बच्चों की खुशी – मेघा मालवीय   : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रोहन और राधिका   समरथ सिंह जी के दो बच्चे थे। समरथ जी ने दोनों बच्चों की परवरिश अच्छे से की थी। समय के साथ बच्चे बड़े हो गये , समरथ जी को उनके विवाह की चिंता सताने लगी, सही मौका और अच्छा घर वार देखकर राधिका का विवाह  करवा दिया।
राधिका को अच्छा ससुराल मिला अब समरथ जी को केवल रोहन की चिंता थी, रोहन ने बड़े शहर में रहकर कॉलेज की पढ़ाई की थी, तो वह अब  अपने छोटे शहर नही आना चाहता था। वह शहर में रहकर नौकरी करना चाहता था, पर समरथ जी चाहते थे की वह उनके पास रहकर कोई व्यवसाय कर ले, लेकिन रोहन अब अपने छोटे शहर वापिस नही जाना चाहता था।
रोहन को जब अच्छे पैकेज पर एक मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब मिली तो उसने समरथ जी को स्पष्ट कह दिया की मे अब पीछे नहीं देखना चाहता पापा अब आप मुझे मजबूर न करें,
समरथ जी बेटे की जॉब से बहुत खुश हुए, पर उन्हें उसके फैसले पर दुख भी हुआ, पर उनकी पत्नी ने उन्हें समझाया की वो हमारे साथ यहाँ नहीं रह सकता पर हम तो उसके साथ उसके शहर में रह सकते हैं ना। समरथ जी को उनकी बात सही लगी, उन्हें अब ज्यादा बुरा नहीं लग रहा था, और समरथ जी भी बच्चों की खुशी मे खुश होने बाले व्यक्ति थे। तो अब वो सब भूल गए, पर अब उन्हें रोहन के विवाह की चिंता होने लगी अब रोहन को अच्छी जॉब मिल गयी तो उन्होंने रोहन की शादी का मन बना लिया।
उन्होंने रोहन से पूछे बगैर रिश्ते देखना शुरू कर दिया, मतलब उन्होंने मन बना लिया की उनके दोस्त की बेटी से ही रोहन की शादी होगी, क्यों की वो दोनों एक दूसरे को बचपन से जानते है तो कोई समस्या नहीं होगी,फिर जब रोहन रक्षाबंधन पर अपने घर आया तो उन्होंने शादी को लेकर रोहन से बात की पहले रोहन ने कुछ नही कहा ऐसे ही दो तीन दिन बीत गये,
फिर जब रोहन अपनी छुट्टी पूरी करके शहर जा रहा था तो उसने जाते जाते कहा पापा  आप मेरे लिए लड़की मत देखिए मैंने अपने लिए पत्नी और आपके लिए बहु ढूंढ ली हैं। मतलब कोर्ट मेरिज कर ली क्यों की नीरजा  के पिता उसकी जबरदस्ती शादी कर रहे थे, सब बहुत जल्द बाजी में हुआ  आपको बताने का मौका ही नहीं मिला। मुझे पता था, आपकी सहमति मिल जाएगी हमारे रिश्ते को, आप समझ जाएंगे।
समरथ जी को उसकी बात पर भरोसा नहीं हुआ  उन्होंने कहा रोहन तुम एेसा कैसे कर सकते हो, तो उसने कहा सॉरी  माँ ,पापा  मे आप को दुख नही पहुँचाना चाहता था पर परिस्थितियाँ प्रतिकूल थीं।
और हमारा वैवाहिक जीवन सुखी आपके आशीर्वाद के बगैर नहीं हो सकता, आप और माँ नीरजा से पहले मिल ले फिर जब आप कहै तब रीति रिवाज से शादी कर लेंगे। आप जैसी बहू चाहते थे वो बिलकुल वैसी गै
समरथ जी ने कुछ नहीं कहा,कहा की बेटा जाओ नहीं तो देर हो जाएगी।
पर समरथ जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
उन्होंने रोहन के लिए अपने कॉलेज के दोस्त की बेटी कुहू को पसंद किया था। कुहू पढ़ी लिखी संस्कारी लड़की थी, जो पूरी तरह से रोहन के योग्य थी और कुहू के पिता को रोहन भी अपनी बेटी के लायक लगा था।
और सबसे बड़ी और अच्छी बात ये थी की दोनों बच्चे पहले से एक दूसरे को जानते थे, पर रोहन और कुहू बस मिलते भर थे, हां पर राधिका और कुहू  में गहरी मित्रता थी। सबको कुहू पसंद थी और ईधर रोहन को भी सब पसंद करते थे। पर रोहन ने कभी कुहू को वैसे पसंद नहीं किया
पर कुहू अपने पिता की बात मानकर रोहन से शादी के लिए मान गयी।
लेकिन इधर तो रोहन साफ कह चुका था कि उसने शादी कर ली है। रोहन के पिता को समझ नहीं आ रहा था क्या करें और क्या न करें, वो बस भगवान से प्रार्थना कर रहे थे , सब ठीक करने के लिए।
समरथ जी ने अपने दोस्त कुहू के पिता जी से कहा कैसे कहूँ समझ नहीं आ रहा है,  भाई साहब मुझे नहीं पता था की कुहू और रोहन का रिश्ता  करने में  ऐसी परेशानी आएगी, नही तो मे आप को जुबान नहीं देता ।
आप एेसे क्यों बात कर रहे है ?  कुहू के पिता ने समरथ  जी  से पूछा, तो उन्होंने कहा की कभी सोचा नहीं था रोहन मुझे धोखा देगा, मतलब की सीधी भाषा में कहूँ तो उसने शहर में ही किसी नीरजा नाम की लड़की से कोर्ट मेरिज कर ली, अभी जब वो आया तो उसने बताया ,  मैं शर्मिंदा हूँ,भाई साहब आप से माफी चाहता हूँ ,और कुहू से भी।
तो कुहू के पिता ने कहा भाई साहब बात तो बहुत बड़ी है पर अब कुछ नहीं हो सकता, और
आप क्यों माफी मांग रहे है आप तो  खुद गच्चा खाकर बेठे है अपने बेटे से, जो हो गया सो हो गया हमारी दोस्ती का रिश्ता तो है,
और ये कभी खत्म नही होगा।
और वैसे भी अब जबरदस्ती वाला जमाना नहीं रहा, बच्चों को छूट तो हमने ही दी है ना तो बस अपने मन में ज्यादा बोझ मत रखो।
आशीर्वाद देदो अपने बेटे बहू को। 

मेघा मालवीय

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