैलो

क्या बात है? आपने बहुत जल्दी फोन पिक कर लिया..

आपने फोन क्यों किया?

पूछने के लिया..

क्या पूछने के लिए?

आपको पसंद आया सामान जो हमने आपके लिए भेजा?

आपने ये पूछने के लिए फोन किया?

हाँ… आपको पसंद आया?

अगर मैं ना कहूँ तो?

तो हम अभी दूसरा भिजवा देंगे… आपकी पसंद का आप बताए आपको क्या पसंद है?

बाय   राधिका ने कह कर फोन काट दिया

आदित्य ने देखा फोन कट गया है… “वो बोला तैयार हो जाओ आदि इनके नख़रे और गुस्सा झेलने के लिए.. वो मुस्कुराया और सोने चला गया “

पूजा का दिन

राधिका सुबह नहा कर रेडी हो रही थी…. उसने वही लहंगा और ज्वैलरी पहनी जो आदित्य ने भेजी थी… सब पहनने के बाद… वो ड्रेसिंग टेबल के पास गयी उसने दराज़ में से मंगलसूत्र निकला और उसे पहन लिया.. आदित्य के भेजे हुए सामान में सिंदूर भी था राधिका ने सिंदूर अपनी मांग में लगाया

राधिका… कहते हुए शीतल उसके कमरे में आयी  ….. उसने जब राधिका को ऐसे तैयार देखा तो मुस्कुरा कर उसके पास गयी और बोली… हमारी ही नज़र लग जायेगी आपको उसने वहाँ रखे हुए काजल को उठाया और राधिका के कान के पीछे लगा दिया

चलें… भुवन बाहर इंतज़ार कर रहे है

राधिका ने हाँ में सिर हिलाया और वो दोनो बाहर आ गए

देवेंद्र जी भुवन के साथ बातें कर रहे थे उन्होंने जब राधिका को ऐसे आते हुए देखा तो उनकी आँखों में नमी तैर गयी….

भुवन भी उठ कर खड़ा हो गया और उसने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया

राधिका ने देवेंद्र जी और शीतल के साथ भगवान् के सामने  हाथ जोड़े और सुरेंद्र की तस्वीर के आगे भी हाथ जोड़े |

वो सब बाहर आकर गाड़ी में बैठ गए…. भुवन खुद भी उस गाड़ी में था उनके आगे और पीछे दो गाड़ियाँ और थी

तीन  घंटे बाद गाडियाँ किशनगढ़ पहुँची… और एक बड़े से घर के सामने आ कर रुक गयी…. देवेंद्र जी और बाक़ी सबने देखा घर बहुत सुंदर लग रहा था पूरे घर में फूलों से सजावट की थी…. लाइट्स भी लगायी हुई थी..देवेंद्र जी की साइड का दरवाज़ा एक नौकर ने आ कर खोला…. भुवन भी तब तक गाड़ी से उतर कर नीचे आ गए थे

देवेंद्र जी पहले गाड़ी से उतरे.. उन्होंने देखा दरवाज़े पर वीर प्रताप जी, रुपाली और राघव खड़े थे…… देवेंद्र जी हाथ जोड़े हुए उनकी तरफ बढ़े …

वीर प्रताप जी ने आगे बढ़कर उन्हें गले से लगा लिया…. कैसे है आप ?? देवेंद्र जी ने पूछा

हम तो बढ़िया है और आप हमारी बहू को ले आए हैं तो और भी बढ़िया है कहते हुए वो मुस्कुरा रहे थे

रुपाली ने भी देवेंद्र जी को हाथ जोड़े कर प्रणाम किया

कैसे हैं आप  राघव? देवेंद्र जी ने राघव से पूछा…. राघव ने देवेंद्र जी के पैर छूते हुए कहा… अच्छे है आप कैसे हैं?

शीतल और राधिका भी तब तक गाड़ी से उतर कर आ गयी थी..

रुपाली ने जब शीतल को देखा तो मुस्कुराते हुए आगे आयी और शीतल को गले से लगा लिया… कैसी हो शीतल?

जी ठीक हैं.. आप ??

हम भी ठीक हैं

राधिका पैर छुओ ये रुपाली काकी है शीतल ने कहा तो राधिका  आगे बढ़कर रुपाली के पैर छूने लगी…..

अरे नही…. आप हमारे पैर न छुए हम आपको वैसे ही आशीर्वाद दे देंगे…. उन्होंने राधिका को देखते हुए कहा…. बहुत सुंदर लग रहीं है आप और अपनी आँखों के कोने से  एक नज़र का टीका उसे लगा दिया

आइए…. रुपाली ने कहा

घर के दरवाज़े पर पहुँच कर रुपाली ने राधिका को बाहर ही रोक दिया

आप यहीं रुको….

राघव  कुंवर कहाँ है???रुपाली ने पूछा

हम यहाँ है… दूसरी तरफ से आवाज़ आयी तो सबने देखा आदित्य येल्लो कलर का कुर्ता पहने हुए आ रहा था

राधिका ने उसकी तरफ देखा तो उसका मूह खुल गया

राघव आदित्य के पास गया और धीरे से  बोला वाह मैचिंग मैचिंग

आदित्य ने राघव से कहा मूह बंद करो अपना …

“आदि आप यहाँ राधिका के पास आ कर खड़े हो जाइए रुपाली ने कहा तो आदित्य मुस्कुराते हुए राधिका के पास आ कर खड़ा हो गया “

रुपाली ने दोनों कि आरती की आदित्य के माथे पर  तिलक लगाया और राधिका को भी

रुपाली ने राधिका के हाथों की छाप घर के दरवाज़े पर लगवायी और सामने रखे चावल से भरे हुए कलश को गिरने को बोला…

राधिका ने शीतल की तरफ देखा तो शीतल ने आँखों से हाँ में इशारा किया

राधिका ने अपने पैर से कलश गिराया और वहाँ रखे आलते से भरी हुयी थाली में पैर रख कर घर के अंदर आयी सबने ताली बजायी…

वेलकम होम….बहुत प्यारी लग रहीं हैं आप,..आदित्य ने धीरे से कहा

राधिका ने घूर कर उसकी तरफ देखा तो आदित्य मुस्कुरा दिया

आओ राधिका थोड़ी देर में पूजा होगी तब तक यहाँ बैठो

राधिका  वहीं बैठ गयी आदित्य को रुपाली ने उसके साथ ही बैठा दिया था

“कोई हमें भी तो मिलवाओ भाभी से… राघव कहते हुए वहीं आ रहा था जहाँ आदित्य राधिका के साथ बैठा था.. “

देवेंद्र जी ने राधिका से कहा…. “राधिका ये राघव है वीर प्रताप जी के सुपुत्र और आदित्य के बचपन के दोस्त और पर्टनर”

राधिका ने राघव की तरफ देखा और हाथ जोड़ कर प्रणाम किया

राघव ने कहा “भाभी हमें झेलने की आदत डाल लें वैसे हम आपके देवर कम फ्रेंड है आप आदि की शिकायत हमसे कर सकती है | सब हँसने लगे “

थोड़ी देर में पूजा शुरू हुयी पंडित जी ने आदित्य और राधिका का  गठ बंधन किया दोनो ने पूजा सम्पन्न की फिर सभी बड़ों के पैर छुए और आशीर्वाद लिया |

रुपाली ने राधिका को एक कमरे में बैठा दिया और रेलैक्स होने को बोला….

राधिका रुपाली के जाने के बाद वहाँ रखी हुयी कुर्सी पर बैठ गयी और उसने अपनी आँखें बंद कर ली….

राधिका ने कुर्सी पार सिर को टिकाया और  अपनी आँखों को बंद कर लिया…

थक गयी आप? आदित्य ने कमरे आते हुए कहा

राधिका ने आदित्य की आवाज़ सुनी तो उसने अपनी आँखें खोली और कुर्सी से उठते हुए बोली – आप यहाँ क्या कर रहे है?

आदित्य उसके पास गया और कहा – आप पहले बैठे….

राधिका कुछ कदम पीछे हो गयी आदित्य ने उसका हाथ पकड़ा और उसे कुर्सी पर बैठा दिया …. उसने दूसरी कुर्सी ली और उसके सामने आ कर बैठ गया…. राधिका अपनी नज़रों को नीचे किए बैठी हुयी थी… आदित्य उसे देखे जा रहा था …..

वो बोला –  आप नाराज़ हैं हमसे?

राधिका कुछ नही बोली

कुछ बोलें आप? कुछ कहें तो….निकालिए अपना गुस्सा या जो भी आपके मन में है ऐसे शांत मत रहें ….

“हमने आपका कहा हुआ कर दिया…. अब आप अपना वादा पूरा कीजिए “

“बिल्कुल… करेंगे आदित्य ने अपना फोन निकाला फोन को स्पीकर पर किया और भुवन को फोन किया… “भुवन अपने सारे गार्ड्स राधिका के घर से हटा लो अभी “

जी कुंवर जैसा आप कहें .. और कुछ ??

नहीं.. अभी के लिए बस इतना ही कह कर आदित्य ने फोन काट दिया

अभी शाम हा गयी है अब आप कल ही जा पायेंगी… तब तक आप रेस्ट करें… आदित्य जाने लगा … तो राधिका ने कहा

आपने ऐसा क्यों किया?

राधिका के इस सवाल पर आदित्य रुक गया….

किस बारे में पूछ रहीं हैं आप?

शादी के बारे में?

जानती तो हैं आप हमने अपने और आपके पापा की बात का पुरा किया

ठीक है उनकी बात पूरी हो गयी अब?

अब आपका और हमारा रिश्ता बन गया है

मैं नहीं मानती इस रिश्ते को..

आपके मानने या ना मानने से ये रिश्ता ख़तम नही हो जायेगा

तो फिर तोड़ दें इस रिश्ते को …..

क्या?? क्या कहा आपने तोड़ दें ??

हाँ… कुछ नही है इस रिश्ते में.. ये ज़बरदस्ती का रिश्ता है

आदित्य उसके पास आया… और मुस्कुराते हुए बोला – आप ना माने लेकिन मैं मानता हूँ… सब मानते है ….और सब खुश भी है

मैं खुश नहीं हूँ और उसकी आँखों में आँसू आ गए

राधिका आप …..आदित्य ने इतना ही कहा था कि दरवाज़े पर किसी ने नॉक किया

आदित्य ने कहा आप चुप हो जाए…. राधिका रोए जा रही थी

आदित्य दरवाज़ा खोलने गया तो रुपाली थी वो कमरे में आयी तो राधिका को रोते हुए देखा

क्या हुआ आप रो क्यों रहीं है?उसने पूछा

राधिका ने कुछ नही बोला तो रुपाली ने आदित्य की तरफ देखा

अरे मैंने कुछ  नही किया वो तो ये ही

चुप करें आप ? क्या हुआ राधिका आप बताओ ?? रुपाली ने उसके सिर को प्यार से सेहलाते हुए बोला

राधिका ने सुबकते हुए कहा — काकी मैं ये कह रह थी कि पूजा हो गयी है तो मैं ये कपड़े बदल सकती हूँ क्या? लेकिन इन्होंने डाँट दिया

राधिका की इस बात पर आदित्य मूह खोले हुए उसे देखे जा रहा था

रुपाली ने कहा….आदि ये क्या  बात होती है क्यों कहा आपने कुछ

काकी मैं……

आप जाओ बाहर….

आदित्य ने राधिका कि तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी

आदित्य ने घूर कर उसे देखा और बाहर निकल गया |

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा… जल्दी ही मिलूँगी नये भाग के साथ

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग -8 )- अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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