भगवान किसी पर बोझ ना बनाए –  हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi

जब जब तक बेचारी घर का सारा झाड़ू पोछा बर्तन और अन्य छोटे-मोटे काम करती रही, सभी को अच्छी लगती थी! किंतु एक दिन अचानक जब 75 वर्षीय सरला जी के शरीर के नीचे के हिस्से में लकवा आ गया तब तो मानो सबकी जान ही निकल गई! सरला जी बहूओ की आंखों में खटकने लगी! कहने को तो दो बेटे और दो बहुएं थी, किंतु भगवान ने एक भी बहू ढंग की नहीं दी!

जब शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया तब बेटे उन्हें लेकर शहर के बड़े अस्पताल में पहुंचे, जहां उम्र अधिक होने की वजह से डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया, साथ ही सरला देवी की जांच की रिपोर्ट में पता चला कि उनकी किडनी भी लगभग लगभग जवाब दे गई है,  डॉक्टरों के अनुसार अस्पताल में भर्ती करने का और ज्यादा दिन यहां रखने से कोई मतलब नहीं था! उनका कहना था…

अब जब तक  भी यह जीये इन्हे अपने घर पर ले जाइए और वहीं इनकी जितनी हो सके सेवा कीजिए! जैसे ही यह बात बहूओ को पता चली उनके तो पैरों के नीचे जमीन खिसक गई, अब सारे घर का काम कौन करेगा..? दोनों बहूओ को अपने-अपने काम से फुर्सत नहीं थी! आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी कि घर में एक कामवाली की व्यवस्था की जा सके और अब तो सरला जी की दवाइयां का भी खर्चा बढ़ गया!

एक तो कंगाली ऊपर से आटा गीला वाली स्थिति हो गई !आए दिन घर में अब काम को लेकर महाभारत होने लगी, दोनों बहुएं अपने आप को ज्यादा व्यस्त बताती, बड़ी मुश्किल से एक दिन दोनों बहूओ ने सोचा कि ऐसे लड़ने से तो कुछ नहीं होगा,  सास का काम तो उन दोनों को करना ही पड़ेगा , तो क्यों ना एक काम किया जाए, एक जनी घर की साफ सफाई, बर्तन, कपड़े इत्यादि देख ले और दूसरी बहू खाना पीना नाश्ता टिफिन का देख ले…

फिर 2 महीने बाद जो काम छोटी बहू करती है वह बड़ी कर लेगी और जो बड़ी करती है वह छोटी बहू कर लेगी! इस तरह दोनों बहू ने काम का बंटवारा कर लिया! सरला जी की देखभाल भी करनी जरूरी हो गई थी! सरला जी को देखते ही बहूओ को घिन हो जाती, क्योंकि उनसे उनकी साफ सफाई नहलाना धुलाना  नहीं हो रहा था! सरला देवी  बेचारी क्या करें..? उन्हें भी कोई शौक नहीं था अपनी बहू से सेवा करवाने का, आज तक जिस औरत ने किसी से भी एक गिलास पानी तक की उम्मीद नहीं की वह आज इस तरह बिस्तर पर पड़ जाएगी और अपनी ही घरवालों की मोहताज हो जाएगी,

यह तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था! हमेशा बस एक ही बात कहती… हे भगवान… मुझे किसी भरोसे मत छोड़ ,तू बस मुझे उठा ले, मैं ऐसी जिंदगी नहीं जी सकती! बहुएं  तो चाहती ही थी कि अब उनकी सास को भगवान उठा ले ! क्योंकि अब सरला जी की वजह से बहुएं घर में बंद हो गई थी, उनकी मस्त आजादी वाली जिंदगी में खलल पड़ गया था !एक तो  सरला जी खुद अपनी बीमारी से परेशान थी, ऊपर से बहुएं परेशान हो रही थी और बेटे भी चिड़चिडे होते जा रहे थे! जहां पहले घर में दिनभर हंसी-खुशी का वातावरण रहता था

वहीं अब एक तनाव वाला माहौल रहने लगा! बेटी भी अपनी मां से मिलने आ पहुंची, उनको देखकर बहू का और मुंह फुल गया, कि पहले ही घर में इतना काम है ऊपर से समाचार लेने वालों ने भी जान खा रखी है, बस सभी मूह पर मीठी-मीठी बातें करते हुए चले जाएंगे.. ऐसे ध्यान रखना, वैसे ध्यान रखना…! इतनी ज्यादा चिंता है तो अपने साथ क्यों नहीं ले जाते! बेटी ने कहा भी, मां… तुम मेरे साथ चलो, मैं तुम्हारा बहुत अच्छे से ध्यान रखूंगी, किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होने दूंगी, किंतु मां तो मां थी, उनकी नजरों में बेटी  के यहां रहना किसी शर्म दायक स्थिति से कम नहीं था!

वह तो चाहती थी उनकी आखिरी सांस अपने ही घर में निकले! बेचारी बेटी भी क्या करती,  दो दिन रुक कर चली गई! बहुएं भी घर के काम से ज्यादा आए दिन मिलने वालों से दुखी हो गई! सरला देवी का व्यवहार इतना अच्छा था की जिसने भी उनकी  तबीयत के समाचार सुने, फौरन मिलने चले आने लगे! वह बेचारे तो मिलने आते थे किंतु बहुएं दिनभर चिड़चिड़ करती रहती थी क्योंकि  किसी को पानी चाय किसी को शरबत तो देना ही पड़ता था! अब दिन पर दिन सरला जी की के स्वास्थ्य में भी गिरावट आने लगी! बेटे और बहुएं भी सोचते…

कब सरला जी स्वर्ग सुधारे और कब  शांति मिले! एक दिन बड़े बेटे सुनील से एक वकील साहब आकर मिले और उससे कहा… देखो सुनील बेटा…. तुम्हारे पिताजी मेरे मिलने वालों में से थे, अब जबकि तुम्हारी माता जी का अंत समय निकट है तो मैं तुम्हें एक बात बताना चाहता हूं, तुम्हारे पिताजी ने मुझसे कहा था… कि अगर मेरे बाद  मेरी पत्नी को कोई भी तकलीफ हो और अगर बेटे बहुएं उसकी सेवा करने से मना कर दें, तो मेरा एक प्लॉट जिसकी कीमत लगभग 50 लख रुपए है, उसको बेचकर उसे एक अच्छे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवा देना, जिससे उसकी सेहत में कोई कसर न रहे, और यही बात उन वकील साहब ने छोटे बेटे अमित से कहीं!

और उन्होंने यह भी कहा कि अगर जो भी बेटा बहू अपनी मां की तन मन धन से सेवा करेगा यह प्लॉट उसके नाम हो जाएगा! अगले दिन पता नहीं क्या हुआ… दोनों बेटा बहू में सरला जी की ज्यादा से ज्यादा सेवा करने की होड़ मच गई! दोनों बेटे और बहुएं पूरे मन से अम्मा की दवाइयां का ध्यान रखते, उनके खान-पान की व्यवस्था देखते! जहां पहले सरला जी  को दलिया खिचड़ी देने में भी बहू को जोर आता  था, अब उनके  लिए गरमा गरम दाल, सूप, रोटी सलाद और सरला जी की पसंद का खाना, सब पहुंचने लगा! सरला जी की तबीयत में भी सुधार होने लगा!

दोनों लालची बेटे और बहुएं 50 लाख के सपने देखने लगे! 6 महीने की अथक सेवा के बाद भी सरला देवी एक दिन सबको छोड़कर चली गई, किंतु जाते समय उनके चेहरे पर परम संतोष था कि उनके बेटा बहू ने अंतिम समय तक उनकी खूब सेवा की, उनका मन एकदम तृप्त था! सारी क्रिया कर्मों के बाद ,15 दिन बाद एक-एक कर  बेटे, वकील साहब रघुनंदन जी से मिलने पहुंचे और अपने 50 लाख के प्लॉट के बारे में पूछने लगे! तब रघुनंदन जी जोर से हंसे और बोले….. आओ बच्चों.. 

मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था! मुझे पता था तुमने सारी रस्म और क्रियाएं बहुत अच्छे से निभाई है, किंतु जैसा तुम सोच रहे हो, वैसा कुछ भी नहीं है! तुम्हारे पिताजी बहुत दूर की सोचते थे, उन्हें पता था उनके जाने के बाद में उनकी पत्नी अपने बेटों पर ही बोझ बन जाएगी, और बच्चों एक बात बताओ, इसमें सरला जी की क्या गलती कि उनकी अचानक तबीयत इतनी खराब हो गई, 

खैर….  ,तब तुम्हारे पिताजी ने मुझे यह सब करने को कहा था, उनका कोई प्लॉट नहीं है, तुम दोनों बेटों ने 50 लाख के प्लाट के लालच में अपनी मां की खूब सेवा की, जब तक तुम्हें पता नहीं था कि तुम्हारी मां के नाम पर 50 लाख का प्लॉट है, तुमने उनकी हालात और भी बदतर कर दी, क्या तुम्हें शर्म नहीं आई यह सोचकर कि जिस मां ने तुमको पालपोस् कर इतना बड़ा कर दिया,

तुम्हें लायक बना दिया, अपने पैरों पर खड़ा कर दिया, तुम कुछ दिनों के लिए अपनी मां की देखभाल नहीं कर सकते..? अरे क्या-क्या नहीं किया तुम्हारी माता-पिता  ने तुम्हारे लिए, और तुम ऐसी नालायक औलादो, जिनको अपनी मां ही  बोझ नजर आने लगी! जब वह घर का सारा काम करती थी, तब तो तुम खुश थे ,

तुम्हारे घर में कभी क्लेश नहीं मचा, लेकिन उनकी बीमारी ने तुम दोनों भाइयों और बहू में झगड़ा करवा दिए और जब पता चला कि उनके नाम पर 50 लाख का प्लॉट है, तो तुम चारों लोग यह सोचकर कि वह 50 लाख हमें मिल जाएंगे, उनकी सेवा करने लगे!  कितनी गिरी हुई सोच है तुम लोगों की.. सिर्फ पैसों की लालच में जो बेटे अपनी मां की सेवा करते हैं, उनसे गिरा हुआ इंसान शायद दुनिया में कोई नहीं होगा! शायद अब उन चारों को अपने ऊपर शर्म आ रही होगी!

 हेमलता गुप्ता स्वरचित

   #बेटियां 6th जन्मोत्सव प्रतियोगिता

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