डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -24)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

उसके सांसों की धौंकनी तेज चल रही है।

” सामाजिक विकास के नाम पर कभी न बदलने वाली सोच के खिलाफ़  क्या वह अपने अस्तित्व को बिखरने से बचा पाएगी ?

उसे ऐसा लग रहा है। इस सोच के मकड़जाल में फंसकर मानों वह  सबको मदद के लिए पुकार रही है।

और आसपास खड़े लोग सब उसपर  हंस रहे हैं।

लेकिन उस निराशा के बादल में भी  नैना को अपनी आशाएं और इच्छाएं  जुगनुओं के समान जलती – बुझती लग रही है।

बहरहाल  ,

अगले महीने  इग्जाम  होने वाले हैं।

वह इसके लिए कठिन मेहनत भी कर रही है। लेकिन  उसकी यह मेहनत घर में किसी को रास नहीं आ रही है।

मां ने बिस्तर पकड़ लिया है।

ऐजमेटिक तो वो पहले से ही थीं। अब उन्हें बुखार भी आने लगा है।  यह कोई आश्चर्य में डूबने वाली बात नहीं थी अतः नैना को भी कोई आश्चर्य नहीं हुआ। उसने चुपचाप  किचेन का काम संभाल लिया है।

वह पांच बजे उठ जाती है। मां को चाय , दवाईयां,और नाश्ता खाना दे कर पिता और खुद के लिए लंच तैयार कर काॅलेज के लिए निकल जाती है।

उसके बाद का समय उसके लिए बहुत अच्छा और मनभावन बीतता है।

वह सुकून से अपनी किताबों के संसार में पढ़ाई में जुटी रहती है।

शाम होते ही फिर से वही दिनचर्या दोहराती है।

एक दिन मां को देखने के लिए घर पर ही डाक्टर बुलवाऐ गये जिनके अनुसार उन्हें आराम की सख्त जरूरत थी।

नैना बुदबुदाई ,

” वो तो ये पहले से ही कर रही हैं “।

अब मां की एक ही रट थी ,

” विनोद,  तू ब्याह कर ले “। 

मां की  बहुत इच्छा थी घर में बहू आ जाए तो वे शांति से रह पाएं।

घर के लिए एक अदद बहू की तलाश शुरू हुई थी।

एक दिन मां खुशी से भरी हुई नैना को एक तस्वीर दिखाती हुई ,

” देखो तो नैना , कैसी दिखती है ? “

नैना ने उचटती नजर से देखी थी फोटो। स्टूडियो में नकली फूलों वाले गमले के पास खड़ी थी एक परेशान सी लड़की।

” ठीक है ”  कह कर यह सोचती हुई कि ,

” आखिर उसके हां- ना करने से होगा भी क्या? घर में उसकी सुनी कब जाती है ? “

 फोटो लौटा दी थी।

और मन ही मन ,

” चलो मेरी जगह लेकर मां की खड़ी- खोटी सुनने वाली का स्वागत दिल से करूंगी ”  होंठों पर मुस्कान छा गई थी।

आगे ‌…

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