अरमानों की उड़ान – स्नेह ज्योति: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ओ मुनिया ! कहाँ गई ?? एक काम करने को कह दो इसे …मजाल जो जल्दी से सुन लें । कहाँ हैं ?? सुन रही है !! …..आती हूँ माँ बस थोड़ी देर ऑर रॉकेट आसमान में उड़ा दूँ ।

रॉकेट उड़ा कर तू ही बनेगी अगली वैज्ञानिक ! घर के कामो पे तो ध्यान है नहीं । रॉकेट उड़ा कर भी यहीं धरती पर ही रहना है ।

माँ “देख लेना एक दिन तो मैं रॉकेट उड़ा के रहूँगी “। तभी उसका छोटा भाई छोटू बोला दिवाली आ रही है ! उड़ा लेना जितने रॉकेट उड़ाने है। लेकिन मेरे रॉकेट को हाथ ना लगाना । दोनो बहन भाई लड़ना शुरू कर देते हैं । तभी उनकी माँ दोनो पे चिल्लाती हैं ……

अब तुम दोनों लड़ना बंद करो और ये पापड़ पैक करने में मेरी मदद करो । कल तक सारा ऑर्डर पूरा करना है । नहीं तो पैसे नही मिलेंगे ।

महँगाई की मार झेल रहे परिवारों के लिए जीवन यापन की किन वस्तुओं का त्याग करे किस का नहीं इसी कश्मकश में हमेशा नुक़सान उठाते हैं । ऐसा ही कुछ कीर्ति के पापा के साथ हुआ और वो अपनी नौकरी खो बैठें । अब घर कैसे चलेगा ?? यही सोच कावेरी ने कीर्ति की पढ़ाई छुड़वा देने का फ़ैसला किया । दसवीं तक पढ़ ली इतना ही बहुत है और आगे पढ़ के क्या करना ।

जब ये बात कीर्ति को पता चली तो वो बोली -“ माँ में अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ूँगी ! मुझे पढ़ना अच्छा लगता है “।

कावेरी तुम मेरी बेटी के अरमानो को कुचलों मत ! इसे पढ़ना है पढ़ने दो मैं पैसे कमा के दूँगा ।

ज़रूर पढ़ के यही वैज्ञानिक बनेगी !

क्या पता कावेरी….. बन भी सकती है । दीदी जब तुम एक वैज्ञानिक बनो तो मुझे भी अपने रॉकेट में बैठा चाँद पे भेजना । चंदा मामा से एक सवाल करना है ??

कैसा सवाल ????

यही कि माँ के भाई है ! तों कभी तो राखी पर आ ज़ाया करे …..

ये सुन सब छोटू की बात पे हंसने लगे ।

कीर्ति के घर के हालात ठीक नहीं थे । कावेरी जितने पापड़ और मसाले बनाती उनसे बड़ी मुश्किल से गुजारा चलता था । कीर्ति के पापा भी उसकी ख़ुशी को पूरा करने के लिए जो भी छोटा मोटा काम मिलता वो कर कीर्ति के स्कूल की फ़ीस देते । वो जानते थे कि उनकी बेटी एक होनहार विद्यार्थी हैं । हम जो जीवन में ना कर पाए वो यें सब करे ।

ऐसे ही समय का पहिया घूमा और कीर्ति ने बारहवीं की परीक्षा में अपने स्कूल में टॉप किया । ये ख़ुशी सम्भाले नहीं संभल रही थी कि कीर्ति को एक अच्छी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई का ऑफर आया । एक तरफ़ कीर्ति जहां खुश थी वहीं उसके माँ पापा को उसकी चिंता हो रही थी । अब तक तो हमनें इसकी पढ़ाई का खर्चा जैसे तैसे सम्भाल लिया था । लेकिन इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में एडमिशन का खर्चा कैसे पूरा करेगे ।

जब कीर्ति की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया तो कॉलेज वालों ने उसे बुलाया और पूछा कि क्या आप हमारे कॉलेज में एडमिशन नहीं लेना चाहती ????

नहीं सर…. ऐसी कोई बात नहीं हैं । बस मेरे माँ पापा इतना महँगा कॉलेज अफ़ोर्ड नहीं कर सकते ।

बस इतनी सी बात तुम जैसे होनहार विद्यार्थीयो को हमारा कॉलेज फ्री में एजुकेशन देता है । खर्चे की चिंता छोड़ दो बस कल से कॉलेज आना शुरू कर दो ।

थोड़ा हिचकिचाते हुए कीर्ति के पापा बोले सर हम बहुत ग़रीब है तो कल को कोई मेरी बेटी का मज़ाक़ ना बनाए । आप बिलकुल बेफिक्र रहिए अब आप की बेटी एक वैज्ञानिक बन कर ही निकलेगी ।

कुछ वर्षोनुप्रान्त कीर्ति ने अपनी पदाई पूरी करी और रिसर्च सेंटर में काम पे लग गई । वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद उसे और उसकी टीम को अपने सपनो को साकार करने का मौका मिला ।

जब भारत की तरफ़ से उसकी टीम ने रॉकेट आसमाँ में छोड़ा तो सब बहुत खुश थे । कीर्ति के घर वाले भी आज अपनी बेटी का अरमान पूरा होते देख अपने आप पर गर्व महसूस कर रहे थे । कीर्ति ने घर आकर जब अपने माँ पापा का गले लगाया तो उसकी माँ के आंसू बह चले ….

क्या हुआ माँ ????

कुछ नहीं , बस आज वो दिन याद आ गया । जब मैं तुझें आगे पढ़ने से रोका करती थी और तू मुझे कहती थी कि देख लेना एक दिन मैं ज़रूर चाँद पे रॉकेट भेजूँगी ।

मुझे गर्व है ऐसी बेटी पे जो इतनी असुविधाओं के बाद भी आज इस मकाम पर पहुँची । छोटू जो अब बड़ा हो चुका था वो भी अपनी बहन की कामयाबी पे खुश था । आख़िर कार मेरी बहन के अरमानो ने आसमाँ को छूँ ही लिया ॥

#अरमान

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

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