बेटे की इज़्ज़त इज़्ज़त और बहू की ? –  संगीता अग्रवाल

नितिका ने हॉस्पिटल से निकल राहत की सांस ली मानो कितने सालों से जो सांस अटकी थी वो अब आई हो..उसने जल्दी से ऑटो पकड़ा और घर को रवाना हुई । ऑटो मे बैठ उसने सिर पीछे टिका दिया …अतीत की कितनी बाते चलचित्र सी घूमने लगी सामने जिन्हे याद कर कभी उसके चेहरे पर गुस्सा आ रहा था कभी आंख मे पानी।

 

मम्मीजी लीजिए हम दोनों की रिपोर्ट आ गई देख लीजिए!” नितिका ने हॉस्पिटल से आकर एक लिफाफा अपनी सास मधु जी को पकड़ाते हुए कहा।

 

” क्या करूं इस रिपोर्ट का जब जानती हूं कमी तुममें है मेरा बेटा तो स्वस्थ है एक दम इसलिए तो चाहती हूं उसकी दूसरी शादी हो जाए और इस घर में नन्हे मुन्ने खेलें।” मधु जी मुंह बना कर बोली।

 

” जी नहीं मम्मीजी कमी मुझमें नहीं आपके बेटे में है इसमें साफ लिखा है मैं मां बनने के लिए पूर्ण स्वस्थ हूं पर आपका बेटा नहीं !” नितिका  रिपोर्ट खोल पढ़ते हुए हुए बोली।

 

” ऐसा कैसे हो सकता है?” मधु जी हैरानी से बोली।

 

” ऐसा ही है मम्मी जी आपके बेटे के कारण मैं पांच साल से ताने सुन रही हूं बांझ होने के पल पल अपने आत्मसम्मान को छलनी होते देखा है। अब आप ये बताईए मेरी दूसरी शादी आप करवाएंगी या मैं अपने मम्मी पापा से कहूं मेरे लिए लड़का ढूंढने को!” नितिका लापरवाही से बोली।

 

“दिमाग खराब है क्या ये क्या बकवास कर रही है दूसरी शादी क्यों!”। मधु जी गुस्से में चिंघाड़ी।

 

” क्यों नहीं मम्मीजी आप सचिन  (नितिका के पति)की भी तो दूसरी शादी करवा रही थी क्योंकि आपको लगता था मैं मां नहीं बन सकती और सचिन  बाप बनने के सुख से वंचित है मेरे कारण। अब जब सचिन बाप नहीं बन सकता तो मुझे भी तो मां बनने का सुख चाहिए जिसके लिए शादी तो करनी पड़ेगी ना!” नितिका बोली।

 

” कैसी निर्लज्ज है ये कबसे बकवास ही किए जा रही है सचिन में कमी है तो क्या तू दूसरी शादी कर लेगी ये कहां लिखा कि पति में कमी हो तो दूसरी शादी कर ले पत्नी। पत्नियां तो हर मोड़ पर पति का साथ देती है !” मधु जी गुस्से में बोली।

 



” मम्मीजी ये भी तो कहीं नहीं लिखा कि पत्नी में कमी हो तो पति दूसरी शादी करे पर ऐसा होता है ना फिर भी। तो पत्नी क्यों नहीं कर सकती दूसरी शादी मुझे भी मां बनने का हक है मैने तो सोच लिया मैं अभी पापा को बताती हूं सब और उनसे बोलती हूं दूसरी शादी की।” नितिका ये बोल अपने कमरे में आ गई।

 

असल में शादी के चार साल बाद भी नितिका के मां नहीं बनने के कारण मधु जी अपने बेटे की दूसरी शादी करवाने पर अड़ी थी हालांकि सचिन  दूसरी शादी के पक्ष में नहीं था क्योंकि वो नितिका से बहुत प्यार करता था फिर भी अपनी मां के सामने वो नितिका की साइड नहीं लेता था बल्कि अकेले में उसी को ही समझाता मां की बात का बुरा ना माने वो । नितिका ने कितनी बार बोला बच्चा गोद ले लेते हैं पर मधु जी यही कहती अपना खून अपना होता है। रोज के ताने सुन सुन नितिका ने अपने सारे टेस्ट करवाए सब सही आने पर उसने सचिन को भी टेस्ट करवाने को बोला और आज उसी की रिपोर्ट आई थी जिसमे साफ लिखा था सचिन  कभी बाप नहीं बन सकता।

 

” अरे बेटी रुक तो अपने मां बाप को क्यों सब बताना ऐसा करते हैं बच्चा गोद ले लेते हैं उससे तुम दोनों को मां बाप का सुख मिल जाएगा! ” मधु  जी नितिका के कमरे में आ प्यार से बोली।

 

” अरे मम्मीजी गोद लिया बच्चा पता नहीं किसका गंदा खून होगा आप सही कहती थी इसलिए मैने सोच लिया मैं अपना ही बच्चा पैदा करूंगी जिसके लिए दूसरी शादी तो करनी होगी!” नितिका बोली।

 

” ये क्या बकवास कर रही हो तुम मां से !” तभी सचिन कमरे में आता हुआ बोला।

 

” देख ना बेटा ये अपने बाप को फोन लगा बोल रही है की कमी तुझमें है तू बाप नहीं बन सकता तो वो इसके लिए दूसरा लड़का ढूंढे! बेटा सब मिट्टी मे मिल जायेगा तेरा सम्मान खत्म हो जायेगा रोक इसे !”। मधु जी बेटे से बोली।

 

” नितिका क्या बोल रही ये मां!  ” सचिन नितिका  से पूछता है।

 

” हां सचिन  सही बोल रही मम्मी जी तुम्हारी रिपोर्ट में साफ लिखा तुम बाप नहीं बन सकते मैं मां बनने को स्वस्थ हूं तो मैं क्यों इस सुख से वंचित रहूं!” नितिका बोली। एक धक्का सा लगा सचिन को ये सुनकर वो शांत सा हो गया।

 

” बेटा इसे समझा घर की बात घर में रहने दे और एक बच्चा गोद लेकर अपनी मां बनने कि इच्छा पूरी करे यूं तेरी कमी का ढिंढोरा ना पीटे इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी हमारी!”  मधु जी बोली।

 

” वाह मम्मी जी कमी बहू में हो या ना हो तब भी ढिंढोरा पीट पीट सबको बताया जाता हमारी किस्मत फूटी जो बांझ पल्ले पड़ी हमारे … और बात बेटे पर आए तो इज्जत याद आ रही है ….क्या बहु की इज़्ज़त नही होती उसका आत्मसम्मान नही होता  !” नितिका बोली।

 

” देखो नितिका मैंने इतने साल तुम्हारा साथ दिया भले दुनिया कुछ बोलती हो मुझे फर्क नहीं पड़ता था अब जब कमी मुझमें है तो प्लीज़ तुम मेरी इज्जत यूं ना उछालो लोग क्या कहेंगे!” सचिन हारे हुए जुुआरी की तरह बोला।

 

” सचिन  पांच साल मैने सुने हैं घर वालो और बाहर वालों के ताने तुमने भले मुझे कुछ नहीं कहा पर किसी को चुप भी तो नहीं करवाया! पल पल हृदय छलनी हुआ है मेरा उस पर बात बात पर आपकी दूसरी शादी की बात …मानो एक बच्चा नही पैदा हुआ तो मेरा अस्तित्व ही नही कुछ । मेरा मान मेरी इज़्ज़त पल पल रोंदी गई है कभी अपनों के हाथो कभी परायों के। ” नितिका दुखी हो बोली।

 

” बेटा मैं माफी मांगती हूं तुमसे अपने व्यवहार के लिए पर तू दूसरी शादी की बात मत कर जरा सोच क्या इज्जत रहेगी हमारी कैसे जी पायेगा सचिन जब लोग उसे अजीब नज़रो से देखेंगे !”  मधु  जी हाथ जोड़ बोली।

 

” मम्मीजी यूं हाथ मत जोड़िए मैं कोई दूसरी शादी नहीं कर रही मैं तो सिर्फ आपको एहसास दिलाना चाहती थी के मैने कितना कुछ सहा है इन पांच सालों में यहां मुझमें कोई कमी भी नहीं थी जबकि और अगर होती भी तो वो मेरी गलती तो नहीं ना हर औरत माँ बनना चाहती है पर औलाद होना ना होना उसके हाथ तो नही। !” नितिका रोते हुए बोली।

 

” सही कहा बहू तूने तेरी गलती नहीं बल्कि किसी औरत की गलती नहीं होती पर ये समाज हर बार औरत को ही कटघरे में खड़ा करता है हर बात का दोषी औरत को ही बनाया जाता!” मधु जी बोली।

 

” मम्मी जी समाज से तो इंसान लड़ जाए पर अपनों से कैसे जब वहीं आपके खिलाफ हों तो कोई औरत कैसे इस समाज का सामना करे आप एक औरत होकर नहीं समझ पाई के मां ना बनने का दुख मुझे सबसे ज्यादा है फिर भी मुझे समझने कि जगह आपने मुझे बांझ और ना जाने किस किस नाम से नवाजा!” नितिका के आंसू बह निकले।



 

” जानती हूं बेटा मैने बहुत गलत किया पर अब मैं तुझ पर कोई आंच नहीं आने दूंगी कोई तुझे बांझ नहीं कहेगा तू बच्चा गोद लेकर मां बनेगी!”  मधु  जी निकिता को गले लगा बोली।

 

” सचिन आपको छोड़ने की तो मैं सोच भी नहीं सकती प्यार करती हूं आपसे बस एक शिकायत है आपसे कि आपने मेरा साथ दिया पर बन्द दरवाजे में दुनिया के सामने नहीं लेकिन मैं आपका साथ बन्द दरवाजे के साथ साथ दुनिया के सामने भी दूंगी!” निकिता सचिन को संभालते हुए  बोली।

 

” तुम सच में बहुत अच्छी हो नितिका मुझे फक्र है तुम मेरी पत्नी हो मैं तुमसे माफ़ी मांगता हूं पर अब से तुम्हे दुनिया की हर आंच से बचाने की जिम्मेदारी मेरी है !” सचिन प्यार से बोला।

 

” चलो चलो अब आंसू पोंछो सभी फिर अनाथ आश्रम का पता भी करना है जहां से हम बच्चा गोद ले सकते आखिरकार हमे भी तो अपना पोता या पोती खिलाने है!” तभी वहाँ सचिन  के पापा रविन्द्र जी आकर बोले।

 

नितिका आज खुश थी आज उसके माथे लगा अभिशाप हट गया था जो हर औरत के आत्मसम्मान को छलनी करता है …अब वो कभी बाँझ नही कहलायेगी क्योकि उसके घर वाले सब जानते है अब । 

 

कुछ समय बाद नितिका और सचिन ने एक बच्चा गोद ले लिया उनके घर खुशियां लौट आईं ।

 

दोस्तों कुछ लोग कहेंगे नितिका ने इतना कुछ सहने बाद भी सास पति को माफ़ क्यों कर दिया तो दोस्तों सचिन पिता नही बन सकता इस सच से वो भी अनभिज्ञ था ऐसे मे उसे छोड़ने पर नितिका और उसकी सास मे क्या अंतर रहता …वैसे भी पति की बड़ी से बड़ी कमी को छिपाने और उसे माफ़ करने की ताकत भगवान ने औरत को हि दी है।

 

पर दोस्तों कुछ सवाल जरूर खड़े होते है ऐसी घटनाओ से  क्यों हमारा समाज हर बार औरत पर उंगली उठा देता। क्यों ससुराल वाले ऐसे में झट से अपने बेटे की दूसरी शादी की बात करते बिन ये सोचे कि कमी उनके बेटे में भी हो सकती। और जब बहू की कमी पर बेटे को दूसरी शादी का हक है तो बेटे की कमी पर बहू को क्यों नहीं? बेटे की इज्जत इज्जत बहू की इज्जत का क्या?

 

क्या हमारे समाज के पास इन सवालों के जवाब हैं?

#आत्म्सम्मान 

आपकी दोस्त

संगीता

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