अनदेखा प्यार – गोविन्द गुप्ता 

राघव जो कभी भी ऑनलाइन प्लेटफार्म की ओर गया ही नही शोशल मीडिया से दूर रहने का ही मन करता था उसका,

पर दोस्तो के कहने पर फेसबुक आईडी बना ली और वाट्सअप भी इनस्टॉल कर लिया तो धीरे धीरे पोस्ट लाइक कमेंट्स होने लगे अनजाने दोस्तो से दोस्ती अच्छी लगनी लगी खुद की सेल्फी ओर उस पर लड़कियों के कमेंट्स रोमांचित करने लगे,

दो वर्ष तक यह सब चलता रहा बहुत से फ्रेंड्स बन गये लड़कियां और हमउम्र लड़के ही ज्यादा थे,

रात में देर तक जागना और सुवह जल्दी उठना आदत बन गई थी उसकी,

रात में चैटिंग होती थी लड़कियों से देर तक बातें होती थी,

उनमें से ही एक उर्मिला के नाम से आईडी थी ,

बहुत सुंदर नवयौवना की फोटो थी प्रोफ़ाइल में ,

एक दिन राहुल ने मैसेंजर पर छोटा सा मैसेज दिया गुड़ नाइट का तो उधर से रिप्लाई आया इतनी जल्दी क्यो,

राहुल को लगा वह बात करना चाहती है तो रोमांच से भर गया पूरी रात बात हुई ,

धीरे धीरे सिलसिला चल निकला तो राघव को प्यार सा हो गया,


एक लड़की  जिसे आजतक देखा नही देर रात तक प्रेमभरी बातें,

एक दिन राघव ने मिलने की बात की तो उधर से कहा गया समय आने पर हम खुद मिल लेंगे,

दो वर्ष तक ऐसे ही चैटिंग होती रही एक दिन राघव ने जिद की आप मिलने से क्यो डरती हो,

तो उधर से कहा गया कि हम अकेले नही चार के साथ मिलेंगे राघव खुश हो गया कि आज पार्टी मजेदार होगी,

अपने शहर से लड़की के वताये शहर के एक रेस्टोरेंट में वह पहुंच गया,और बुक की हुई टेबल पर इंतजार करता रहा,

लेकिन कोई नही आया तो झुंझलाहट होने लगी ,

इतने में एक पति पत्नी और दो बच्चे आकर टेबल पर बैठ गये,

अब राघव की उलझन और बढ़ गई तो कॉल की पर यह क्या घण्टी तो पड़ोस की आंटी के मोवाइल में बज रही थी,

वह हड़बड़ा गया कि कही इन्ही की बेटी तो नही थी वह जिसे बुलाया था,

वह उठा और चल दिया पर आवाज आई राघव कहाँ जा रहे हो हंमे बुलाकर तुम तो इतनी दूर मिलने आये और हम आये तो तुम जा रहे हो,

राघव अवाक रह गया बोला आंटी आप तो मेरी माँ के समान है फिर भी इतना बड़ा मजाक,

रजनी नाम था उसका बोलने लगी राघव यह दुनियां आभासी है प्रोफ़ाइल के पीछे कौन है हम नही जानते,

हमने जरूर तुमसे धोखा किया पर तुम्हे इस दुनियां का सच दिखाने के लिये की हर सुंदर प्रोफ़ाइल के पीछे का सच सुंदर नही होता इंसलिय अब वही रिक्वेस्ट स्वीकार करो जिन्हें जानते हो या विश्वास हो ,


राघव सर झुकाये खड़ा था,

हाँथ पकड़कर रजनी ने बिठाया और ऑर्डर की हुई कॉफी उसे पकड़ा दी इतने में रजनी के पति ने राघव से कहा बेटा रजनी बहुत बताती थी तुम्हारे बारे में पर यह चिंता करती थी कि कही तुम किसी गलत संगत में न पड़ जाओ इसलिये यह प्लान बनाया की तुम्हे किसी से उलझने ही न दे और सही बक्त पर सही बात बताई जाये,

राघव से न रहा गया उठा और दोनो के चरण स्पर्श किये और बच्चो को चाकलेट दी जो अपनी माशूका के लिये लाया था,

और फिर अपने शहर विदा हो गया इस निर्णय के साथ कि अब बिना जानपहचान कोई चैटिंग नही न ही रिक्वेस्ट स्वीकार करूंगा,,

प्रेम तो उससे करूंगा जो सामने होगी

लेखक

गोविन्द

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