कंपटीशन – डॉ संगीता अग्रवाल   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: आज बहुत रौनक थी पूरे स्कूल में,पेरेंट्स टीचर्स मीट जो थी।स्कूल के गलियारे में लगातार बच्चे अपने मम्मी,पापा संग आ रहे थे।

रिया बहुत सहमी हुई सी बैठी थी अपनी मां रेवती के साथ क्योंकि उसका रिजल्ट अच्छा नहीं आया था और आज उसकी क्लास टीचर शिखा मैम,मम्मी के सामने उसकी किरकिरी करने वाली थीं।

अचानक उसका नाम पुकारा गया,वो अपनी मम्मी के साथ उठ खड़ी हुई और लड़खड़ाते कदमों से उस तरफ बढ़ी।

वहां से अनु की मम्मी, अनु के साथ टीचर से मिलकर लौट रही थीं।उनके चेहरे पर दर्प वाली मुस्कान थी।

हमारी अनु फर्स्ट आई है पूरे सात सेक्शनों में…उन्होंने रेवती को बताया तो वो जल भुन गई क्योंकि रिया का रिपोर्ट कार्ड वो देख चुकी थीं और अंदर उन्हें ताने सुनने हैं ये जानती थी,ओढ़ी हुई जबरदस्ती की मुस्कराहट से वो बोलीं,”बधाई हो!”

उन्होंने बताया, साइंस में अनु को पूरे मार्क्स मिले हैं,पूरे शत प्रतिशत..

कहीं कोचिंग ले रही है क्या?”रेवती बोलीं।

तु

बेस्ट “आकाश इंस्टीट्यूट” से पढ़वा रही हूं इसे,हजारों में फीस है…

अभी से?अभी तो ये सिर्फ सातवीं कक्षा में हैं…रेवती को आश्चर्य हुआ।

शुरू से ही अच्छी कोचिंग मिल जाए तो बच्चों का भविष्य ठीक रहता है।

तब तक,शिखा मैम के सामने आ गए थे वो दोनो।

रेवती जी!आपकी बेटी साइंस में फेल हो गई है…आपने देखा।

जी..आंख झुकाए वो बोली, मै अपने समय की यूनिवर्सिटी टॉपर हूं और मेरी बेटी….!

आप पढ़ाते नहीं इसे?शिखा मैम बोलीं।

व्यस्तता के रहते वक्त नहीं मिलता,कोई ट्यूटर हो तो बताएं।

सिंह सर ही हैं जो होम ट्यूशन भी देते हैं,उनसे बात कर देखिए।शिखा बोली।

मम्मा! मै इनसे नहीं पढ़ूंगी,रिया ने प्रतिरोध किया।

क्यों नहीं पढ़ेगी?बस फेल होकर हमारी नाक करवाएगी।

तभी सूरज के पापा,दीक्षा की बड़ी बहन दिखे,वो भी सिंह सर से ही ट्यूशन ले रहे थे।

रिया को वो शुरू से कम पसंद थे।अजीब व्यवहार होता उनका सब बच्चों के साथ।

उसने मां से कहना भी चाहा जू पर वो कहां सुनने वाली थीं उस वक्त,बहुत कान भरे थे यहां कितने ही लोगों ने रेवती के और उसे लगा,रिया सब बच्चो से पिछड़ती जा रही है।

अगले ही दिन से सिंह सर पढ़ाने आने लगे रिया को उसके ही घर।रेवती के सामने वो रिया को ढंग से पढ़ाते लेकिन उसके जाते ही,वो अजीब हरकते करनी शुरू कर देते।कभी डांटते डपटते,रिया की उंगलियां मरोड़ने लगते,कितनी देर उसका नाजुक हाथ मसलते रहते,बेचारी की बुरी हालत हो जाती पर किससे कहे।

मां से कहती तो वो समझती,ये मक्कारी कर रही है जिससे पढ़ना न पड़े।

मां!सच कह रही हूं,ये टीचर अच्छे नहीं हैं,ये बहुत पास बैठकर पढ़ाते हैं,मुझे इनकी परफ्यूम दिमाग में चढ़ जाती है, मैं नहीं पढ़ना चाहती।

बहाने बनाना बंद कर,इन्ही से पढ़कर सूरज के एटी परसेंट मार्क्स आए हैं।उसकी मम्मी बहुत तारीफ करती हैं उनकी।

लेकिन मुझे वो अच्छे नहीं लगते मां!रिया की समझ नहीं आता,मां को कैसे समझाऊं वो कितना खतरनाक आदमी है।

एक दिन,स्कूल से खबर आई,रिया और उसकी एक सहेली स्कूल से गायब हैं।

रेवती ने सुना तो जैसे आसमान से गिरी… कहां जा सकती है,वो तो ब्रेड लेने भी पड़ोस की दुकान तक नहीं जाती।

सुबह से शाम हो गई,बच्चियां नहीं लौटी।सारे घर में हड़कंप मच गया और सब लगे उन दोनो को ढूंढने।

इस दौरान,पहली बार रेवती को पता चला कि सिंह सर लड़कियों को पढ़ाने के नाम पर उनसे दुर्व्यवहार करते हैं।

उसके पांव तले जमीन सरक गई,झट रिया के पापा,पास के बस स्टेंड गए,थोड़ी बहुत मशक्कत के बाद रिया,अपनी दोस्त राखी के साथ मिल गई।

कहां जा रहे थीं तुम दोनो?कड़क आवाज में वो बोले।

यहां से दूर जहां सिंह सर की गंदी हरकतें न सहनी पड़ें,वो  बहुत गंदे हैं।दोनो को एक साथ रोते देख,उनके पेरेंट्स चौंके।

शायद गलती हमारी ही है,रेवती बोली,सूरज की मम्मी के कहने पर मैंने आंख मींच कर सिंह सर पर विश्वास कर लिया जबकि रिया की बात कभी सुनी,समझी ही नहीं।मुझे लगता था कि ये पढ़ाई से बचने के लिए ऐसा कर रही है 

रिया मां से लिपट गई और सुबक कर रोने लगी।

मुझे माफ कर दे बेटा! मै ही कान की कच्ची थी जो सूरज की मम्मी की बात पर आंख मूंद कर विश्वास किया और अपनी बेटी की बात न सुनी।

सिंह सर को बच्चों के पेरेंट्स की शिकायत पर स्कूल से निकाल दिया गया,इस नोटिस के साथ कि ये छोटी बच्चियों को गलत काम के लिए बाध्य करते हैं,ये बात देखकर ही इन्हें जॉब दिया जाए।

डॉ संगीता अग्रवाल

वैशाली।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!