चेहरे पे चेहरा  – बेला पुनिवाला 

डिम्पल के पापा ने डिम्पल की शादी एक बहुत ही बड़े घराने में की थी, उनको ये नहीं पता था, कि ” ऐसे बड़े घरो में रहनेवाले लोगों के हाथी के दाँत दिखाने कुछ ओर और चबाने वाले दाँत कुछ और होते है.. “

        डिम्पल एक बहुत खुले विचारों वाली पढ़ी-लिखी लड़की थी, घूमना फिरना, लोगों के साथ बाहर जाना, नई-नई चीज़ें देखना, समझना, महसूस करना, उसे अच्छा लगता था, पढाई में भी डिम्पल नंबर वन थी, इसलिए डिम्पल ने शादी से पहले ही अपने ससुराल में सब को बता दिया था, कि ” इंजिनयरिंग की पढाई के बाद में जॉब करना चाहती हूँ, नाकि घर सँभालना। ” तब तो डिम्पल के ससुराल वालो ने डिम्पल की हर शर्त को, हर बात को मंज़ूर कर लिया और डिम्पल की शादी भी बहुत धूम-धाम से हुई। डिम्पल के ससुराल वालों की सोने के गहने बेचने की दूकान थी, वो लोग सुनार थे, तो काफी सोने के गहने घर में भी रखा करते थे। 

     लेकिन शादी के कुछ ही दिनों में डिम्पल को पता चलने लगा, कि उसके लिए ये घर-घर नहीं बल्कि सोने का पिंजरा है, क्योंकि शादी के बाद डिम्पल और उसका पति दिनेश  हनीमून पर भी नहीं जा पाए थे, क्योंकि उसकी सास अचनाक से बीमार हो गई या तो उसने बीमारी का दिखावा किया, डिम्पल को बाद में ऐसा लगा। उनको डॉक्टर ने बेड रेस्ट के लिए बोला था। ऊपर से घर में ढेर सारे सोने के गहने रखे हुए थे। इन गहनों को सँभालने के लिए हमें घर से बाहर जाना मना था,अगर कोई पूछे तो माँ की बीमारी का बहाना बनाया जाता। यहाँ तक की शादी के कुछ ही दिनों बाद डिम्पल को जॉब करने से भी मना कर दिया गया। कहते हुए कि ” हमारे पास पहले से ही इतना कुछ है, तुम्हें अब जॉब करने की कोई ज़रूरत नहीं, लोग हमारे पीछे बातें करेंगे, कि इतना पैसा होते हुए भी नई बहु घर से बाहर जॉब करने जाती है। तुम तो वैसे भी बहुत समझदार हो, तुम्हें ज़्यादा समझाने की हमें ज़रूरत नहीं है। ” ऐसी मीठी-मीठी बातें कर के डिम्पल को अपनी बातों से मना लिया करते और समझाते हुए कहते, कि ” तुम वैसे भी घर पे रहकर हमारे लिए ही नए-नए  डिज़ाइन हमें बना के दो तो हमारा काम भी आसान हो जाएगा और तुम्हारा वक़्त भी कट जाएगा। “

     डिम्पलने एक दिन अपने पति दिनेश से  कहा, कि ” मुझे यूँ घर में रहना पसंद नहीं, मुझे जॉब करने जाना है, बाहर जाना है, यूँ घर में मेरा दम घुटता है। “

      दिनेश ने भी डिम्पल को समझाते हुए कहा, कि ” अच्छा, मैं पापा और मम्मी से बात करता हूँ, तुम्हें जॉब पे जाने देंगे। “




       लेकिन वह भी आखिर है, तो अपनी बाप की ही औलाद था ना। दिनेश कभी अपने पापा-मम्मी से डिम्पल के बारे में बात नहीं करता था उल्टा डिम्पल की सास चुपके से दिनेश  को समझाया करती थी, कि ” देखो बेटा, बहु घर में रहे, इसी में हमारी शान है, लोग क्या कहेंगे, वो तो शादी से पहले लड़की का घर परिवार अच्छा था, इसलिए उसकी शर्त मान ली, अब सब कुछ उसी के मन का हो, ऐसा ज़रूरी तो नहीं। ” ये सब  सब मैंने अपने कानो से सुन लिया था, उस दिन तो मैं पूरी की पूरी टूट के बिखर गई थी। 

     घर में सब पूरा दिन बहु-बहु करते रहते, घर में अगर कोई मेहमान आया हो तो उनके सामने भी डिम्पल की  तारीफ़ करते नहीं थकते और डिम्पल की पीठ पीछे उसे ही चुप कराने की कोशिश में लगे रहते। डिम्पल ने ऐसे दोहरे-चेहरे वाले लोगों को अपनी ज़िंदगी में पहली बार देखा था। 

      घर के बाहर भी पहरेदार रखे हुए थे, घर के हर कोने में cctv कैमरे लगे हुए थे, प्राइवेसी जैसी तो कोई चीज़ ही नहीं थी, हर वक़्त डर-डर के जी रहे हो जैसे….  

      बाहर की दुनिया में ये लोग ऐसा दिखावा करते की हम बहुत सुखी हैं, हमें किसी बात की कोई परेशानी नहीं है और घर में सब डर-डर के जीते है, कि कहीं किसी दिन कोई चोरी-चपाती, या घर में खून-खराबा ना हो जाए।आख़िर कब तक डिम्पल इस सोने के पिंजरे में रह सकती, इसलिए आख़िर एक दिन डिम्पलने ये सोने का पिंजरा तोड़ दिया और उड गई, खुले आसमान में, जहाँ ना कोई डर है, नाहीं कोई पाबन्दी। 

          डिम्पल ने पहले तो ये बात अपने मायके में किसी को नहीं बताई मगर बाद में जब कुछ महीनों बाद उसे अपने मायके भी जाने से किसी न किसी बहाने से रोक लिया करते तब, डिम्पल के पापा के बार-बार पूछने पर एक दिन डिम्पल ने अपने पापा को फ़ोन पर ही अपने ससुराल के बारे में सब कुछ सच-सच बता दिया। उसके बाद उसके पापा खुद डिम्पल को लेने उसके ससुराल चले गए और वहांँ से डिम्पल को अपने साथ अपने घर ले आए, अब डिम्पल एक बड़ी कम्पनी में जॉब करती है, वह बहुत ख़ुश भी है और आज़ाद है। 

स्व-रचित

सत्य घटना पर आधारित 

चेहरे पे चेहरा  

#दोहरे-चेहरे 

बेला पुनिवाला

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