दास्तान इश्क़ की (भाग – 5) – अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा..

आदित्य राधिका की शादी हो गयी है… राधिका इस शादी को मानने से इंकार कर देती है….

अब आगे..

आदित्य के चले जाने के बाद शीतल और देवेंद्र जी सब कुछ वक़्त पर छोड़ देते हैं और अपने रोज़ के कामों में लग जाते हैं

राधिका अपने पलंग पर लेटी हुयी कल जो हुयी उन सारी घटनाओं को सोचती है तभी उसके फोन में रिंग होती है…. वो देखती है तो कावेरी का फोन था…. राधिका जल्दी  से फोन उठती है और बोलती है

हैलो… कावेरी कैसी हो…और ऑन्टी कैसी हैं ?

मम्मी ठीक नही है राधिका…. अभी मुझे यहीं रुकना होगा.. तुम बताओ सब ठीक है वहाँ?

हाँ.. यहाँ सब ठीक है… और तुम ऑन्टी का ध्यान रखो

राधिका कुछ हुआ है क्या?

नहीं कुछ भी तो नही… क्यों पूछा

तुम्हारी आवाज़ को क्या हुआ..

वो हमारा थोड़ा गला खराब है

ठीक है अभी रखती हूँ… ध्यान रख अपना और जो बात तुम नही बता रही हो… मन हो तो बता देना बाय

बाय.. राधिका ने कहा और उसके होठों पर हल्की सी हंसी आ गयी

फिर उसे आदित्य ने जो किया वो याद आ गया  तो फिर से वो उदास हो गयी

राधिका शीतल ने कमरे में आते हुए कहा

चलो बेटा कुछ खा लो… रात से कुछ खाया नही तुमने

माँ राधिका ने पुकारा

हाँ

आप नाराज़ हैं मुझसे ?

नही तो मैं क्यों नाराज़ होऊँगी?

वो शादी को लेकर…

शीतल ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोली….. मैं वही बात कहूँगी तुमसे ताऊजी ने कही…. शादी हो गयी है तुम्हारी तुम्हारे मानने या मानने से कुछ बदल नही जायेगा…..कुंवर बहुत अच्छे हैं वो बिलकुल अपने पिता जैसे हैं …

सबका ध्यान रखने वाले मैं तारीफ़ नही कर रही जब तुम उन्हें जनोगी तब पता चलेगा ….बस उन्होंने जो इस बार किया वो गलत था… लेकिन वो अपने और तुम्हारे पापा की इच्छा पूरी कर थे….तुुम ये सब छोड़ो और चलो कुछ खाओ तुमने कल से कुछ खाया नही है

हम्म.. आप चलिए हम आते है

शीतल राधिका के कहने पर बाहर निकल आयी …. राधिका शीतल की बातों को सुन रही थी और सोच कुछ  भी रही थी

वो फ्रेश हो कर बाहर आयी और शीशे के सामने खड़ी हुयी उसकी नज़र मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पर गयी उसने मंगलसूत्र उतारा और वहीं दराज़ में रख दिया वो आयी  तो देवेंद्र जी उसका नाश्ते पर इंतज़ार कर रहे थे |

ताऊजी ….राधिका ने कहा

उठ गयी आप…?

जी ताऊजी आपने नाश्ता नही किया?

हम आपका इंतज़ार कर रहे थे देवेंद्र जी ने देखा राधिका ने मंगलसूत्र उतार दिया था लेकिन उसकी माँग में सिंदूर लगा हुआ था

वो मुस्कुराते हुए बैठ गयी और तीनो नाश्ता करने लगे

देवेंद्र जी ने नाश्ता करने के बाद राधिका से पूछा तो कब खुल रहा है आपका कॉलेज ?

अभी एक महीने बाद

अच्छा ………

माँ कावेरी का फोन आया था उसकी मम्मी की तबियत ठीक नहीं है आप बात कर लेना ….और आज दोपहर का खाना हम बनाएंगे ताऊजी की पसंद का… कहते हुए वो मुस्कुरा रही थी

राधिका को मुस्कुराता देख शीतल ने अपने मन में सोचा चलो सब ठीक है अब बाक़ी तो भगवन की मर्ज़ी ……

उधर आदित्य किशनगंज के रास्ते में था उसने किसी से बात नहीं की… भुवन ने एक बार पीछे मुड़ कर देखा तो आदित्य आँखों को बंद किए हुए और सीट पर अपना सिर टिकाए हुए था

भुवन ने पूछा… आप ठीक है कुंवर ?

आदित्य ने यूँही आँखों को बंद करे हुए  हम्म कहा

आगे क्या सोचा आपने ?

कुछ नहीं .. बस आप कुछ लोगो को राधिका की निगरानी पर लगा दें… लेकिन उनको पता नही चलना चाहिए

जी ठीक है…

दोपहर तक आदित्य   किशनगढ़ पहुँच गया… भुवन ने उसका दरवाज़ा खोला और कहा हम आ गए

आदित्य उठा और गाड़ी से बाहर आ गया

वो घर के अंदर पहुँचा और तेज़ कदमों से चलता हुआ अपने रूम की तरफ बढ़ गया एक नौकर ने भुवन से कहा – खाना लगा दूँ ?

हाँ लगा दो वो  नौकर किचन की तरफ चला गया

आदित्य ने अपने कपड़े बदले और अपने फोन की तरफ देखा… उसने फोन उठा कर एक नंबर मिलाया… दूसरी तरफ से किसी ने फोन नहीं उठाया…. आदित्य ने फिर से नंबर मिलाया इस बार फोन किसी ने उठा लिया

हैलो…. कौन? फोन राधिका ने उठाया था

हम बोल रहे हैं ..

हम कौन ?

आप हमारी आवाज़ नही पहचान रहीं हैं ?

नही… और आप जो भी हैं हमे आपसे बात नही करनी है

उफ्फ आपका गुस्सा…. ये आपकी नाक पर बैठा रहता है क्या ??जो आपके मुह खोलते ही उसमे आ जाता है

देखिये मिस्टर …..आप जो भी है गलती से मेरा नंबर लग गया है आपके फोन से.. मै फोन रख रही हूँ

हम आदित्य बोल रहे है… और ये हमारा नंबर सेव कर लें आप

राधिका ने जब सुना कि फोन के दूसरी तरफ आदित्य है तो उसने पूछा

आप??? आपको मेरा नंबर कहाँ से मिला?

राधिका …..ये कैसी बात कर रहीं हैं आप? आप हमारी पत्नी और आपका नंबर हमारे पास होगा ही इसमें हैरानी की क्या बात है

खबरदार एक शब्द और कहा तो .. हम कोई आपकी पत्नी नही हैं और कोई शादी नहीं हुयी हमारी…. ऐसे कोई शादी होती है?

ओह!! तो आप इसलिए गुस्सा है कि हम बारात लेकर नहीं आए …..आप कहें तो हम बारात ले कर आयेंगे बताए कहे कल ही आ जाते है

चुप करे आप और आगे से फोन मत करना कह कर राधिका ने फोन काट दिया

आदित्य हल्के से मुस्कुराया और फोन की तरफ देखकर बोला – “आपका गुस्सा हमें बेहद पसंद है और जब आप गुस्से में बोलती है ना तो और अच्छा लगता है “

कौन अच्छा लगता है…. हमें भी तो बताओ?

आदित्य ने घूम कर देखा तो राघव खड़ा था

वो उसके पास आते हुए बोला…. बताओ कौन अच्छा लग गया ?

राधिका…..

सुरेंद्र अंकल की बेटी….तुम उनसे मिल कर आ रहे हो?

“नहीं उनसे शादी करके “

शादी करके मतलब?

“मैंने राधिका से शादी कर ली “

ओ भाई क्या बोले जा रहा है….

“करनी पड़ी शादी वो मान नहीं रहीं थी “

सब बताया तुमने ?

“नहीं उनके ताऊजी ने बताया “

फिर..

वो फिर भी नहीं मानी… और हमें मजबूरी में ताऊजी और उनकी माँ को थोड़ी देर के लिए अपने पास रखना पड़ा…

मतलब तुमने ज़बरदस्ती की ?

हाँ…

आदि ये क्या किया…. मनाया जा सकता था ना उनको… थोड़ा वक़्त देना चाहिए था.. ऐसे तो वो नाराज़ हो जायेगी तुमसे

“जायेंगी क्या… है ही.. उन्होंने कह दिया वो इस शादी को नहीं मानती “

तो फिर अब क्या होगा वो वहाँ और तुम यहाँ ऐसे रहोगे?

फिल्हाल तो ऐसे ही रहना होगा…

किसी को पता चला तो क्या होगा पता है.??.. तुम्हारे दुश्मन छोड़ेंगे नहीं उनको …

इसीलिए किसी को बताया नहीं… अभी उनको वहीं रहने दो..तुम बताओ काम हुआ ??

हाँ.. थोड़ा बहुत

तभी भुवन ने कमरे में आया…. कुंवर खाना लग गया है आप चलें

चलो …बाक़ी बातें बाद में आदित्य ने राघव को चलने के लिए कहा

राघव आदित्य का बचपन का दोस्त… राघव के पिता वीर प्रताप

जी किशनगंज के सरपंच में से एक थे और आदित्य के पिता के दोस्त एक तरह से घर जैसा रिश्ता था उनका… आदित्य उनको बहुत मानता भी था |

राधिका ने एक बार अपने फोन की तरफ  देखा खुद ही बोलने लगी…. “ये देखो इनकी इतनी हिम्मत की मुझे फोन करें…

और इनको नंबर मिला कहाँ से? कह तो दिया मैं नहीं मानती इस शादी को…. ताऊजी से कह कर सारा सामान भिजवा दूंगी  ” वो बडबड़ाये जा रही थी और खाना बना रही थी….

मैं कुछ मदद करूँ.. ?शीतल ने कहा

नहीं मैं कर लूँगी… आप बैठे

ज़रा देख कर राधिका वो खीर है उसमें नमक डाल रही हो कहते हुए वो हँसने लगी…

राधिका ने देखा उसने चीनी नही नमक हाथ मे  लिया  हुआ था ….. ये कुंवर की वजह से उसने बोला

“क्या कहा कुंवर की वजह से..”??

हाँ ….और नही तो क्या अभी फोन आया था उनका उनको नंबर किसने दिया मेरा …..राधिका बोले जा रही थी और उसे देखकर शीतल हँस रही थी

आप क्यों हँस रहीं हैं ?

“हम ये सोच रहे हैं कि कुंवर को सोचने भर से ये हाल है आपका तो जब वो सामने होंगे तब क्या करेंगी आप “

.

“क्यों होंगे वो यहाँ ?? आज ही हम ताऊजी से कह कर उनका सारा सामान भिजवा देंगे “

शीतल बस मुस्कुरा रही थी

क्या हुआ आप क्यों मुस्कुरा रही है?

कुछ नहीं चलो खाना लगा लेते है …..सबने खाना खाया….

राधिका ने देवेंद्र जी से कहा…. ताऊजी आप उनका सामान भिजवा दीजिए

किसका…. ???

कुंवर का

कौन सा सामान ??

“वही जो उन्होंने शादी करने के लिए दिया था”

“वो लेकर नहीं जायेंगे… आपके लिए था वो  “

लेकिन ताऊजी….. “हम कभी भी नही मानेंगे इस शादी को”

“राधिका …. रहने दो… शीतल वो सारा सामान आप रखवा

दो “

जी शीतल ने कहा -“आप भी थोड़ा आराम कीजिए

आराम ही तो कर रहे है….. यहाँ वैसे भी अभी कोई काम नही है ….

राधिका आप का क्या प्लान है….?? देवेंद्र जी ने शीतल से पूछा

“कुछ खास नही है ताऊजी कावेरी नही है तो हमें सोच रहे हैं कि जो भी पेंडिंग वर्क है उसको कर लेते है…. मार्केट के कुछ काम है और कल तो मन्दिर जाना है ना माँ…. माता रानी की चुनरी चढ़ाने “

हाँ कल तो मन्दिर जाना है.. शीतल ने कहा

तो आज नही जाते कल कर लेंगे काम…… वैसे आपने कावेरी को फोन किया??

हाँ किया था सुधा जी ठीक नही है… और पता नही कितने दिन लगेंगे वहाँ…….. बस वो ठीक हो कर आ जाए

किशनगढ़  में अभी किसी को पता नही था कि आदित्य ने शादी कर ली है….

शाम के समय वीर प्रताप जी और उनकी पत्नी रुपाली  आदित्य के घर आए….. सब बैठे हुए थे… राघव और भुवन भी वहीं पर थे …….चलें अंदर चल कर बात करते हैं

सब अंदर रूम में चले गए

भानु प्रताप जी ने कहा – आदित्य आपने किसी को बिना बताए इतना बड़ा कदम कैसे उठा लिया ?…. शादी और वो भी ऐसे..

अभी तक तो किसी को पता नही था कि ऐसा भी कुछ है…आपने अपने साथ राधिका की जान को भी खतरे में डाल दिया ….. आपके अपने ही  आपके दुश्मन है वो कुछ भी कर सकते है इस जायदाद के लिए उस जगह के लिए जहाँ आप हैं

आप एक बार  बता तो देते कि आप ऐसा कुछ करने जा रहे हैं …. आपने देवेंद्र जी और शीतल का ऐसे अपने पास रोक कर राधिका से शादी की ….हम सब बात करते उनसे .. वो क्या समझेगी आपके बारे में….?

“रुपाली ने कहा आपके काका ठीक कह रहे है….. आपने ठीक नही किया “

“काकी और कोई रास्ता नही था हमारे पास उन्होंने साफ मना कर दिया था “

कुंवर आप इतने समझदार है थोड़ी सी कोशिश करते.. वक़्त देते उनको हम सब थे ना .. खैर अब जो हो गया वो हो गया… राधिका की सुरक्षा के लिए आपने कुछ किया?

“अभी किसी को पता नही है तो ज़्यादा कुछ डर  की बात नही है.. “आदित्य ने कहा

“जहाँ शादी की आपने वहाँ से तो पता चलेगा आजकल नेट का ज़माना है किसी ने आपकी फोटो ले ली होगी तब सबको पता चला जायेगा “

“कोई नही था मन्दिर में बस पुजारी जी मैं राधिका और भुवन के अलावा”

“चलिए ये एक अच्छी बात है.. अभी फिल्हाल किसी को भी पता नही चलना चाहिए राधिका के बारे में… बाद में बता देंगे आप उनके लिए सुरक्षा का इंतज़ाम ठीक से करियेगा ‘

जी….भुवन देख लेंगे

ठीक है तो हम अब चलते है ….

“खाना खा कर जाइए काका”

नहीं अभी हम चलते है फिर कभी खा लेंगे… कह कर वीर प्रताप उठे और साथ में रुपाली भी..राघव आज आदित्य के साथ रुकने वाला था कुछ डिस्कस करने के लिए

आदित्य ने दोनों के पैर छुए और वो लोग चले गए

अगले दिन सुबह 11 बजे राधिका और शीतल मन्दिर जाने के लिए निकले…भुवन ने जिन गार्ड्स को राधिका के लिए रखा था… उन्होंने भुवन को बताया कि वो मन्दिर जा रहे है… भुवन ने दोनों का ध्यान रखने के लिए बोला

राधिका और शीतल मन्दिर में पंडित जी को पूजा का सामान दिया पंडित जी ने पूजा का सामान लिया और उसमे देवी माँ की चुनरी उढ़ायी और बाक़ी सामान उनको वापस कर दिया ….

राधिका मन्दिर की सीढ़ियों से उतर कर नीचे आयी और एक तरफ जहाँ कुछ दुकाने थी वहाँ जाने लगी.. शीतल भी उसके साथ थी…. तभी कोई बहुत तेज़ से आकर शीतल से टकराया शीतल का बैलेंस बिगड़ा और वो गिर ही जाती लेकिन राधिका ने उसे संभाल लिया

उसने देखा तो एक लड़का भाग रहा था..

राधिका को गुस्सा आ गया… उसने शीतल से पूछा आप ठीक है ?

शीतल ने हाँ में सिर हिलाया …. राधिका ने उसे वहीं छोड़ा और उसे लड़के के पीछे भागी

राधिका रुको तो… शीतल की आवाज़ जब तक उसको सुनाई देती वो वहाँ से जा चुकी थी…

अरे कहाँ गयी… ये लड़की भी ना

राधिका उस लड़के का पीछा करते हुए काफी दूर तक आ गयी थी …….उसने देखा वहाँ कोई दिखायी नही दे रहा है….. उसने पीछे घूम कर देखा वहाँ भी कोई नही था…. वो वापस जाने लगी कि तभी आवाज़ आयी..

आज नहीं लडोगी उस दिन की तरह

उसने देखा सामने 10, 15 लड़के खड़े है और उसने सबको देखा उनमें वो दो लड़के भी है जिन्हें उस ने कॉलेज में मारा था…

वो हँसी और बोली…. अच्छा तो ये तुम हो ?

उस दिन कम पिटे थे जो आज फिर आ गए और वो इतने  और लेकर इनको भी पिटवाना है क्या?

“बकवास बंद कर अपनी…. हम तुझे पीटने आए है उस दिन तो बच गयी आज नही बचेगी “

“राधिका ने उनकी तरफ देखा और बोली….देखो हम शांति से बोल रहे है चले जाओ… “

“क्यों तुम डर गयी उनमें से एक ज़ोर से हँसा

लो तुम तो कहते थे कि इसने तुम्हें मारा और ये तो शांत रहने को बोल रही है”

“वो सच ही बोल रहा था… तभी तो तुमको भी लाया है वरना खुद ही सोचो अगर हमने नहीं मारा होता तो तुमको क्यों लाता वो भी मैं अकेली हूँ अभी मतलब कुछ तो बात होगी ना

वो तो अभी पता चल जायेगा ऐसा कह कर एक लड़का राधिका कि तरफ बढ़ा….. राधिका ने अपने दुपट्टे को साइड में बँधा और हल्के से मुस्कुरायी….. जैसे ही उस लड़के ने राधिका को मारने के लिए हाथ उठाया… राधिका ने उसे ज़ोर से लात मारी वो दूर जा कर गिरा

भुवन के भेजे हुए गार्ड्स भी राधिका का पीछा करते हुए तब तक वहाँ आ गए थे… उनमें से एक ने  भुवन को फोन किया तब तक राधिका ने दो और लड़को को मार कर गिरा दिया था…

दो लोग और राधिका की तरफ बढे राधिका थोड़ा सा पीछे हुयी जैसे ही उन लोगो ने राधिका को मारने की कोशिश कि गार्ड्स ने उनको मार गिराया राधिका ने देखा तो वो लोग कुछ दूर जा कर गिरे हुए थे…..

उन गार्ड्स में से एक ने राधिका के हाथ जोड़े और बोला आप जाए हम देख लेंगे इनको..

आप कौन है…. ?राधिका ने पूछा

इतना समय नहीं है अभी आप जाए  बाद में बता देंगे उनमें से एक ने राधिका  के साथ वापस जाने का इशारा किया

उसने फिर कहा……आप जाए

राधिका उस एक गार्ड के साथ वापस लौट रही थी उसने पीछे पलट के देखा तो गार्ड्स उन लड़को को बुरी तरह मार रहे थे

राधिका को समझ नही आ रहा था ये क्या हो रहा है…. वो तेज कदमो से शीतल जहाँ थी वहाँ बढ़े जा रही थी

मन्दिर पहुँच कर राधिका ने देखा कुछ लोग शीतल के चारों तरफ खड़े है वो दौड़कर शीतल के पास गयी और उसको गले से लगाते हुए बोली…. आप ठीक हैं कहीं लगी तो नही आपको ?

शीतल ने उसके सिर पर हाथ फेरा और बोली.. हम ठीक है आप शांत हो जाओ

राधिका शीतल से अलग हुयी और उसने उन गार्ड्स में से जो उसके साथ आया था उस से पूछा… क्या नाम है आपका ?

जी राजीव

राजीव मैं माँ को लेकर घर जा रही हूँ… आप सब मुझे मेरे घर पर आकर मिलो ….

राजीव ने हाँ मे सिर हिलाया

राधिका शीतल को लेकर घर चली गयी

दोपहर हो चली थी इस वक़्त  सूरज अपने सबसे उग्र रूप में था…. एक घर जिसमें क़रीब 28  साल की उम्र का एक शक़्स सोफे पर बैठा हुआ एक हाथ में सिगार लिए अपने मोबाइल को स्क्रॉल कर रहा था…… कि तभी उसकी स्क्रीन पर नोटिफिकेशन के साथ एक वीडियो क्लिप आयी… उसने वो क्लिप खोली और देखने लगा क्लिप देखते- देखते उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी… वो उठा और तेज़ कदमों से चलता हुआ एक कमरे में दाख़िल हुआ….

उसने पुकारा पापा ये देखिये….

और अपना फोन उनके हाथ में दे दिया… फोन देखते हुए उनके चेहरे पर भी मुस्कान तैर गयी उन्होंने शातिर नज़रों के साथ उसे देखा और बोला – ये तो आदित्य के गार्ड्स है इनके हाथ पर ये टैटू देखो….विक्रम पता करो इस लड़की के बारे में आदित्य के गार्ड्स इसे बचाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा…. फिर मिलूँगी नये भाग के साथ

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग – 6) – अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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