बद्दुआ से किस्मत रूठ जाती है – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : महेश जो कि डॉक्टर बनने के बाद अपनी मम्मी से किसी बात पर नाराज होकर शहर में रहने लगा था कई साल बाद जब अपनी मम्मी अंजलि से मिलने अपने गांव आया तो सामने वाला घर जो कभी बेहद आलीशान था और उसमें एक बनिया जिसका नाम दयाराम जो ब्याज पर पैसे देने का काम करता था अपने बेटे और पत्नी के साथ खुशी खुशी शान से रहता था उसके घर में सूनापन और दरवाजे पर दूब उगी हूंई देखकर आश्चर्य से बोला” मम्मी जी दयाराम अंकल के घर में इतना सूनापन क्यों है? उसके बेटे कहां गए? और उनके दरवाजे पर दूब क्यों उगी है?

बेटे के सारे सवाल सुनकर अंजलि को कुछ पुरानी बातें याद आ गई थी जब वह अपने पति और बेटे के साथ खुशी से रहती थी पति अमित एक कंपनी में जॉब करते थे और बेटा महेश 12वीं की परीक्षा पास करके डॉक्टर बनने के लिए नीट की तैयारी कर रहा था कि इस दौरान एक एक्सीडेंट में अमित की मौत हो गई थी जिसके कारण गृहस्थी का सारा भार अंजलि के कंधों पर पड़ गया था बेटे का डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए जब उसे मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने के लिए पैसों की जरूरत पड़ी तब उसने दयाराम से पैसे उधार मांगे तो बदले में उसने उनके पास जो जमीन थी जिस पर खेती करके अंजलि अपना और बेटे का पेट भरती थी उसके कागज यह कहकर अपने पास रख लिए थे कि जब वह पैसे वापस करेगी तो उसे जमीन के कागज वापस मिल जाएंगे

MBBS करने के बाद जब महेश को अपना क्लीनिक खोलने के लिए जमीन की जरूरत पड़ी तब अंजलि पैसे लेकर दयाराम के पास अपनी जमीन के कागज मांगने गई तो दयाराम ने जमीन के कागज देने से साफ इनकार कर दिया क्योंकि उसके मन में लालच आ गया था वह उस जमीन पर अपने बेटे मनीष के लिए एक फैक्ट्री का निर्माण करना चाहता था जब अंजलि को उसके इरादे का पता चला तो दुखी मन से उसने दयाराम को बद्दुआ देते हुए कहा” जिस बेटे के लिए तुमने मुझसे बेईमानी की एक दिन वही बेटा तुम्हें छोड़कर तुमसे बहुत दूर चला जाएगा तुम्हारे घर में तुम्हें कोई पानी देने वाला भी नहीं रहेगा।”

बद्दुआ सुनकर दयाराम बेशर्मी से मुस्कुराते हुए बोला” मैं बहुत किस्मत वाला हूं तभी तो तुम्हारी जमीन फ्री में मिल गई मुझे अब उस पर मैं अपने बेटे के लिए एक फैक्ट्री का निर्माण करूंगा जिसमें गाड़ियों के कल पुर्जे बनेंगे तुम्हारी बद्दुआ से मुझे कुछ नहीं होने वाला जाओ अपना काम करो” दयाराम की बातें सुनकर जब दुखी मन से उसने यह बात घर आकर अपने बेटे महेश को बताई तो वह अपनी मम्मी से नाराज हो गया था क्योंकि अंजलि ने उसकी पढ़ाई के लिए पैसे लेने के लिए जमीन के कागज देने से पहले उससे यह सोचकर कुछ पूछा भी नहीं था कि पैसे होने पर वह जमीन के कागज वापस ले लेगी उसे क्या पता था कि दयाराम उसके साथ बेईमानी करेगा और जमीन के कागज उसे देगा ही नहीं बस इसी बात से नाराज होकर महेश वापस शहर चला गया था और वहीं पर एक प्राइवेट अस्पताल में उसकी नियुक्ति हो गई थी जिससे वह अपनी मम्मी को गांव में छोड़कर शहर में ही रहने लगा था।

महेश की बात सुनकर अंजलि मुस्कुराते हुए बोली” बद्दुआ से किस्मत फूट जाती है दयाराम को बहुत गरूर था अपनी किस्मत पर लेकिन जब इसने बेईमानी करके हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया तब दुखी मन से मैंने इसको बद्दुआ दे दी थी जिस बेटे के लिए इसने हमसे बेईमानी की थी वही बेटा इसकी सारी जमीन बेचकर पैसे लेकर विदेश भाग गया और वहीं पर रहने लगा उसके गम में पत्नी की दिल का दौरा पढ़ने से मौत हो गई दो दो गम का झटका पड़ने के कारण दयाराम बुरी तरह से टूट गया और बीमार रहने लगा जिसके कारण घर में सूनापन और काफी समय से साफ सफाई न होने से दरवाजे पर दूब उग आई बेटा दुख देने वाले को जीवन में सिर्फ दुख ही मिलता है सुख नहीं।”

दयाराम के बारे में सुनकर महेश का दिल दुखी हो गया था क्योंकि उसने भी तो अपनी मम्मी से नाराज होकर उसे अकेला छोड़कर उसका दिल दुखाया था उसकी मम्मी ने तो उसके भले के लिए ही दयाराम से पैसे लिए थे वह पश्चाताप के कारण अपनी मम्मी के चरणों में झुक गया माफी मांगते हुए हाथ जोड़कर बोला” मम्मी जी मुझे माफ कर दो आज के बाद में आपको अकेला नहीं रहने दूंगा अब आप भी मेरे साथ शहर चलेंगी” महेश की बात सुनकर अंजलि ने प्यार से महेश को गले लगा लिया था।

अपनी किस्मत पर कभी गुरुर नहीं करना चाहिए किस्मत भी तभी तक साथ देती है जब इंसान अच्छे काम करता है जब इंसान बुरे कर्म करने लगता है तो उसकी किस्मत भी रूठ जाती है इसलिए कोशिश करो अच्छे काम करने की लोगों को खुशियां देने की ताकि अच्छी किस्मत हमेशा के लिए बनी रहे।

बीना शर्मा

    #किस्मत          

 

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