डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -64)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

नैना …

हिमांशु ! सच में एक प्यासी आत्मा जैसा है।

और इधर मैं हूं, जिसका उसकी उस प्यास का जो उसके अंदर छलछला रहा है, से कोई अंतरिम संबंध नहीं दिख रहा है।

लग रहा है … दो विपरीत  भावनाओं से मुठभेड़ का समय आ रहा है।

एक ओर ख्वाबों से भरा उसका प्रेमी मन और दूसरी तरफ अनंत ख्वाहिशों से भरे मेरे दकियानूसी परिवार की मजबूरियां।

” लेकिन फिर भी,

 अक्सर जीवन में सब कुछ ब्लैक ऐंड व्हाइट ही नहीं होता है बल्कि इन दोनों के बीच भी बहुत कुछ ऐसा होता है ,

जिसे हम स्वीकार तो करना चाहते हैं पर उसे जग ज़ाहिर भी नहीं करना चाहते हैं “

” दरअसल , यही जीवन का ‘ग्रे’ कलर है “

नैना बैग से मोबाइल निकाल कर उसमें हिमांशु के नम्बर ढूंढ़ रही है।

अगले हफ्ते फ्लैट की चाबी नैना को मिलने वाली है।

जया एवं सपना ने  मिलकर उसके  गृहप्रवेश समारोह की छोटी सी तैयारी पूरी कर ली है।

मुहूर्त निकाला जा चुका है।  घर पर अनुराधा और विनोद भाई को भी खबर दे दी गई।

उस छोटे से शहर में अनुराधा के लिए उतनी ओपनिंग नहीं होने की वजह से वह यहां नैना के पास किसी तरह आने का मौका ढ़ूंढ़ रही है।   

गृहप्रवेश की पूजा में मां का सम्मान करती हुई नैना ने घर के पूजाघर में मां के ठाकुरजी को ही प्रतिष्ठित किया है।  जिसके सामने छोटी  संगमरमर की चौकी पर रामनामे के  छापे वाले कपड़े में मां की  ‘मानस पुस्तिका’ रखी। जिसे उसने दैनिक पूजा के लिए पर्याप्त माना गया।

नैना की सोच ! 

” अगर रामायण में राम की चरण-पादुका भरत के राजकाज का माध्यम बन सकती है।

तो मेरे घर में मां की मानस कथा स्वर्गीय मां के संतोष का कारण क्यों नहीं ?

उस पूरी रात पिता को नींद नहीं आई थी।

नैना की पूर्व की तस्वीर  आंखों के सामने नाचती रही थी।

तब की … जब वो — उसपर सदैव नाराज रहा करते।

एवं जिसे  उन्होंने घर से बाहर निकल कर  बाहर पढ़ने तक की इजाजत नहीं दी थी।

आगे …

अगला भाग

डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -65)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!