आत्मग्लानि – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – भाभी जी आपने कहा था कि रिनी शादी में जाना हो कहीं तो मेरी साड़ी ले लिया कर पहनने के लिए…. तो आज दे दीजिये …मुझे इनके ऑफिस के दोस्त की शादी में जाना हैँ…. रिनी सकुचाते हुए पड़ोसन भाभी कमला से बोली…

हां हां क्यूँ नहीं…. मैने तो हमेशा कहा हैँ कि मुझसे मांग लिया कर… मेरे पास तो हर तरह की लेटेस्ट डिजाइनर साड़ी है… उसके साथ की मैंचिंग ज्वेलरी और सैंडिल भी …वैसे भी ये हमेशा दिलाते रहते है….रवि (रिनी का पति ) का हाथ थोड़ा तंग है… मैं जानती हूँ…. बेचारा घर के ही खर्च  मुश्किल से चला पा रहा हैँ… ऊपर से इन सब चीजों पर पैसा खर्च करेगा तो बिक जायेगा बेचारा… और फिर मैं तो हूँ ना तेरी भाभी…. कमला भाभी प्यार से रिनी  से बोली…

भाभी जी आप बहुत अच्छी हैँ… तभी आपसे हिम्मत कर पायी कहने की…. रिनी बोली….

हां हां… कोई नहीं… बता कौन सी साड़ी लेगी…. भाभी जी अपनी अलमारी खोल सब तरह की साड़ी दिखाने लगी रिनी को….

रिनी मन ही मन ललचा रही थी इतनी सुन्दर सुन्दर साड़ी देखकर….उसका बस चलता तो सारी ही ले ज़ाती….बड़ी देर बाद सोच समझकर रिनी ने एक साड़ी फायनल की  …

ये मैने एक बार ही पहनी है….. तेरी पसंद बहुत अच्छी है रिनी … ला इसकी मैंचिंग ज्वेलरी और सैंडिल निकाल दूँ ….

रहने दीजिये भाभी जी…. मैं देख लूँगी… बस आपने मेरी इज्जत बना दी …. मुझे साड़ी दी…बहुत है…

अरे नहीं…. ले ले तू … कमला भाभी ने ज्वेलरी और चप्पल भी निकाल दी….

रिनी जिस शादी में तुम लोग जा रहे हो वहां तो हमें भी जाना है… ऐसा कर तू और रवि तैयार होकर आ जाओ… साथ में गाड़ी से  ही चलेंगे…. क्या उस पुराने स्कूटर पर अच्छे लगोगे तुम ….

ठीक है भाभी जी… अभी तैयार होकर आयें  हम…

रिनी जल्दी से साड़ी और बाकी सामान लेकर अपने घर आयी…

चुपचाप रवि को पता ना चले. … दूसरे कमरे में जाकर तैयार होने लगी….

चलो यार रिनी … मैं स्कूटर निकाल रहा हूँ… तुम बाहर आ जाओ…. मैं तैयार हूँ…

तभी झट से रिनी तैयार होकर बाहर आयी…

रिनी को रवि देखता ही रह गया…

लग रही हूँ ना सुन्दर?? बोलो…

हां … पर ये साड़ी तो तुम्हारे पास पहले कभी देखी नहीं…??

वो सब छोड़ो…. और स्कूटर मत निकालो….

क्यूँ ?? रवि आश्चर्य से बोला….

आज हम कमला भाभी और भाई साहब के साथ उनकी गाड़ी से जा रहे हैँ…. उन्हे भी जाना है उसी शादी में…..

नहीं रिनी … मुझे नहीं जाना उनके साथ … मेरा तो स्कूटर ही सही हैँ… वो लोग बड़े लोग है…. आज एहसान करेंगे फिर दस जगह बोलेंगे… वैसे भी मुझे पसंद नहीं वो लोग… रवि बोला ….

यार रवि कितनी ठंड है…. ऊपर से मेरी ऐसी हालत है… कितनी दूर जाना है…. बहुत अच्छी है भाभी जी… मुझसे तो बहुत प्यार मानती है… चलो ना …

रवि सोचा… रिनी पेट से है…. ऐसे में उसे ठंड नहीं लगनी चाहिए…. ठीक है रिनी … पर आज पहली और आखिरी बार जा रहा हूँ तुम्हारी खातिर….

मेरे प्यारे जानु…

दोनों लोग बाहर आयें… कमला भाभी और भाई साहब पहले से सूट बूट पहने रेडी थे…

आओ रवि , रिनी बैठो… देर हो रही है… भाभी जी बोली…

रवि बहुत संकोच करते हुए बैठा… रिनी चहकती हुई ख़ुशी से बैठ गयी…

सभी लोग शादी में पहुँचे …. भाभी जी और रिनी पहचान की औरतों के साथ खड़ी बातें कर रही थी…. तभी सभी के बीच  साड़ी और मेकअप की बात चलने लगी…

एक लेडी बोली… रिनी तेरी साड़ी तो बहुत अच्छी लग रही है…. सबकी साड़ी फीकी पड़ रही है इसके आगे तो… कहां से ली??

रिनी कुछ बोलती उससे पहले कमला भाभी बोल पड़ी…

रिनी पर कहां इतने पैसे कि इतनी महंगी साड़ी ले पायें… 25000 की है…. रवि की तो महीने की सैंलरी भी इसकी आधी होगी….

ये साड़ी तो मेरी है… और ये जो ज्वेलरी पहनी है ना रिनी वो भी मेरी ही है… और यहां तक की इसकी पैरों की सैंडिल भी … आयें भी हमारी ही गाड़ी से है ये दोनों… रवि की पेट्रोल भी बच गयी… पर हम लोग ऐसी छोटी मोटी चीजें नहीं सोचते ….

कमला भाभी ने जैसे रिनी को नंगा कर दिया हो…. रिनी जमीन में गड़ी जा रही थी शर्म के मारे…. उसे बहुत आत्मग्लानि महसूस हो रही थी कि उसने क्यूँ कमला भाभी से साड़ी मांगी… अपने पति के स्वाभिमान को तार  तार कर दिया मैने. …

वहीं तो… तभी मैं सोचूँ … रिनी की इतनी हैसियत कहां… पर रिनी भले ही दो सौ की साड़ी पहन पर ऐसे किसी से मांगकर पहनना बहुत गलत है…. ऐसा भी क्या इतराना …. वो लेडी बोली…

रिनी अब वहां एक पल भी नहीं ठहर पा रही थी… रोती हुई वो वहां से रवि के पास आयी…

चलो रवि…मुझे नहीं रुकना यहां….

क्यूँ क्या हुआ…. अब कैसे ज़ायेंगे…

मेरी तबियत सही नहीं रवि … चलो यहां से….

रवि घबरा गया… रिनी का हाथ पकड़ ओटो से  रवाना हो गया….

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

2 thoughts on “आत्मग्लानि – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi”

  1. ऐसी झूठी शान किस काम की। एक ओर तो एकदम निकट के संबंध होने का दावा करना वहीं दूसरी ओर शादी के कार्यक्रम में अपमानित करना। लानत है ऐसी सोच पर…..

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  2. Ya to koi chiz karo ni or karo to samne bale ki ijjat jarur rehne do ki bo apko acha samajh raha tha keh bhi sake

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