आत्मग्लानी – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अरे सुषमा बहन… कल मेरे बबलू का जन्मदिन है, करण को भेज देना.. 7:00 बजे.. वह क्या है ना सबका जन्मदिन मनता देख उसे भी अपना जन्मदिन मनाना है, पर आपको तो पता ही है हमारी माली हालत..? इसलिए सोचा बस उसके खास दोस्तों को बुलाकर केक कटवा देंगे, तो इसलिए यह सब..? भेज देना करण को याद से, यह कहकर निधि चली गई 

मम्मी, निधि आंटी आई थी क्या..? कल बबलू का बर्थडे है, वह कह रहा था कि आंटी आएगी इनवाइट करने और पता है मम्मी मैंने तो उसे कह भी दिया कि मैं उसे गिफ्ट में रिमोट वाली कर दूंगा और वह मेरे बर्थडे पर स्केटबोर्ड, करण ने कहा 

 हां बड़ा आया उसे रिमोट कार देने वाला..? अरे यह स्केटबोर्ड इतने महंगे होते हैं, वह देगा तुझे..? वह तो बस यह बोलकर तुझसे रिमोट कार ले लेगा और तेरे बर्थडे पर दे देगा कोई प्लास्टिक वाली बैट बॉल, अरे उनके खाने का तो ठिकाना है नहीं, आए बड़े जन्मदिन मनाने.! जब औकात नहीं है तो क्यों करना हमारी बराबरी.? और तू सुन कोई जरूरत नहीं उसे रिमोट कार देने की, एक प्लास्टिक का बैट बॉल दे देना, अरे यह भी उनको कहां मिलता है..? सुषमा ने कहा 

फिर करण बबलू के जन्मदिन पर प्लास्टिक का बैट बॉल लेकर चला जाता है, पर बबलू था तो एक बच्चा ही, उसे अपने दोस्त की बात पर पूरा भरोसा था कि वह उसे रिमोट वाली कार ही देगा… इसलिए करण के आते ही उसने लपक कर उसके हाथ से गिफ्ट ले लिया और उसे खोलने लगा… गिफ्ट को देखते ही उसकी चेहरे की खुशी उड़ गई और करण ने भी अपना सर झुका लिया.. पर बबलू तुरंत बात को संभालता हुआ कहता है.. अरे वाह बैट बॉल.. अब हम इससे ही खेलेंगे, करण, अब उस रोहन के बच्चे को बैट के लिए मक्खन नहीं लगाना पड़ेगा… चल अब केक काटते हैं.. केक काटने के बाद निधि ने सबको खीर पूरी खिलाया और फिर बच्चों ने खूब मस्ती की और सारे अपने अपने घर चले गए…

करण जब घर आता है तो सुषमा उससे पूछती है, तो बेटा क्या खिलाया बबलू की मां ने..? सिर्फ केक खिलाकर ही भेजा होगा..? अरे बर्थडे मनाना तो इनका सिर्फ गिफ्ट लेने के लिए होता है.. मैं भी कोई बेवकूफ थोड़े ही ना हूं..? सोचा होगा यह सब करके मेरे बेटे से रिमोट कार ले लेंगे, पर मिला क्या..? 

नहीं मम्मी करण तो बैट बॉल में भी बड़ा खुश हुआ और आंटी ने इतने अच्छे से सबको पेट भरकर खीर पूरी खिलाई और हमने इतनी मस्ती की, कि मैं बता नहीं सकता.. आज तक मैं जितने भी बर्थडे पार्टी में गया, वहां बस पुतले की तरह बैठो, केक काटो, खाओ पियो और घर आ जाओ.. आज इतने सालों बाद जब बबलू के बर्थडे में गया तो समझा के सिर्फ पैसों से अमीर नहीं होते लोग, दिल से भी अमीर होते हैं, करण ने कहा 

हां बस बस… जितना बड़ा कद नहीं, उतनी बड़ी बात.. चल जा अब अपने अपना काम कर.. सुषमा ने कहा 

मम्मी, मेरे जन्मदिन पर भी ज्यादा डेकोरेशन मत करना.. बस ऐसी ही आजादी रखना, ताकि हम खूब मजे कर पाए.. करण यह कहकर चला गया 

अगले महीने करण का जन्मदिन आता है, तो सुषमा मोहल्ले के सभी बच्चों को नेवता देती है, साथ में बबलू को भी.. करण के जन्मदिन पर बबलू एक सस्ती सी कार कारण के लिए ले आता है.. जिसे देखकर करण बोल देता है.. तेरी मम्मी ने भी तेरे कहने पर स्केटबोर्ड नहीं खरीद दिया ना..? कोई बात नहीं यह सारी मम्मी होती ही एक जैसी है.. चल अब के काटते हैं.. इतने में करण के पापा एक स्केटबोर्ड लेकर आते हैं, जिसे देखकर करण बड़ा खुश होता है और बबलू से कहता है.. मैं तुझे भी सिखाऊंगा स्केटिंग..

इस पर सुषमा तुनक कर कहती है, कोई जरूरत नहीं इसे कुछ सीखाने की.. यह सोचते होंगे कि इनके दया पर हम बैठे हैं.. देखो यह दे या ना दे मेरे बेटे को स्केटबोर्ड तो मिल ही गया ना, और यह तो जब तक कोई इन्हें कुछ दान में ना दे कुछ, यह तो कभी उस चीज के बारे में सोच भी नहीं सकते.. पर वादे तो ऐसे करते हैं जैसे पता नहीं कहां के रईस हो..? 

अरे सुषमा, तुम यह सब क्या कह रही हो..? सुषमा के पति निखिल ने कहा 

सुषमा:  हां तो सही ही तो कह रही हूं.. आपको पता है यह छोटा सा बबलू कैसी चाले चलता है..? जानबूझकर मेरे भोले भाले करण से अपने जन्मदिन पर रिमोट वाली कार देने को कहता है और बदले में वह उसे स्केटबोर्ड देगा और इसी बात में आकर जो करण उसे रिमोट कार दे देता, फिर यह थमा देता है यह…? यह कहकर सुषमा बबलू का दिया हुआ कार दिखाने लगती है… अरे एक ही मोहल्ले में रहता है इसलिए इसको बर्दाश्त करती हूं, वरना..? जरा देखो सीमा बहन ने कितना बड़ा गिफ्ट भेजा है.. होगा इसमें कोई महंगा सा खिलौना.. यह कहकर जब वह उस गिफ्ट को खोलती है तो देखती है, उसमें कुछ प्ले कार्ड पड़े होते हैं और वह बबलू के दिए हुए प्लास्टिक के कार से भी गैर गुजरा था, वह चुप कर जाती है.. 

निखिल:  सुषमा, गिफ्ट तो बस एक याद होती है, उसे पल के लिए.. पर उसके दाम को देखकर अगर हम दोस्ती करने लगे तो वह दिन दूर नहीं जब सारे रिश्ते दुकानों पर बिकने लगेंगे.. और जिस निधि की इतनी बुराई तुम कर रही हो..? तुम्हें पता भी है उसने क्या किया..? यह जो स्केटबोर्ड तुम देख रही हो यह मैंने नहीं, उसी ने दिया है… पर उसने यह बबलू के हाथ इसलिए नहीं भिजवाया, क्योंकि कहीं तुम्हें ऐसा ना लगे कि वह बड़ी महान बन रही है.. उसने मुझे बाहर यह देते हुए कहा, कि मेरा नाम त बताइएगा, क्योंकि मेरे बबलू ने करण से वादा किया था और वादा निभाना तो हम अपने बच्चों को सिखाते हैं, फिर अपने बेटे का वादा कैसे टूटने देते..? धन्य हो गया मैं उसके विचार सुनकर.. पर जब तुम्हारी राय उसके बाद प्रति जाना तो सच्चाई बताने से खुद को रोक नहीं पाया..

सुषमा निखिल की बात सुनकर, आत्मग्लानी लिए यह सोच रही थी, आखिर इतने अच्छे विचार रखने वालों को अपने बेटे से दूर रखने का सोच रही थी मैं..? सच में दोस्ती निभाना तो कोई इनसे सीखे… मैं तो बस व्यापारी बन गई थी.. यह सोचते हुए अगले दिन सुषमा निधि के पास जाकर करण को रिमोट कार देती है जिस पर निधि उसे लेने से इनकार कर देती है…

 सुषमा:  निधि बहन, तो तुम चाहती हो बस तुम्हारा बबलू ही वादा और दोस्ती निभाना सीखे..? मेरा करण नहीं..? 

इस बात पर दोनों भावुक होकर एक दूसरे को गले लगा लेते हैं…

धन्यवाद 

रोनिता कुंडु 

#आत्मग्लानि

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