अटूट बंधन – कला नैथानी Moral stories in hindi

आसमान में बिजली और बादलों की गड़गड़ाहट रश्मि का सुकून छीन रहे थे।  “आज ही बरस जाओ मेघ देवता, कल मेरा इंटरव्यू है,मेरे जीवन की अग्निपरीक्षा है ये और तुम बरसे तो मैं कैसे सफल हो पाऊंगी”  दोनो हाथ जोड़े रश्मि बुदबुदा रही थी।

“क्या हुआ बेटा” रश्मि ने आवाज़ सुनी तो पलटकर उन्हें अपनी बाहों में भर लेना चाहा।

“ये पकौड़ी और चाय, मौसम का मिजाज देखा तो बना लाई, जिस मौसम से मन बेचैन है उसी मौसम की कृपा से अपनी सास की बनाई हुई पकोड़ी और चाय का आंनद लो ” रश्मि की सास स्नेहपूर्वक बोली।

“क्या माँ, कर दिया न पराया, खुद को सास कहकर मुझे पराया कर देती हैं?” पकोड़ी बनाने के लिए मुझे कह देती आप?” रश्मि ने कहा।

“यहां आई तो देखा कि तुम मौसम से शिकायत किये बैठी हो, परेशान हो तो फिर ये प्लान किया, तुमको खुशी महसूस करवाने के खातिर।” रश्मि की सास बोली

“माँ ये ख्याल मन में अक्सर आता है  कि काश मैं कुछ कर पाती तो आज नीलेश हमारी जिंदगी में होते, मगर वो कार एक्सीडेंट उन्हें हमसे कितनी दूर ले गया न माँ? संसार तो अधूरा ही हो गया हो माँ?” रश्मि आंखों से आंसू पोछ रही थी।

“क्यों अपना दिल दुखी कर रही हो, मैं मां होकर कभी नही कमजोर पड़ती क्योंकि उसके जाने के बाद मेरे पास उसकी अमानत को सलामत रखने की भी जिम्मेदारी है,वो जो इस दुनिया मे अभी आया ही नहीं है उसके लिए भी  हमें खुद को स्ट्रांग रखना है रश्मि बेटा, याद है न निलेश ने क्या कहा था मेरे अंश को अच्छी परवरिश देना बस फिर मेरे लिए एक आंसू भी न रोना” रश्मि की सास ने रश्मि को हिम्मत दी।

सुबह चिड़ियों का कलरव सुन  उमंग से भर गई थी रश्मि “शुक्रिया ईश्वर! मेघ देवता ने सुन ली मेरी, अब बस इंटरव्यू की टेंशन है।” रश्मि ने घर के काम निबटा फटाफट से  पूजा की, माँ को नाश्ता दिया खुद नाश्ता करके जाने लगी तो  सामने माँ सा वात्सल्य समेटे, दही की कटोरी लिए सास खड़ी थी, सब शुभ रहे बेटा, तुम्हारा दिन और तुम्हारी मेहनत भी, ऑटो है बाहर,मैंने बुला लिया कि कहीं तुम भागदौड़ में भूल न जाओ कि तुम प्रेग्नेंट हो” रश्मि की सास ने उसका माथा चूमा ।

“मे आई कम इन सर” दरवाजे पर नॉक करते हुए रश्मि बोली।

कुर्सी घुमाते ही आदित्य की नजरें जैसे धोखा ही खा रही हों, वह अपनी सीट से खड़ा होकर रश्मि के पास  पहुंचा, “तुम? क्या मैं सचमुच रश्मि को ही देख रहा हूँ?” आदित्य रश्मि के कंधे पर पुरजोर हाथ रखकर पूछ रहा था।

“हाँ सर ! मैं रश्मि शर्मा आपके डिपार्टमेंट में इंटरव्यू देने आई हूँ,प्लीज मेरे कंधे से अपने हाथ हटाइयेगा” रश्मि ने दृढ़ होकर कहा।

“रश्मि शर्मा? शर्मा लग जाने से तुम्हारी पहचान बदल गई? तुम मेरी और मैं तुम्हारा हुआ करता था वो रिश्ता कोई मायने नही रखता?” आदित्य ने रश्मि से कहा।

“आदित्य सर!मैं इंटरव्यू देने आई हूँ, न कि बीती बातों पर चर्चा के लिए? कीमती वक्त बर्बाद कर रहे हैं आप” रश्मि ने अपना रिज्यूम आदित्य को सौंपते हुए कहा।

“रश्मि मैं रिज्यूम मैनेजमेंट को फॉरवर्ड कर रहा हूँ, ऑल द बेस्ट” आदित्य ने बताया।

 “आदित्य जी, रश्मि एलिजिबल हैं रिज्यूम के हिसाब से, इनको भेज दीजिए इंटरव्यू के लिए” फोन से बाहर आती आवाज़ रश्मि को हिम्मत दे गई।

“रश्मि, राइट टर्न पर पहला ऑफिस है, वहां चले जाइये” आदित्य ने कहा।

रश्मि के बाहर जाते ही आदित्य की आंखें बरस पड़ी, “ईश्वर ने हमें मिलाया भी तो ऐसे कि अब अजनबीपन से बात कर रहे हैं,काश रश्मि के लिए मेरे पैरेंट्स को ऐतराज न होता तो आज हम साथ ही होते और अब मेरा उसकी जिंदगी में हस्तक्षेप करना गलत है, ये राज कि मैंने शादी नही की, क्योंकि रश्मि जैसी कोई मिली नही, उससे बताना भी गलत है” आदित्य सोच रहा था।

“आदित्य सर एक बात क्लियर करना चाहती हूं, मुझे नही मालूम कि सेलेक्शन होगा या नही लेकिन अगर हुआ तो मैं आपसे एक वादा चाहती हूं, आप पुराने रिश्ते का जिक्र न मुझसे और न ही साथी कुलीग्स से करेंगे? औऱ अगर ऐसा  हुआ तो मैं इस जॉब को छोड़ दूंगी, क्या पता ये हमारी आखिरी मुलाकात हो इसलिए ये कह देना चाहती हूं कि मैं अपने शादीशुदा जिंदगी में व्यस्त हूँ, जैसे छोड़ गए थे, मुझे आज भी वैसे ही अलग कर दीजिए खुद के मन और जिंदगी से? मुझे यहां सिर्फ जॉब करने का माहौल चाहिए।” रश्मि ने कहा।

“रश्मि जी आप अगले हफ्ते से जॉइन कर लीजिए, आपकी योग्यता के कारण ज्यादा समय नही लगा सेलेक्शन में, ये जॉइनिंग लेटर रखिये, धन्यवाद!” वरिष्ठ प्रबंधक ने कहा।

“ओह गॉड थैंक यू, माँ कितनी खुश होंगी यह जानकर।” रश्मि बहुत उत्साहित थी।

“रश्मि, मेरी तरफ से बेफिक्र रहना मैं तुमको अपना न बना पाया था और अब तुम किसी और की हो। कुछ काम है इसलिए में जा रहा हूँ। आदित्य रश्मि से आगे तेज कदमों में निकल गया।

रश्मि नई जिम्मेदारी को सास के सहयोग से बखूबी निभा रही थी। ऑफिस में रश्मि को असहज होते देख आदित्य को मालूम हुआ कि वह प्रेग्नेंट है तो वह रश्मि को डांटने लगा, “कैसे पति हैं तुम्हारे, प्रेग्नेंट वाइफ को नौकरी पर भेज देते हैं? छुट्टी लेकर घर नही रह सकती क्या”

“जुबान पर लगाम रखिये,वो इस दुनिया मे नही हैं और आप कौन होते हैं, कुछ भी कह देने को? मैं यहां सिर्फ एक इम्प्लॉय हूँ”  रश्मि ने कहा।

आदित्य को याद आये वो पल जब रश्मि परेशान होती थी वो कैसे हकदार हुआ करता था उसको खुशी देने का, हर जतन करता था उसकी मुस्कान के खातिर?”

 सुबह रश्मि ऑफिस पहुंची तो उसने ऑफिस के चपरासी से पूछा “शेखर अंकल, आज आदित्य सर कहीं दिखाई नही दे रहे हैं?”

“आदित्य सर आज छुट्टी पर हैं और ये पत्र है आपके लिए” रश्मि ने वह लेटर पढ़ना शुरू किया, “तुम्हारी खुशी के लिए तुमसे दूर जा रहा हूँ, इस समय तुम जिस अवस्था मे हो, तुम्हारा खुश रहना बहुत जरूरी है रश्मि। अपनी जीवन संगिनी ढूंढ लेने का समय आ गया है अब, इसलिए ही छुट्टी पर हूँ,  ट्रांसफर भी करवाना है अपना”

रश्मि के मन मे संतुष्टि थी कि अतीत में टूटे बंधन के फेर में न पड़कर उसने सात फेरे के अटूट बंधन की मान मर्यादा को जरा भी आंच नही आने दी, नीलेश और रश्मि का अटूट बंधन टूट कैसे सकता है?” रश्मि ने वह पत्र फाड़कर डस्टबिन में फेंक दिया।

कला नैथानी

स्वलिखित कहानी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!