किस्मत को मात – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कहावत है कि वक्त से पहले एवम किस्मत से जादा जीवन में कुछ नहीं मिलता। किन्तु आशिष को अपने ऊपर कुछ ज्यादा ही भरोसा था। उसका मानना था कि यदि मेहनत से कोई भी काम किया जाये तो किस्मत भी साथ देती है। अपने इन्हीं विचारों के साथ आशिष ने अपने जीवन को ढालने का प्रयास किया।

बचपन सै ही वह कुशाग्र वुद्धि मेधावी छात्र था। B .com. कर अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बॅटाना शुरू किया। उसकी – सोच एवम मेहनत रंग लाई और छोटी सी कपड़े की दुकान ने एक बडे शोरूम का आकार ले लिया। अब उसके पिता पुरानी दुकान पर बैठते और वह बड़ा शोरूम सम्हालता। कालान्तर में उसने अपने शोरूम की तीन ब्रांच शहर में अलग अलग स्थानों पर खोल दी । उसका विजनेस दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा था।

इस सब के बीच उसकी पारिवारिक जिन्दगी भी बदल चुकी थी। उसकी शादी रीमा से हो चुकी थी जो एक बहुत ही सुशिक्षित संस्कारी सुन्दर लडकी थी जिसने बडे अच्छे ढंग से अपनी घर गृहस्थी सम्हाल ली थी।वह दो सुन्दर बच्चों बेटे-बेटी का पिता बन चुका था पापा को उसने अब पूर्ण रूप से घर में आराम करने को बिठा दिया था। उसके घर का वातावरण पूर्ण रूप से सकारात्मक था जो उसे अपने कार्य करने में उर्जा प्रदान करता था और पारिवारिक जिम्मेदारियों से निश्चिंत हो सारा ध्यान अपने काम पर लगाता था।

उसकी मेहनत और किस्मत रंग दिखा रही थी ,अब उसने एक छोटी फैक्टरी भी डाल ली थीं जहां रेडिमेड कपड़े तैयार होते थे।

समय चक्र तेजी से घूम रहा था कब जीवन के पन्द्रह साल बीत गए पता ही नहीं चला। उसके पिता भी दुनियाँ से जा चुके थे । किन्तु कहते है न कि सब दिन एक समान नहीं होते, वक्त ने करवट बदली और पल भर में सब तहस नहस हो गया।वह एक दिन ऑफिस में बैठा था कि अचानक चक्कर खाकर बेहोश होकर गिर गया। तुरंत अस्तपताल ले जाया गया किन्तु तब तक बीमारी अपना काम कर चुकी थी।

उसे व्रेन स्ट्रोक आया था और वह लकवा का शिकार हो चुका था। चलने फिरने में लाचार अपाहिज व्हील चेअर पर आ गया। अब उसकी जो मनोदशा थी वही जानता था। इतना बडा विजनेस अम्पायर जो उसने खड़ा किया था कैसे सम्हलेगा। बच्चे अभी छोटे थे पढ़ रहे थे। रीमा को भी विजनेस कोई ज्ञान नहीं था। दूसरों पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकते थे । यह उसके जीवन में किस्मत की बहुत बडी मार थी जिसने उसे बिचलित कर दिया था।

समय के साथ एक बार उसने फिर हिम्मत कर अपने को कार्य के लिए खड़ा किया ,और अपने साथ-साथ रीमा को भी काम सीखाना शुरु किया। रीमा उसके मार्गदर्शन में काम सम्हालने लगी। एक बार उसकी मेहनत फिर रंग लाई और उसका काम फिर चल निकला उसने एक बार फिर अपनी मेहनत से किस्मत को मात दे दी।

शिव कुमारी शुक्ला

स्व रचित मोलिक अप्रकाशित

    #किस्मत          

 

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