वो बदनाम गलियां – संगीता अग्रवाल

क्या ये बदनाम गलियां ही अब मेरा मुकदर होंगी… क्या मैं कभी खुल कर नही जी पाऊंगी….क्या मुझे यहीं घुट घुट कर जीना पड़ेगा । मेरा नाम मेरी पहचान मेरा वजूद सब खो जायेगा..,? कांता बाई के कोठे के अंधेरे कमरे में पड़ी सत्रह साल की वैशाली ये सब सोच रही थी। वो जितना इस … Read more

हम थे जिनके सहारे वो हुए ना हमारे – मुकेश पटेल

संतोष जी बैंक में मैनेजर थे। उनको  दो बेटा और एक बेटी थी  बड़ा बेटा और बेटी की शादी हो गई थी,बड़ा बेटा अपनी पत्नी के साथ अलग फ्लैट लेकर रहता था।  एक दिन उनकी पत्नी राधा जी  का बाथरूम में पैर फिसला और कमर में काफी चोट आ गई डॉक्टर को दिखाया गया तो … Read more

काश हमने सारे पैसे अपने बेटे बहू को नहीं दिए होते – मुकेश पटेल

साहिल  अपने पापा से गुस्से में कह रहा था, “पापा आप ऐसा कैसे कर सकते हैं कोई बाप  क्या अपने बेटे के ऊपर केस करता है. एक बाप अपने बेटे के लिए जो करता है वह उसका फर्ज होता है मैं भी तो अपने बेटे को पढ़ा रहा हूं उसका खर्चा चला रहा हूं इसका … Read more

अतिथि तुम कब जाओगे – मुकेश पटेल

चांदनी अपने भाई बहनों में सबसे छोटी थी,  मां बचपन में ही गुजर गई थी, चांदनी को  ठीक से याद भी नहीं  की मां कैसी दिखती थी, मां की जगह पर चांदनी की बड़ी बहन कुसुम का प्यार मिला और  साथ ही पिता और भाइयों का प्यार मिला लेकिन वह मां की प्यार से मरहूम … Read more

अधूरी औरत – मुकेश कुमार

काजल की  शादी हुए अभी सिर्फ 6 महीने ही हुए थे।  उसके पापा ने कितने शानो-शौकत से एक बड़े बिजनेसमैन ऋषभ से काजल की शादी कराई थी।  जिसका मुंबई में बहुत बड़ा रेस्टोरेंट का बिजनेस था।  सबको लगा था कि काजल को वह सब कुछ मिलेगा जो एक लड़की अपने पति से उम्मीद करती है … Read more

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