“बाबा,आपको बेसहारा कैसे कर दूं!” – अमिता कुचया

रजनी आज सुबह ही बाबा के कमरे में झाड़ू लगा रही थी ।तभी उसने देखा कि बाबा के चश्मे से ग्लासेस टूट चुके हैं।तब उसने सोचा, चलो जब बाबा उठेंगे ,तब उनसे बात करुंगी और वह दूसरे काम में लग गई। बाबा को डर था कहीं रजनी बहू को पता न चल जाए कि चश्मे के ग्लासेस टूट गये अगर पता लग गया तो वह गुस्सा करेगी।

वह पति की असमय मृत्यु के कारण चिड़चिड़ी सी हो गई थी।उस पर घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी आ गई थी

इसलिए घर चलाने के लिए वह कपड़े सिलने लगी थी।अब घर का गुजारा भी बड़ी मुश्किल से हो रहा था।यह बात उसके ससुर भलीभांति जानते थे।

उनके घर में बहू और उनके अलावा कोई नहीं है।उनका बेटा प्राइवेट कंपनी में छोटे से ओहदे में था। लेकिन उनके बेटे  की भी कोरोना के कारण असमय मृत्यु हो गई।और वो पहले ही  काम से रिटायर  हो चुके थे।उनकी उम्र काम की इजाजत नहीं देती थी। बेटे के रहते हुए भी कोई ऐसा काम नहीं करते थे।कि घर में आमदनी हो।उनकी दिनचर्या पेड़ पौधों में पानी डालना और फिर योगा करना।

उनकी उम्र सत्तर साल  थी।वे उम्र के हिसाब से अपना ध्यान तो रख लेते थे। और दो बेटियां थीं उनकी शादी हो चुकी थी।वे अपने अपने घर में सुखी थी।जब मन करता वे फोन पर ही बेटियों से बात कर लेते।

उनकी दिनचर्या थी कि मंदिर जाना , पास के बगीचे में शाम को  टहल आना।   रोज थोड़ा बहुत सब्जी ले आना।वहीं हम उम्र के दोस्तों से उनकी बात हो जाती थी।

अब जब रजनी चाय देने लगी तो देखा बाबा बिना ग्लासेस वाला चश्मा पहने हुए है और  चश्मा नाक  के नीचे करके अखबार पढ़ रहे हैं।तब  रजनी ने टोंका -“अरे बाबा आप ऐसा चश्मा क्यों पहने हैं ! इसके ग्लासेस तो  टूट गये है न••••”

तभी हड़बड़ा कर बोले बहू वो वो••••




तभी बहू शिकायत करते हुए बोली -ये क्या वो वो कर रहे हैं, मैंने सुबह ही देख लिया है,मुझे पता है ,चश्मा के ग्लासेस टूट चुके हैं ,फिर भी आपने बताया क्यों नहीं?

 फिर रजनी ने प्यार भरे शब्दों से कहा -“आप मुझे इतनी बुरी समझते हैं!मैं क्या ग्लासेस नहीं लगवा सकती? फिर प्यार भरे शब्दों में बोली –

बाबा हम एक दूसरे के काम नहीं आएंगे तो कौन हमारा साथ देगा। हमें ही एक दूसरे का सहारा बनना है बाबा •••••

ये चश्मा कब टूट गया बताया क्यों नहीं!

बहू मैं कल जब शाम को लौट रहा था ,तभी अचानक से गिर गया।

फिर बाबा की आंखों में आंसू भर गये और वो कहने लगे-” तू बहू मेरा कितना ख्याल रखती है और मैं तेरा खर्चा नहीं बढाना चाहता था। इसीलिए नहीं बताया।बस•••मेरी दवाई जब लाता तब उसके बचे पैसे से ग्लासेस लगवा लेता। ” 

इस तरह सुनकर रजनी बोली -“बाबा हम दोनों को ही एक दूसरे को संभालना है,एक दूसरे का ख्याल रखना है।आपको अखबार पढ़ते समय कितनी परेशानी हुई होगी मैं समझ सकती हूं।




तब उसके ससुर हाथ जोड़कर विनती करते हुए बोले- बेटी एक बात मानेगी?  मैं कब तक तेरा साथ दूंगा।ऐसा कर तू शादी कर ले। अकेले जीवन नहीं कटता।तू कब तक दूसरों के कपड़ों में सिलाई करके कमाएगी। तेरी कोई संतान भी नहीं है कि उसी सहारे तेरा जीवन कट जाए।”

 

तब हाथ पकड़ कर वह भावविभोर होकर बोलने लगी-” बाबा मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी। चाहे कुछ हो जाए। मैं आपका साथ नहीं छोडूंगी।मेरे सिवा आपका है ही कौन !जो ख्याल रखें आपका !जो इस तरह कह रहे हैं ,आप किसके सहारे रहेंगे?

फिर बाबा ने कहा -“अरे बेटा तू मेरी पसंद के लड़के से ही शादी कर ले।  वो शादीशुदा नवीन है न•••बहुत नेक है 

उसकी पत्नी को गुजरे कुछ ही समय हुआ है उसकी बिटिया को मां मिल जाएगी। तुझे एक जीवनसाथी मिल जाएगा।आज हूं, कल नहीं ••••

अच्छा बाबा ठीक हैं, मैं आपकी बात मान लूंगी।पर आप हमसे कभी दूर नहीं होंगे।

फिर  रजनी की शादी हो जाती है तब बाबा  से कहती हैं बाबा आपका पहले जैसा ही मुझ पर  हक होगा। कभी पराया नहीं मानोगे। और मेरे साथ ही सदा रहोगे।

इस तरह ससुर ने अपनी बहू को बेटी समझकर उसकी शादी करवा दी। ताकि आने वाला भविष्य बहू का सुखमय हो सके। उसके जीवन  में खुशियां ही खुशियां हो। इस तरह  विधवा बहू को  पुनः विवाह कराकर पिता समान ससुर ने अपना फर्ज पूरा किया।ताकि आने वाले समय में बेटी समान बहू को और उन्हें एक बेटे का सहारा मिल सके।

दोस्तों-जब बहू विधवा हो तो उसका  पुनर्विवाह कराके उसके कठिन जीवन में खुशियों से भर देना चाहिए।ताकि उसका जीवन सुखमय हो सके।

दोस्तों- ये रचना कैसी लगी? कृपया अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें। और आपके विचार और सुझाव साथ ही अनुभव भी शेयर करें। मेरी और भी रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फालो भी करें।

#सहारा 

 

धन्यवाद 🙏❤️

 

आपकी अपनी दोस्त ✍️

 

अमिता कुचया

 

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