बराबरी का रिश्ता – संगीता अग्रवाल  : Moral stories in hindi

“नमस्कार आलोक जी ये है मेरी पत्नी रीमा और मेरा बेटा निकुंज!” कैलाश बाबू अपने मेहमानों से बोले.

” नमस्कार कैलाश जी और भाभी जी.. ये मेरी पत्नी शर्मिला है !” आलोक जी ने अपनी पत्नी का परिचय कराया.

सबने एक दूसरे को नमस्ते की और बैठक मे बैठ गए. 

” कैलाश जी मेरे बेटे का नाम आदित्य है जिसके रिश्ते की हम बात करने आये हैं!” आलोक जी बोले.

” भाई साहब आप आदित्य बेटा को भी साथ ले आते हम लोग भी मिल लेते उनसे!” रीमा जी बोली.

” भाभी जी वो यहीं एक दोस्त के घर पर है पहले हम लोग आपस मे बात कर लेते हैं… वो असल मे उसे ये पसंद नही उसका मानना है बात बने तभी लड़की देखनी चाहिए .. लड़की को देखने के बाद मना करना अपमान है लड़की का!” शर्मिला जी बोली.

” ये तो बहुत अच्छे विचार हैं… बहुत अच्छा लगा ये जान कर की आज की नई पीढ़ी इतनी समझदार हो गई है… चलिए पहले आप जल पान कीजिये फिर बातें करते हैं!” कैलाश जी बोले.

” देखिये जैसा की आप जानते हमारा आदित्य सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और एक एम.एन.सी कंपनी मे पंद्रह लाख का पैकेज है उसका… घर मे हमारे मैं मेरी पत्नी और आदित्य है एक बेटी है अदिति जिसकी दो साल पहले शादी हो चुकी है और वो मुंबई मे अपने ससुराल मे रहती है । ” आलोक जी बोले.

” आलोक जी मेरे परिवार मे मैं मेरी पत्नी एक ये बेटा हम सबसे आप मिल ही चुके… इसके अलावा दो बेटियां हैं बड़ी निकिता जिसकी शादी हो चुकी है और वो विदेश मे है.. रही छोटी बेटी निहारिका जिसके रिश्ते को आप आये हैं!” कैलाश जी बोले.

दोनो परिवारों मे बहुत से विषयों पर बातें हुई… फिर लड़की को लाया गया. और कुछ सवाल जवाब हुए.

” कैलाश जी हमे तो बिटिया से मिलकर बहुत अच्छा लगा बाकी अब हम आदित्य को बुला लेते है दोनों बच्चे बात करके फैसला ले लेंगे क्योंकि जिंदगी तो इन्हे बितानी है साथ!” आलोक जी बोले.

” जी बिल्कुल सही कहा आपने जिंदगी तो इन्हे बितानी है साथ मे!” कैलाश जी बोले.

आदित्य को फोन करके बुलाया गया आते ही उसने कैलाश जी और रीमा जी के पैर छुये.

” बेटा आदित्य आप निहारिका से जो पूछना चाहें पूछ सकते है… अकेले मे बात करना चाहें तो वो भी कर सकते है !” कैलाश जी बोले.

” देखिये अंकल जी मेरे मम्मी पापा की पसंद को ही मैं स्वीकार करूँगा बस मुझे निहारिका जी से ये पूछना है उन्होंने कहाँ तक पढाई की और आगे के क्या प्लान हैं इनके!” आदित्य विनीत भाव से बोला.

” आदित्य जी मैने एम. बी. ए. की है और जॉब की तलाश कर रही थी.. पर फिर मम्मी पापा की इच्छा थी के शादी कर दे मेरी तो उन्होंने कहा जॉब करना ना करना शादी के बाद लड़के वालों का फैसला होगा तो अभी कही मत करो जॉब!” निहारिका ने  जवाब दिया.

” पर ऐसा क्यों… पढाई आपने की तो फैसला भी आपका होना चाहिए… वैसे आप क्या चाहती हैं??”आदित्य ने पूछा तो निहारिका अपने मम्मी पापा को देखने लगी  … ।

” क्या मै आपकी डिग्री देख सकता हूँ अगर आपको एतराज ना हो तो??” आदित्य फिर बोला.

” आदित्य ये क्या… क्या तुम्हे निहारिका की बात पर भरोसा नही!” शर्मिला जी हल्के गुस्से मे बोली.

” अरे शर्मिला जी कोई बात नही हमे कोई दिक्कत नही डिग्री दिखाने मे… बेटा निहारिका जाओ…!” रीमा जी ने निहारिका से कहा.

” आपने इतने बड़े कॉलेज से एम.बी.ए. किया वो भी इतने अच्छे मार्क्स से!” आदित्य डिग्री देख बोला.

” आदित्य बेटा हमारी बेटी बहुत होशियार रही पढाई मे बचपन से ही!” कैलाश जी बोले.

” अंकल जी मुझे निहारिका पसंद है पर मुझे दहेज मे कुछ चाहिए….!” आदित्य एक दम बोला.

“क्या…!” कैलाश जी रीमा जी को देखने लगे.

” आदित्य बेटा क्या बोल रहे हो तुम!” आलोक जी गुस्से मे बोले.

” पापा, मम्मी, अंकल आंटी मेरा मानना है रिश्ता हमेशा बराबर वालों से करना चाहिए और मेरी शर्त यही है कि निहारिका जी शादी के बाद जॉब करे जैसे मैं करता हूँ। क्योकि मैने उनकी आँखों मे अपने पैरो पर खड़े होने की ललक देखी है । वैसे भी जॉब करने का फैसला जैसे लड़के का होता है लड़की वालों का नही वैसे ही लड़की का भी खुद का होना चाहिए लड़के वालों का नही क्योकि रिश्ता तभी बराबरी का होगा जब लड़की भी अपने फैसले खुद करे। वो इतनी पढाई घर मे बैठने को तो करती नही है  । बस यही दहेज चाहिए मुझे !” आदित्य बोला.

” वाह बेटा बहुत अच्छे विचार हैं आपके… सच मे आलोक जी और भाभी जी आपने अपने बेटे को बहुत अच्छी परवरिश दी है!” कैलाश जी बोले.

” तो फिर हम रिश्ता पक्का समझे… क्यों निहारिका बेटा तुम्हे आदित्य पसंद है..? ” शर्मिला जी ने निहारिका के सिर पर हाथ फैरते हुए कहा.

निहारिका ने शर्मा के सिर हाँ मे हिला दिया… ! 

” चलिए समधी जी मुँह मीठा कीजिये!” आलोक जी कैलाश जी को मिठाई खिलाते हुए बोले.

हँसी खुशी के मोहोल मे सबने एक दूसरे को बधाई दी.

दोस्तों कितना अच्छा हो ना अगर हर लड़का आदित्य जैसी सोच रखता हो… रिश्ता देखते वक़्त लड़की की डिग्री देखी जाए तो हर माँ बाप अपनी बेटी को पढायेंगे…. और लड़की को शादी के बाद खुद के फैसले लेने की आज़ादी हो तो कितनी लड़कियों के सपने टूटने से बच जाये…! 

कैसी लगी आपको ये कहानी बताइयेगा जरूर.

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

4 thoughts on “बराबरी का रिश्ता – संगीता अग्रवाल  : Moral stories in hindi”

  1. बहुत ही बढ़िया कहानी लगी। आजकल ऐसे रिश्ते बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। 🙏 धन्यवाद 🙏

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