…  ऐसा मैने सोचा था – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अरी सुमित्रा मेरा बैंक बैलेंस और ये संपत्ति किसके लिए हैं मेरी बेटी माला के लिए ही तो हैं।देखना उसकी शादी इतनी धूमधाम से  करूंगा कि पूरा गांव याद रखेगा रामदयाल बिस्तर पर पड़ी अपनी पत्नी का हाथ थामते हुए दिलासा दे रहे थे।

आपके मुंह में घी शक्कर जी।लड़का शांतनु तो बहुत अच्छा है।सगाई के दिन मेरे पांव छूने लगा था कहने लगा आप भी तो मेरी मां हुई।मैने कहा मुझे पाप लगेगा अपने होने वाले दामाद से मै लड़की की मां होकर पैर छुआ ऊंगी ।मेरे जीवन की तो अब यही साध है

कि इस बार बात बन जाए और मैं अपने जीते जी बिटिया की शादी देख लूं।आप मेरी तबियत की बिल्कुल चिंता मत करना ।ये तभी अच्छी होगी जब माला की शादी हो जाएगी…असली चिंता तो बस यही है कि लड़के वाले शादी के लिए डिमांड भी तो अच्छी ही करेंगे वो हम कहां से दे पाएंगे सुमित्रा ने बहुत चिंता से कहा।

तुम इतना मत सोचो किसी प्रकार की चिंता मत करो भगवान सब ठीक कर देंगे मैं आज ही जाकर लड़के वालों से सभी बातें सारा लेनदेन स्पष्ट कर लेता हूं तुम आराम करो दवाई का टाइम हो गया है माला बेटी अपनी मां को दवा दे दे इस बार डॉक्टर साहब ने दवा बदल दी है  जल्दी फायदा करेगी……जल्दी ठीक हो जा बिटिया की शादी की पूरी तैयारी तुझे ही तो करनी है हंसकर अपनी रुग्ण पत्नी को उत्साह दिलाते रामदयाल बाहर चले गये थे।

माला की शादी की बात कई जगह चली लेकिन कभी लड़का सही नहीं लगा और कभी लड़के वालों की मांगें इतनी ज्यादा रहीं कि माला ने ही आगे बढ़कर मना कर दिया।माला एक समझदार पढ़ी लिखी लड़की है वह चाहती है जब लड़का लड़की पसंद आ गए तब फिर मोलभाव किस बात का।अगर लड़की अच्छी है

तो फिर बिना किसी मांग के बिना किसी नखरे के दोनों पक्षों को मिलकर शादी विवाह राजी खुशी से संपन्न कर लेना चाहिए।लड़की वाले हैं तो हमसे दब कर रहे हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी करते रहें ऐसी मानसिकता वाले लड़के वाले कभी सच्ची खुशी नहीं दे सकते।एक दूसरे की इच्छा का सम्मान रखना दोनों पक्षों का धर्म होना चाहिए।

कॉउंसलिंग – ज्योति अप्रतिम

रामदयाल अपनी बेटी को कैसे समझाएं कि सदियों से चली आ रही ये प्रथाएं परंपराएं जारी रहेंगी।ऐसी सोच रखने वाले लड़के वाले कभी नहीं मिलेंगे ।लड़की वाले हैं हम । हमें दबना ही पड़ेगा।मांग करने का अधिकार हमारा नहीं है लड़के वालो का होता है।शादी के समय लड़के वाले और लड़की वालों का अंतर बना ही रहता है।पत्नी की खराब तबियत को ध्यान में रखते हुए इस बार मैं अपने हिसाब से शादी की जो भी बात करूंगा तय करूंगा घर में नहीं बताऊंगा रास्ते भर रामदयाल  यही संकल्प करते हुए जा रहे थे।

मां उठो दवा पी लो माला ने मां को सहारा देते हुए बिठाया और दवाई खिला दी।

मुझे तो चिंता हो रही है बेटी तेरे पिता अकेले गए हैं।मेरी तबियत भी समय असमय  खराब हो जाती है।मैं भी उनके साथ जाती तो ठीक रहता सुमित्रा की चिंता सुन माला ने समझा बुझा कर उन्हें शांत किया।

थोड़ी देर में मां तो दवा के प्रभाव से सो गईं लेकिन माला अशांत हो गई।

मां की तबियत ज्यादा खराब हो गई है।कहीं बाहर ले जाकर दिखाना पड़ेगा यहां गांव के डॉक्टर को दिखाने से कोई फायदा नहीं हो रहा है लेकिन मां है कि जाना ही नहीं चाहती।

माला जानती थी मां की बीमारी की एक वजह उसकी शादी ही है।

लड़की की शादी करना किसी असाध्य रोग होने जैसा ही है।जितनी भी दवाई करवाई जाए ठीक ही नहीं होता।कहते हैं सब की जमाना बदल गया है अब लड़का लड़की दोनों बराबर हैं।लेकिन शादी के समय और शादी के बाद लड़की और उसके घरवालों पर होने वाले  दबाव  उलाहने और अत्याचारों पर सिर्फ लड़की का ही अधिकार होता है।

आपसी सामंजस्य तालमेल घर वालों को एक करके साथ ले चलने की जिम्मेदारी सिर्फ बहू को ही सौंप दी जाती है।ये मान लिया जाता है कि ये लड़की अब बहू बन गई है ससुराल ही इसका सब कुछ है

मायके से अब इसे कोई लेना देना नहीं है वहां की कोई भी जिम्मेदारी  अब इसकी नहीं है।ऐसा कोई होगा जो मेरे विचारों जैसा हो जो ये सब भेद नहीं मानता हो..!!यही सब सोच सोच कर माला का चित्त व्याकुल होता रहता था शादी के बाद तो वह अपनी मां की सेवा ख्याल कर ही नहीं पाएगी।वह शादी करना ही नहीं चाहती थी।

सबक – नीरजा कृष्णा

मां मुझे अभी शादी नहीं करनी है मां के पास वापिस आ बैठते हुए उसने कहा तो सुमित्रा जो आधी नींद में ही थी चौंक गई।

क्या हुआ बेटी शादी की बात सुन कर तो लड़किया खुश हो जाती हैं शर्मा जाती हैं तुझे कोई खुशी ही नहीं हो रही है।

हां मां आपकी तबियत खराब है ना इसीलिए …मां को बहुत चिंतित देख माला ने बात बनाई।

अरे बेटा तेरी शादी की ही चिंता है मुझे बस तेरी शादी अच्छे से निबटा लूं फिर अपनी तबियत पर ध्यान देती रहूंगी सुमित्रा ने वत्सल स्वर में कहा।

पहले आपकी तबियत पूरी तरह से ठीक हो जाए तभी शादी वादी होगी माला ने फिर जोर दिया।

किसकी तबियत खराब है भाई तभी पिताजी की आवाज आ गई।

तेरे पिता जी आ गए जल्दी से पानी ले आ।क्या हुआ जी वहां सुमित्रा की अकुलाहट चरम पर थी।

आरी बावरी होना क्या था ।बड़े सज्जन और भले लोग हैं।उन्हें हमारी बेटी बहुत पसंद है।वे जल्दी ही शादी करना चाहते है रामदयाल ने चहक कर बताया।

अच्छा ये तो बहुत बढ़िया बात है।लेकिन उनकी मांग क्या है जरूर लंबी चौड़ी लिस्ट थमाई होगी सुमित्रा के मन का डर जुबान पर आ गया था।

नहीं नहीं कोई लंबी चौड़ी लिस्ट नहीं है बस वे लोग शादी अगले महीने करना चाहते हैं लड़का विदेश जा रहा है उसके पहले शादी हो जाए तो अच्छा है उनकी बस यही मांग है रामदयाल ने जल्दी से बात खत्म करते हुए सुमित्रा की तरफ हंसकर देखा लेकिन सुमित्रा को उस हंसी में छिपी अनकही वेदना स्पष्ट नजर आ गई थी।

विदेश जा रहा है… माला भी साथ जाएगी क्या??एक नई चिंता  सुमित्रा के पास आ गई थी।

हां तभी तो… बाकी अधूरा ही छोड़ रामदयाल अचानक उठकर बाहर चले गए थे।

बाहर दरवाजे पर माला चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी और उसकी आंखों से आंसुओं की धार बह रही थी।

वो खट्टी मीठी यादें – नीरजा नामदेव

बेटी ये क्या तू तो रो रही है क्या बात है मुझे बता रामदयाल ने माला के आंसू पूछते हुए स्नेह से पूछा।

पिता जी मुझे विदेश नहीं जाना ।विदेश जाने का खर्च आप ही दे रहे होंगे मै जानती हूं इसीलिए मुझे शादी नहीं करनी है मां को अच्छी हो जाने दीजिए ।पहले मां का अच्छे से इलाज करवा लीजिए फिर शादी करिएगा इतनी जल्दी क्यों है शादी की माला की व्याकुल आँखें दिल की व्यथा कह उठीं थीं।

ना बेटी ऐसा नहीं कहते।विदेश जाना तो बड़े गर्व की बात होती है तू भी तो साथ जाएगी उसका खर्चा मै दे दूंगा तो क्या हो जाएगा।वे लोग शादी जल्दी करना चाहते हैं।तेरी मां को कोई बीमारी नहीं है बिटिया बस तेरी शादी की ही चिंता ने उसे खाट पकड़ा दिया है देखना अब इस खबर से वह एकदम चंगी हो जाएगी रामदयाल ने समझाते हुए कहा।

नहीं पिता जी आपने मेरी शादी के लिए जो रुपए बचा बचाकर रखे हैं उसे मां के इलाज में लगा दीजिए उससे मां का इलाज कही बाहर लेजाकर हो जाएगा मेरी शादी उसकी बीमारी का इलाज नहीं है माला इस बार अपने दिल की बात जोर देकर कह उठी ।

बावरी हो गई है बेटी ज्यादा सयानी मत बन।मेरी बीमारी का इलाज तेरा शुभ विवाह ही है ।जब से तू पैदा हुई है उस दिन से हम दोनों ने एक ही सपना देखा था अच्छा घर वर ढूंढकर तेरा विवाह करेंगे और तभी से रोज एक एक पाई बचाना शुरू कर दिया था।आज वह दिन आ गया है ।आ इधर मेरे पास मुझे बिठा और आकर शादी के कामकाज रस्मों और सामान की लिस्ट बनवा बहुत काम है  सुमित्रा बेटी की बात सुनते ही जोर से बोलने लग गईं थीं।

आवेश में जोर से बोलने से उन्हें तेज खांसी आने लगी ।माला ने दौड़ कर उन्हें संभाला और कुनकुना पानी पिलाया लेकिन खांसी नहीं रुकी डॉक्टर के पास ले जाना पड़ गया।इस बार डॉक्टर ने भी उन्हें बाहर ले जाने की बात कह दी।

चेहरे पे चेहरा  – बेला पुनिवाला 

आप इन्हें शहर ले जाकर कई टेस्ट करवाएं और किसी बड़े डॉक्टर को दिखा दीजिए डॉक्टर ने सलाह दी।

रामदयाल गहरी चिंता में पड़ गए थे।बाहर ले जाने और इलाज करवाने में काफी जमा पूंजी जो माला के विवाह के लिए जोड़ कर रखी थी खतम हो जाएगी।

सुमित्रा को भी इलाज के लिए बाहर चलने के लिए राजी करना टेढ़ी खीर ही था।उसे तो बस एक ही रट लगी थी माला की शादी..।उन्हें भी प्रतीत हो रहा था कि इतना अच्छा रिश्ता दोबारा नहीं मिलेगा।अपनी होनहार बेटी के लिए इससे बेहतर घर वर उन्हें नहीं मिल पाएगा इसीलिए वह इस बार इस रिश्ते को पक्का करने पर आमादा थे।उन्हें भय था देर करने से ये रिश्ता कहीं हाथ से ना निकल जाए।

डॉक्टर साहब अभी इन्हें बाहर ले जाना संभव नहीं है।आप दो तीन महीने की दवाएं बढ़ा दीजिए। बिटिया की शादी निबट जाए फिर आराम से इलाज करवा लूंगा रामदयाल की बात सुन डॉक्टर ने कुछ और दवाएं लिख दीं।लेकिन माला व्याकुल हो गई।पिता का सारा अनकहा उसे स्पष्ट हो गया था।

डॉक्टर के यहां से मां को लेकर वे लोग घर पहुंचे ही थे कि माला की होने वाली ससुराल से लड़का और उसके माता पिता आ गए।

रामदयाल उन्हें आया देख चिंतित हो गए थे।तरह तरह के ख्याल उसे उद्विग्न करने लगे।बेटी और पत्नी की उन लोगों से मुलाकात से कतराने लगे।पत्नी इतनी बीमार और इन लोगों का आगमन ।जाने अब कौन सी नई डिमांड करने लगेंगे।जो बातें पत्नी और बेटी से छिपा कर रखी हैं आज सारी खुल जाने की बेचैनी ने उनके दिल को चिंता ग्रस्त कर दिया।

क्षमा करिएगा अगर मेरी बात आप लोगो को बुरी लगे।मेरी मां सख्त बीमार हैं इस वक्त उन्हें बाहर अच्छी जगह लेजाकर इलाज करवाने की नितांत आवश्यकता है।ऐसे कठिन समय में मेरी शादी का राग बेसुरा है। मेरी शादी के कारण उनका इलाज नहीं हो पा रहा है मेरी इच्छा है कि पहले मेरी मां की तबियत एकदम अच्छी हो जाए तभी शादी हो माला की आवाज ने लपक कर आते रामदयाल के पैरों में जैसे बेड़ियां डाल दीं थीं।क्या कह रही है यह लड़की ।सारे किए कराए पर पानी फेर रही है।

माला जा तेरी मां तुझे बुला रही है रामदयाल ने बेटी को जोर से आवाज देकर वहां से हटाना चाहा था।

सु कर्म – कंचन श्रीवास्तव

मैं आप लोगों की सहमति चाहती हूं माला पिता की पुकार को अनसुना करती अब भी वहीं डटी हुई थी।

लेकिन फिर बेटा विदेश कैसे जा पाएगा शांतनु की मां बोल उठीं।

अगर आपको जाना जरूरी है तो विदेश चले जाएं उसके लिए शादी करना क्यों जरूरी है माला ने शांतनु की तरफ देखा।

शादी के बाद ही जाने की इच्छा है उसकी मां ने दोहराया।

मेरे पिता जी से खर्चा लेकर।यही तो मैं कहना चाहती हूं।विदेश जाने का जो खर्चा पिताजी आप लोगों को मेरी शादी पर देंगे उससे मेरी मां का इलाज बहुत अच्छा हो जाएगा।विदेश जाना है तो अपनी मेहनत के बलबूते जाइए ।अगर मेरे पिता की जमापूंजी विदेश जाने का आधार है तो शादी को भूल जाइए माला स्वर तल्ख हो उठा था।

माला कैसी बात कर रही है।विदेश भेजने की बात तो मैने ही की थी और खर्चा देने की भी इन्हें क्यों सुना रही है रामदयाल ने तेजी से हस्तक्षेप करते हुए कहा लेकिन माला कहां रुकने वाली थी।आज दिल का पूरा गुबार उसकी जुबान पर चढ़ कर फूट रहा था।

पिता जी आज अगर आपकी गाढ़े पसीने की कमाई मां के इलाज की जगह मेरी शादी में खर्च होगी तो ऐसी शादी और ऐसे डिमांड करने वाले घर के प्रति आपकी बेटी की कोई इज्जत नहीं रहेगी वह उस घर में कभी सुखी नहीं रह पाएगी माला की दृढ़ आवाज सुन रामदयाल जी सकते में आ गए।

लेकिन बेटी ये किसने कहा कि हम अपने बेटे के विदेश जाने का खर्चा तुम्हारे पिता से मांग रहे है जबरदस्ती कर रहे हैं अचानक शांतनु के पिता जी ने खड़े होते हुए कहा तो माला चकित होकर उन्हें देखने लगी।

मैं चकित हूं बेटी तुम्हारी ऐसी बातें सुनकर ।तुम्हारे पिता उस दिन हमारे घर आए थे और वही दबाव दे रहे थे कि शादी अगले महीने ही होनी चाहिए।हमने बहुतेरा समझाना चाहा था कि अभी शांतनु की इच्छा नहीं है क्योंकि वह शादी के बाद सपत्नीक विदेश जाना चाहता है जिसके लिए अभी रुपयों का बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है छह महीने का समय दे दीजिए फिर शादी कर लेंगे लेकिन ये नहीं माने।

इनकी बस यही इच्छा थी कि बेटी की शादी जल्द से जल्द संपन्न हो जाए क्योंकि इनकी चिंता है कि तुम्हारी मां की तबियत इसी चिंता में ज्यादा खराब होती जा रही है।इन्होंने ही विदेश जाने का सारा खर्च अपनी तरफ से देने का आग्रह किया और लगातार करते ही रहे…. वे थोड़ा रुके और फिर बोलने लगे…

आज भी हम लोग यहां तुम्हारे घर किसी डिमांड को लेकर नहीं बरन तुम्हारी मां की तबियत का हाल चाल लेने ही आए हैं शांतनु के पिता जी खड़े हो गए थे।

प्रेम – मधु झा

माला उनकी बातों से सकते में आ गई थी।सिक्के का यह पहलू भी है ऐसा तो उसने सोचा ही नहीं था।

हां और मैं भी …शादी की तिथि आगे बढ़ाने के लिए ही सबके साथ बैठ कर बातचीत ही करने आया था।मुझे आपके पिता जी का विदेश जाने का खर्च देने का प्रस्ताव एकदम गलत लगा था।उस दिन मैं आपके पिता जी के सविनय आग्रह के सामने संकोच में कुछ कह नहीं पाया था।इसीलिए आज मां की तबियत का सुनकर मुलाकात और सभी से आमने सामने बात  करने के लिए ही आया हूं।आज यहां आकर बहुत सी बातें स्पष्ट हो गईं हैं अचानक शांतनु ने बहुत गंभीरता से कहा तो रामदयाल जी का दिल ही दहल गया।

आप लोग मेरी भी तो सुनिए सब मेरी ही गलती है मैं सुमित्रा की तबियत देख देख घबरा जाता हूं उसके दिल की इच्छा माला की शादी जितनी जल्दी हो सके पूरी करना चाहता  था ।मेरी बेटी को ये सब नहीं मालूम था इसीलिए वह आप लोगों पर आरोप लगाने लगी रामदयाल आर्द्र कंठ आकुल स्वर में हाथ जोड़ कर कहने लगे।

पिता जी अब तक आपकी ही सुन रहे थे अब नहीं सुनेंगे।चलिए अभी हम मां को शहर लेकर चल रहे हैं डैडी की पहचान के एक अच्छे सर्जन है उनके इलाज से मां एकदम अच्छी हो जायेंगी शांतनु खड़ा हो गया था।

और विदेश…. रामदयाल जी घुटती हुई आवाज में बोल पड़े।

वो तो शादी के बाद ही जाएंगे पत्नी के साथ माला की तरफ मुस्कुरा  कर देखते हुए शांतनु ने कहा पहले मां पूरी तरह अच्छी हो जाएं तब तक मेरी बचत भी पूरी हो जाएगी ।

बेटी सगाई के साथ ही तुम और तुम्हारा परिवार ही हमारा नहीं हुआ बल्कि तुम्हारे दुख और कष्ट भी हमारे हुए हैं।विवाह का मतलब ही दोनों परिवारों का आपसी विश्वास समझ और मजबूत साझेदारी होता है

तभी तो जिंदगी भर ये संबंध प्रेम और आत्मीयता से परिपूर्ण हो कर चलते रहते हैं…..!!शांतनु के पिता ने आगे बढ़ कर माला के सिर पर वात्सल्य से हाथ फेरते हुए कहा तो माला का दिल बोझरहित हो एकदम हल्का हो गया और सिर उनके समक्ष नतमस्तक हो गया वह  भावविवहल हो सकुचा सी गई।

अब बोल बेटी अब भी शादी करेगी या नहीं सुमित्रा ने सकुचाती खड़ी अपनी बेटी को हंसकर छेड़ा तो सब माला की तरफ देखने लगे।

मैं सभी के लिए चाय लेकर आती हूं सबकी नजरों से बचने के लिए माला जल्दी से भीतर भाग गई सोच रही थी ऐसा ही घर वर तो मैने सोचा था… सभी जोरों से हंस रहे थे।जिसमें रामदयाल जी की हंसी सबसे खुली और सुकून वाली थी।

लतिका श्रीवास्तव 

शुभ विवाह#साप्ताहिक शब्द कहानी

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