दास्तान इश्क़ की (भाग – 6) – अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा….

राधिका आदित्य से हुयी शादी को नही मानती है…… आदित्य से मिलने वीर प्रताप जी रुपाली और राघव आते है… राधिका पर वही लड़के हमला करते है और आदित्य के गार्ड्स उसे बचाते है..

अब आगे…..

ओम ठाकुर आदित्य के चाचा विक्रम को राधिका को जो गार्ड्स बचा रहे उनके बारे मे पता करने को कहता है……

“राजीव के बहुत कहने पर राधिका कुछ  गार्ड्स और शीतल के साथ घर आ जाती है थोड़ी देर में राजीव बाक़ी गार्ड्स के साथ राधिका के घर आ जाता है “

“राधिका घूर कर उन्हें देखते हुए कहती है- “ये सब कब से चल रहा है और किसके कहने पर आप ये सब कर रहे है? “

राजीव नज़रें झुकाए इधर -उधर देखने लगता है….

“मैं आपसे बात कर रही हूँ…. राजीव “

” जब से आपकी शादी कुंवर से हुयी है तभी से हम यहीं हैं और हमें भुवन सर ने आपकी सुरक्षा के लिए रखा है “

“सुरक्षा… क्यों? “

“वो तो आप भुवन सर से ही पूछ लें हमें जो कहा गया हम वो कर रहे हैं “

“फोन लगाओ अपने सर को “राधिका ने कहा तो राजीव अपने पास खड़े हुए एक और गार्ड कि तरफ देखने लगा

“उनको क्या देख रहे हो…. लगाओ फोन “

“राजीव ने फोन किया तो भुवन ने एक ही रिंग में फोन उठा लिया और बोला – ” हाँ राजीव बोलो सब ठीक है किसी को कुछ हुआ तो नहीं … ठाकुराइन ठीक है ना और उनकी माँ ?? “

“सर हम पकड़े गए है”

“क्या मतलब हम पकड़े गए है? “

“सर हमें आना पड़ा  सामने और फिर उनको पता चल गया कि हम उनकी सुरक्षा के लिए है “

“ह्म्म्म कोई बात नही…ये बात हम बाद में करेंगे…. पहले ये बताओ कि  कुछ हुआ तो नहीं ना… सब ठीक है? “

राधिका ने इशारे से राजीव को फोन उसे देने को बोला

“हाँ सब ठीक है भुवन जी…. “

भुवन ने जब राधिका की आवाज़ सुनी तो एक पल के लिए वो ख़ामोश हो गया

“क्या हुआ आप चुप क्यों हो गए….? “आप हमें बतायेंगे कि ये सब क्या हो रहा है? और ये हमारी सुरक्षा की क्या बात हो रही है? और किस से सुरक्षा? “

“प्रणाम ठाकुराइन….ये सब आपकी सुरक्षा के लिए किया गया है..कुंवर जी के कहने पर…? “

“लेकिन क्यों हम ये पूछ रहे हैं? “

“आपको कुछ हो ना इसलिए “

“भुवन जी……हमें क्यों कुछ होगा? हम सीधे साधे से लोग है…. “

*आपकी शादी कुंवर से हुयी है और …. “

“बस करें…. शादी ,शादी ,शादी कोई शादी नही हुयी है हमारी और ये अपने गार्ड्स को आप ले कर जाओ हमें नही चाहिए जो होगा हम देख लेंगे “

“माफ़ करें हम ऐसा नहीं कर सकते कुंवर की बात हम टाल नहीं सकते “

“तो ठीक है हम बात कर लेंगे उनसे “

“जी ठीक है प्रणाम “

“राधिका ने बात करके फोन राजीव को दिया …. तभी देवेंद्र जी भी वापस आ गए… .. उन्होंने घर में लोगों को देखा और उनकी नज़र एक गार्ड के हाथ पर बने टैटू पर गयी……उन्होंने देखा तो समझ गए ये आदित्य के लोग है वो जानते थे कि कुंवर ऐसा करेंगे ! “

“राधिका ने देवेंद्र जी को देखा तो उनसे शिकायत करते हुए बोली – ताऊजी आप ही इन सबको मना करिए ना…. ये हमारी कोई बात नही सुन रहे और भुवन जी भी हमारी की बात नहीं सुन रहे है ! “

“लाडो ये कुंवर के लोग है और आपके लिए है अब उन्होंने आपसे शादी की है तो इतना तो आपकी सुरक्षा तो वो करेंगे ही ! “

“मुझे कोई सुरक्षा की ज़रूरत नही है…मैं अपनी सुरक्षा खुद कर सकती हूँ …मुझे ये सब लोग यहाँ नही चाहिए और हमारा कौन सा ऐसा दुश्मन है इतने दिनों से हम रह रहे है ना तो अब ये अचनाक सुरक्षा की बात कहाँ से आ गयी? “

” आपका कोई दुश्मन ना सही लेकिन कुंवर के दुश्मनों की कोई कमी नही है और अब आप से उनका रिश्ता है तो उनके दुश्मन हर संभव कोशिश करेंगे कि वो आपको नुकसान पहुँचाए! “

” मैं कुंवर से ही बात करती हूँ…” कहते हुए राधिका अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी “

“सुरेंद्र जी ने गार्ड्स को बाहर जाने के लिए कहा… शीतल जो अभी तक ये सब चुप चाप देख रही थी सुरेंद्र जी से बोली – राधिका बहुत गुस्से में है पता नही क्या कह दे कुंवर से ! “

“सुरेंद्र जी उसकी इस बात पर मुस्कुराते हुए बोले….. कुछ नही होगा हाँ इस बहाने दोनों में बात तो होगी … बाक़ी हमें लगता है कि कुंवर राधिका को समझा देंगे! “

“राधिका अपने कमरे में गयी और अपने मोबाइल में आदित्य का नंबर सर्च करने लगी …. और उसको फोन लगा दिया … आदित्य उस वक़्त एक ज़रूरी मीटिंग में बैठा हुआ राघव के साथ कुछ डिस्कस कर रहा था …..उसका फोन साइलेंट पर था और  वाईब्रेट कर रहा था…..आदित्य ने ज़्यादा ध्यान नही दिया फोन कट गया…..राधिका ने फिर से फोन लगाया….इस बार आदित्य ने फोन देखा  देखा तो  राधिका का फोन था… उसने मीटिंग को बीच में रोका और एक मुस्कुराहट उसके चेहरे पर आ गयी…मैं अभी आता हूँ कह कर.वो उठ कर बाहर गया ….

हैलो…. आदित्य ने कहा

कहाँ हैं आप ??और मेरा फोन क्यों नही उठा रहे ??

ओहो!! तो आप परेशान हो गयी हमारे फोन ना उठाने पर?

मैं कोई परेशान नहीं हूँ… मुझे आपसे बात करनी है

“आपको हमारी इतनी याद आ रही है?? हाय …..आप हुकुम करें अभी आ जाते है हम वैसे आप कहें… हम सुन रहे हैं आप बुलायेंगी तो ज़्यादा अच्छा लगेगा “

“याद क्यों आयेगी मुझे आपकी….. मुझे बस इतना कहना है कि ये भुवन जी को बोल कर आप अपने गार्ड्स यहाँ से हटवा दें

क्यों कुछ हुआ है? “

“कुछ नही हुआ और हम अपनी सुरक्षा खुद कर सकते है “

“ये तो नही हो सकता क्योंकि हम तो वहाँ हैं नहीं और आपकी सुरक्षा के लिए ये ज़रूरी है”

“अरे मुझे नही चाहिए ये गार्ड्स…. मैं कोई  वी.आई .पी नहीं हूँ नॉर्मल सी लड़की हूँ और मुझे कोई क्यों कुछ करेगा…. हज़ारों लोग रहते हैं इस दुनिया में  उनमें से मैं भी एक हूँ .. “

ठीक है …. आप जैसा कहें लेकिन एक शर्त पर ..

शर्त ??

“हाँ अगर आपने हमारी शर्त मान ली तो हम  भुवन से कह कर गार्ड्स को वहाँ से हटाने के लिए बोल देंगे”

” क्या शर्त है आपकी ? “

“आज से चार दिन बाद घर पर पूजा है आप इस घर की बहू बनकर   उस पूजा में हमारे साथ बैठेंगी तो हम गार्ड्स को हटने के लिए बोल देंगे….. लेकिन आपको किशनगढ़ लाने के बाद ….तब तक वो वहीं रहेंगे “

“मैं क्यों आपके साथ बैठूँगी??

आप सोच कर बता दें…. मेरी मीटिंग चल रही है मैं आपसे बाद में बात करता हूँ…

आदित्य ने कह कर फोन कट कर दिया

राधिका ने देखा फोन कट हो गया है… उसने बुरा सा मूहँ बनाया और वहीं रखी हुयी कुर्सी पर बैठ गयी

राधिका….. शीतल ने पुकारा

हाँ…

क्या हुआ बात हुयी कुंवर से कहते हुए शीतल उसके सामने पलंग पर बैठ गयी

हाँ …

क्या कहा उन्होंने !?

“वो बोले की वो हटा लेंगे गार्ड्स को लेकिन हमें उनके घर पूजा में जाना होगा और उनके साथ उस पूजा में बैठना होगा  जो चार दिन बाद है …. मैं कैसे उनके साथ पूजा में बैठ सकती हूँ?? “

“हम्म…. सही कहा आप कैसे बैठ सकती है? आप तो मानती नही इस रिश्ते को तो आपने मना कर दिया ?? “

“उन्होंने कहा सोच कर बताना…कोई मीटिंग थी उनकी  और तब तक वो गार्ड्स वही रहेंगे “

तो क्या सोचा आपने??

कुछ नहीं……

चलो आप सोच लो…. हम थोड़ा काम निबटा लें कह कर शीतल चली गयी

राधिका कुर्सी पर से उठी और खड़की के पास जा कर खड़ी हो गयी….. क्या करूँ? कुछ समझ नही आ रहा

तभी उसका फोन बजा…. कावेरी का फोन था….. उसने जल्दी से फोन उठाया और बोला

हैलो

दूसरी तरफ से कावेरी की ज़ोर ज़ोर से रोने की आवाज़ आ रही थी …

क्या हुआ कावेरी ??  राधिका ने पूछा

कावेरी ने रोते हुए और हिचकियाँ भरते हुए कहा… राधिका मम्मी मुझे छोड़ कर चली गयी

क्या…. आंटी …. कावेरी हिम्मत रख…

उसने वैसे ही रोते हुए कहा कहाँ से हिम्मत रखूँ…. राधिका वो ही मेरा परिवार था,… राधिका मैं क्या करूँ ???

कावेरी…… रो मत आंटी को दुख होगा…मैं  आती हूँ

नही… तुम मत आओ कावेरी ने  रोते हुए कहा.. मैं बाद में बात करती हूँ ..

ठीक है अपना ध्यान रखना और कोई बात हो तो बताना मैं आ जाऊँगी

हम्म कह कर कावेरी ने फोन कट कर दिया

राधिका शीतल के पास आयी और उसने सब बताया….

अब हम ही उसका परिवार है आपको तो पता है कोई नही है उसका मामा जी भी उसके अकेले ही है

बिलकुल ये भी कोई कहने वाली बात है शीतल ने कहा

ओम ठाकुर अपने कमरे में चहल कदमी कर रहा था और बार – बार अपने फोन की तरफ देख रहा था…. जब उस से रहा नही गया तो उसने विक्रम को फोन किया

हैलो.. हाँ पापा बोलिए

क्या बोलिए…. कुछ पता चला?

अभी तो नहीं

“आधा दिन निकल गया और तुम्हें कुछ पता नही चला ?? कैसे निकम्मे लोग रखे हुए हैं तुमने…. आदित्य को देखो उसके कहने की देर होती है और उसके लोग कहीं से भी पता कर लेते है सब कुछ”

मैं कर रहा हूँ.. आप फिकर ना करें बिना पता करे मैं आऊंगा नहीं

देखते है??

रात बीती और  सुबह  हो गयी…. राधिका ने सबसे पहले कावेरी को फोन किया और फिर फ्रेश हो कर किचन में आ गयी..उसने देखा .. शीतल बड़े से बर्तन में चाय बना रही थी

माँ इतनी चाय.. कौन आया है??

कोई नही वो गार्ड्स हैं ना तो मैंने सोचा चाय तो बना देती हूँ…वैसे तो वो कुंवर के लोग है तो ये सब करने की ज़रूरत नही है… वो बहुत ध्यान रखते है…. लेकिन फिर भी

शीतल ने कहा तो राधिका को आदित्य की बात याद आ गयी

क्या सोचने लगी…. शीतल ने कहा

कुछ नही….

तुम नाश्ता करो मैं बस आती हूँ ताऊजी भी इंतजार कर रहे है

ठीक है.. कह कर राधिका चली गयी और देवेंद्र जी के साथ बैठकर नाश्ता करने लगी

शीतल ने देवेंद्र जी को रात वाली बात बता दी थी…. वो भी इसी इंतजार में थे कि राधिका क्या कहेगी

उन्होंने देखा राधिका चुप चाप नाश्ता कर रही है… उन्होंने पूछा — लाडो क्या हुआ?

उनकी आवाज़ सुनकर राधिका जैसे नींद से जागी……

कुछ नहीं ताऊजी…

तो इतना चुप क्यों हो??

बस यूँ ही….

राधिका ने नाश्ता किया और उठ कर कमरे में चली गयी

देवेंद्र जी ने शीतल से कहा – लगता है राधिका हाँ बोलेगी जाने के लिए

आपको कैसे पता ??

बस.. लग रहा है वरना वो यूँ चुप – चुप नही रहती .. अभी तक तो उसने मना कर दिया होता…. वो सोच रही है मतलब उसकी हाँ होगी

ना भी तों हो सकती है

नहीं… राधिका इतना वक़्त नही लगाती ना कहने में…

हम्म शायद आप ठीक कह रहे है दोनो मुस्कुराते हुए नाश्ता करने लगे ! “

पापा…. कहते हुए विक्रम घर के अंदर आ रहा था

लो आ गए जनाब…..कुछ पता किया या खाली हाथ आ गए  …. ओम ठाकुर ने कहा

आप अंदर चलिए सब बताता हूँ

ओम ठाकुर विक्रम के साथ अंदर वाले कमरे में चले गए

अब बोलो भी…

पापा ये लड़की राधिका है सोनपुर वाले सुरेंद्र अंकल की बेटी…. जिसके बारे में सुना था कि ताऊजी ( उदय ठाकुर) ने आदित्य का रिश्ता इस से तय किया था..

लेकिन फिर कोई बात आगे हुयी ही नही कभी |

सुरेंद्र की बेटी….

हाँ… आपको याद होगा ताऊजी की डेथ पर देवेंद्र अंकल आए थे….. वैसे तो कभी हमने उनको देखा नही लेकिन तब आए थे… और शीतल आंटी आयी थी ना ताईजी जब नही रही थी

मतलब ये…. रिश्ता बन गया ??

“हाँ पापा…. बहुत मुश्किल से पता चला कि  आदित्य ने राधिका से शादी कर ली..बिना किसी को बताए… मन्दिर में जहाँ केवल पुजारी, आदित्य, राधिका और भुवन थे… सारा मन्दिर कुछ देर के लिए खाली करा दिया था “

सुरेंद्र और शीतल??

वो लोग नही थे बाद में आए… आदित्य ने राधिका की बिना मर्ज़ी के शादी की है उन दोनो को अपने पास रख कर

ओम मुस्कुराते हुए तालियाँ बजाने लगा… वाह!!  आदित्य क्या बात है…..तुमने शादी कर ली…… विक्रम अब तो हमें बहुरानी से मिलना होगा…. इंतज़ाम करो ज़रा

विक्रम ने मुस्कुराते हुए कहा…. बिलकुल पापा भाभी से तो हम भी मिलना चाहेंगे

और दोनो हँसने लगे |

शाम के वक़्त राधिका अपने कमरे में बैठे हुए सोचे जा रही थी…उसने अपना फोन उठाया और आदित्य को फोन लगा दिया

एक ही रिंग में उधर से आदित्य ने फोन उठा लिया और बोला

जी.. कहें क्या सोचा आपने??

“हम…… आ जायेंगे पूजा में… लेकिन आपको वादा करना होगा कि आप गार्ड्स को हटा लेंगे “

आदित्य मुस्कुराया और बोला… “बिलकुल आपने हमारी बात मानी तो हम भी वादा करते हैं कि जो हमने कहा वो करेंगे … एक बात और …

अब और क्या है ?? राधिका ने थोड़ा खीजाते हुए कहा

आप पूजा में आ रही है तो  हम आपके लिए कुछ भेज रहें है वही पहन कर आईयेगा और इस घर की बहू बन कर

भुवन आपको लेने आ जायेगा… और हमें आपका इंतजार रहेगा |  बाय

राधिका ने कुछ नही कहा और फोन रख दिया |

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा… जल्दी ही फिर मिलूँगी नये भाग के साथ !!

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग – 7 – अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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