ये रिश्ते दिलों के रिश्ते!(अंतिम भाग ) – नीलम सौरभ

“कभी अपनी और अपने परिवार की औक़ात देखी है? तुम्हारे लिविंग स्टैंडर्ड से कहीं ज्यादा अच्छी कंडीशन मेरे घर के नौकरों की है। …और मेरे घर वाले हमारी शादी के लिए तो तब मना करेंगे न, जब मैं तुमसे शादी को राज़ी होऊँगा। मेरे ख़्वाब ऊँचे हैं, बिज़नेस मैनेजमेंट की ऊँची डिग्री और विदेश में … Read more

ये रिश्ते दिलों के रिश्ते!(भाग 3) – नीलम सौरभ

कार रुकी तब उतरते ही मैं चौकन्नी होकर चारों तरफ देखने लगी कि कहाँ आ गयी हूँ मैं। एक छोटे से मगर सुन्दर बंगले के सामने थे हम सब। सारा परिदृश्य एकदम सामान्य लग रहा था। साफ-सुथरी, शान्त-सी हरी-भरी कॉलोनी थी। आम मध्यम-वर्गीय रहन-सहन वाली। देबाशीष की माँ ने बेटे को उनकी भाषा में न … Read more

ये रिश्ते दिलों के रिश्ते!(भाग 2) – नीलम सौरभ

क्या गज़ब का संयोग था, देबाशीष दूसरे ही दिन दोपहर को सिटी-सेंटर मॉल में अपने माँ-पापा के साथ मिल गया मुझे। सप्ताह भर की एकरस दिनचर्या से उपजी ऊब दूर करने के लिए होस्टल की मेरी ख़ास सहेलियाँ मुझे जिद करके ले आयी थीं वहाँ।पहले तो मुझे लगा माता-पिता के सामने देबाशीष मेरे सामने आने … Read more

ये रिश्ते दिलों के रिश्ते!(भाग 1) – नीलम सौरभ

“ये देबाशीष दत्ता भी न…पता नहीं क्या चाहता है? न कुछ बोलता है न कुछ पूछता है…और तो और किसी बात का जवाब भी नहीं देता नालायक…मिट्टी के माधो की तरह बैठा बस घूरता रहता है नासपीटा। उसकी क्लास को तो अब पढ़ाना भी मुश्किल होता जा रहा है…पिछले किसी जन्म की कोई दुश्मनी निकाल … Read more

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