चहकता घर-आंगन- सुभद्रा प्रसाद : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : नयना बहुत परेशान थी |उसे समझ नहीं आ रहा था, वह कैसे संभाले, सबकुछ |

घर, आफिस, बच्चे और  उपर से प्रशांत की यह हालत |सबकुछ तो ठीक ही जा रहा था|

 प्रशांत  और वह दोनों मिलकर सब संभाल ही रहे थे, पर प्रशांत के इस एक्सीडेंट ने तो सबकुछ बिखेर दिया |

         छोटा सा तो परिवार था उसका,प्रशांत, वह और उन दोनों के दो बच्चे  |बारह वर्ष की अनन्या और दस वर्ष का अनंत |दोनों पति, पत्नी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे |दोनों का वेतन अच्छा था और घर सुख, सुविधा से परिपूर्ण |दोनों बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ते थे |घर का सारा काम करने के लिए एक महिला को रखा गया था |

जो सुबह पांच बजे से नौ बजे तक रहती और दोपहर बच्चों के स्कूल से आने के बाद  से नयना के आफिस से आने तक | कुछ दिन पहले तक तो सब ठीक था |नयना को  बीती बातें याद आ रही थी|                                                प्रशांत दो भाई था , बडा प्रवीण और  उससे पांच साल छोटा प्रशांत |

पिता एक फैक्टरी में काम करते थे |उनका सपना था, अपने दोनों बेटों को इंजीनियर बनाना | वेतन ठीक- ठाक था |उन्होंने दोनों को ही अच्छे से पढाया, पर प्रवीण जब इंटर में था, तभी पिता की फैक्टरी में हुए एक हादसे में मौत हो गई |उस समय प्रशांत आठवीं में था |प्रवीण ने अपना ग्रेजुएशन पूरा कर कम्प्यूटर का कोर्स किया और पापा की फैक्टरी में ही काम करने लगा | पापा के सपनों को पूरा करने के लिए उसने प्रशांत को इंजिनियरिंग की पढ़ाई करवाई |

प्रवीण की शादी हो गई | उसकी पत्नी सुलेखा अमीर घर की तो नहीं थी, पर गुणों से अमीर थी |उसने सारे घर को बहुत अच्छी तरह से संभाला |उसे शादी के एक साल बाद एक बेटी और तीन साल बाद एक बेटा हुआ |प्रशांत पढ़- लिखकर इंजीनियर बना और एक अच्छी नौकरी पा गया | शादी एक अमीर घर की इकलौती लड़की नयना से हुई|

           नयना को अपनी सुंदरता और अमीरी का बड़ा घमंड था | वह  अधिकतर ब्यूटी पार्लर, माॅल, बाजार पार्टी में ही व्यस्त रहती |जब कभी घर आती, घर का कोई काम न करती |सुलेखा को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोडती |प्रशांत और उसकी माँ के टोकने पर उन्हें भी सुनाने से बाज न आती | सुलेखा घर का काम सब संभाल लेती |

घर में काम न करने से ज्यादा लोग नयना के व्यवहार से परेशान रहते |वह घर में न तो किसी की इज्जत करती, न प्यार से बात | उसे सब अपने से छोटे स्तर के लगते | शादी के बाद वह ससुराल में एक माह  भी नहीं रही |माँ तो चाहती थी कि वह कुछ दिन उनलोगों के साथ रहे, पर जब भी प्रशांत माँ को अपने साथ ले जाता, नयना के खराब व्यवहार के कारण माँ जल्द ही वापस आ जाती |वह उनके बीच झगड़े का कारण नहीं बनना चाहती थी |

नयना भी नौकरी करती थी और घर न जाने का एक बहाना यह भी था | वह बहुत कम घर जाती और  घर से किसी के आने पर उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती | वह सिर्फ अपने मायके वालों को महत्व देती | प्रवीण अपनी माँ के साथ अपने घर में ही रहता था और माँ की पूरी देखभाल वही करता था |

कभी कभी प्रशांत जाकर उनसे मिल आता,पर नयना को यह भी अच्छा नहीं लगता |उसे हमेशा लगता  परिवार  वाले पैसों के चलते मेलजोल बढाये रखना चाहते हैं | वह चाहती थी प्रशांत अपने घरवालों पर पैसे न खर्च करे |दो बच्चे हुए |बच्चों के जन्म के समय सब आये, पर, अपने मायके वालों के आगे नयना ने उन्हें महत्व ही न दिया | उसकी शादी के पंद्रह साल हो गये | घर से उसका संपर्क दिनोंदिन कम होता गया |

         ससुराल से संपर्क कम होने से नयना खुश थी, पर प्रशांत को यह अच्छा नहीं लगता था |वह जब भी इसके बारे में नयना को कुछ समझाना चाहता, वह  गुस्सा करने लगती |घर का माहौल बिगाड़ देती |हारकर प्रशांत ने कुछ कहना ही छोड़ दिया |नयना खुश रहती, पर आज उसे उनसब की बहुत याद आ रही थी |

उसके मम्मी- पापा का देहांत हो गया था |भाई विदेश में बस गया था  | कंपनी से घर वापस आते समय प्रशांत की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और प्रशांत को काफी चोट लग गई | पास-पडोस और आफिस के लोगों की मदद से वह अबतक संभाल पाई थी, पर अभी परेशानी खत्म नहीं हुई थी |अभी प्रशांत को एकाध महीने और अस्पताल में रहना पड़ सकता था |अभी तो मात्र तीन दिन ही हुए हैं|

उसे समझ नहीं आ रहा था, क्या करे, कैसे संभाले ? वह घर खबर करना चाह रही थी, पर अपने व्यवहार को याद कर उसे हिम्मत नहीं हो रहा था |वह अपने कमरे में चिंतित बैठी थी 

           “मम्मी, मम्मी, देखो कौन आया है? “

अनन्या दौडती हुई नयना के पास आई और उसे खींचकर कमरे से बाहर लाई |वह आश्चर्यचकित रह गई |सामने प्रवीण और सुलेखा खड़े थे |

         “आपलोग ” नयना इसके आगे कुछ कह न पाई |रोने लगी |

            ” रोओ मत |हम आ गये ना | हिम्मत रखो |”सुलेखा ने झट उसे गले लगा लिया |                                                  “इतना कुछ हो गया और तुमने हमें खबर भी नहीं किया |हमें इतना पराया कर दिया |वो तो प्रशांत के एक दोस्त ने हमें कल खबर किया, तब हमें पता चला |”प्रवीण गुस्से से बोला |

         ” वो मैं, किस मुँह से खबर करती | मैनें तो आपलोगो के साथ सदा खराब व्यवहार ही किया है |”नयना अटकते हुए बोली |

          “अरे पगली, इन बातों से संबंध टूट जाते हैं क्या? थोडा मोड़ा मनमुटाव तो हर घर में होता है, तो क्या इससे रिश्ते खत्म हो जाते हैं? ” सुलेखा समझाते हुए बोली |

         “अच्छा अब तुम्हें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है |घर और बच्चों को सुलेखा देख लेगी और प्रशांत तथा अस्पताल का सारा काम मैं संभाल लूंगा | तुम अपनी नौकरी संभालो | तुमने अकेले बहुत कर लिया |अब हमें सम्हालने दो |” प्रवीण आगे  बोला-“मैं कुछ पैसे भी लाया हूँ, लो रखो |”

           नयना शर्म से पानी- पानी हो गई |वह नजरें ही नहीं उठा पा रही थी |उसे बहुत ग्लानि हो रही थी |अपने उपर बहुत लज्जा आ रही थी |उसने कभी इनलोगो को परिवार न समझा | बडो़ का मान-सम्मान न दिया |हमेशा गलत समझती रही, पर गलत तो वह है|ये लोग तो बड़े अच्छे है ं| उसका ह्रदय पश्चाताप से भर गया | “आपलोग महान हैं|मैं आपलोगो ं का यह उपकार कैसे चुका पाऊंगी? ” वह धीरे से बोली |

         ” हमसब परिवार हैं | प्रशांत मेरा छोटा भाई है, कोई गैर नहीं |हम कोई उपकार नहीं कर रहे” प्रवीण थोड़ा रूक कर बोला -“पर अगर तुम इसे चुकाना चाहो तो एक काम कर सकती हो |” 

          “क्या ” नयना पूछी |

          “जब प्रशांत की हालत अच्छी हो जाये तो तुमलोग सपरिवार कुछ दिन के लिए  घर जरूर आना |माँ की बड़ी इच्छा है कि वह अपने पूरे परिवार को अपने घर- आंगन में चहकते हुए देखे |वह अक्सर बिमार रहती है और उसकी एकमात्र इच्छा यही है कि वह अपने जीवन में अपना परिवार से चहकता घर- आंगन देखे |वह रात दिन यही सोचती और कहती रहती है |बस तुम माँ की यह इच्छा पूरी कर देना |” कहते कहते प्रवीण भावुक हो गया |

           “बस भैया, अब और लज्जित न करें| मैं परिवार का महत्व अच्छी तरह समझ गई |हम माँ की यह इच्छा जरूर पूरी करेंगे |मुझे माफ कर दें |” नयना ने उनके पैर पकड लिये |

         “माफ़ी तो घर चलकर तुम माँ से मांग लेना |अभी चलो हम प्रशांत से मिलने चलते हैं |” प्रवीण ने कहा |

            जल्द ही माँ की अपने परिवार से  भरा चहकता घर-आंगन देखने की इच्छा पूरी हो गई |

#घर-आंगन

स्वलिखित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

 पलामू, झारखंड |

SP(S)

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