जिम्मेदारी – पूनम श्रीवास्तव

रेखा और निशांत में बहस चल रही थी कि रेखा बार बार कहे जा रही थी कि तुम्हारे मम्मी पापा की जिम्मेदारी क्या मेरी ही है? तुम्हारे और भी दो भाई है क्या उनका फर्ज नहीं है कि वह भी अम्मा बाबूजी का ध्यान रखें लेकिन तुम्हें समझ नहीं आता है! रेखा तुम ही बताओ मैं क्या कर सकता हूं कि जब दोनों भाई उन्हें रखना ही नहीं चाहते तो मैं उन्हें खुद से घर से तो निकाल नहीं सकता मानता हूं कि मम्मी तुमसे हमेशा कड़वे बोल बोलती हैं पापा हमेशा तुम्हें टोकते है, लेकिन तुम्ही बताओ मैं क्या करू? तुम्हारी सेहत भी दिन पर दिन खराब होती जा रही है, ऑफिस और घर के बीच मैं तुम पीस रही हो, मगर तुम परेशान न हो, मैं कुछ न कुछ इस समस्या का समाधान निकलता हूं। उसकी मां रमा ने ये बाते सुन ली और सोचने लगीं की निशांत सही तो कह रहा है, मैं कितना चिलाती हुं उस पर, हर काम मैं उसकी कमी निकालती हूं मगर वो लड़की मुंह से एक भी बार पलट कर जवाब नही देती है, आगे से आगे मेरा सारा काम करती है, जब की मेरी दोनो बहुएं मुझे उल्टा सुनाती हैं। सारा घर संभाल रखा है रेखा ने, ऑफिस के साथ साथ घर और बच्चो का पूरा ध्यान रखती है। हमारी दवाई और फल खत्म होने से पहले ले आती है, और मैं क्या कर रही हूं, उसकी अच्छाई की तारीफ करने की बजाए उसमे कमियां निकालती हूं। कही न कही मैं भी अपने सास के नक्षयकदम पर चल रही हू, वो भी तो मेरे साथ यही करती थी, मेरे मन मैं तो अभी भी उनके प्रति कड़वाहट है। है भगवान! यह मैं क्या कर रही हूं, नही — नही मुझे अपने आप को सुधारना होगा, ये मेरी भी ज़िमेदारी है की मैं बहु के काम मैं सहियोग करू, उससे अपनापन दूं। हर रात के बाद उजाला आता है, समझ लेती हूं की आज मेरे घर मैं सवेरा आया है। ये सोचकर रेखा और निशांत को उन्होंने आवाज दी।

रेखा– जी मम्मी जी अपने बुलाया?

रमा– हां बेटा मुझे तुम से कुछ बात करनी है, निशांत को भी बुला लो।

रेखा– मम्मी, निशांत अभी आ रहे है।

निशांत– आपने हम दोनो को बुलाया मम्मी? क्या रेखा से फिर कोई गलती हो गई है?




रमा– नालायक चुप कर! क्या सिर्फ रेखा से गलती होती है, क्या मुझसे गलती नही हो सकती है।

ये बात सुन कर दोनो के मुंह खुले के खुले रह गए।

रेखा– क्या हुआ मम्मी?

रमा– आज तुम दोनो चुप रहोगे, आज मैं बोलूंगी, मैंने बहुत कुछ सुनाया रेखा को, और परेशान किया, लेकिन उसने पलट कर कभी जवाब नही दिया। रेखा क्या तुम अपनी इस मां को माफ कर सकती हो?

रेखा– मम्मी आप बड़ी हैं, आप माफी नहीं, आशीर्वाद दे सकती है, हम बच्चे है आपके, हम माफी मांग सकते है। आपके हाथ आशीर्वाद देते हुए अच्छे लगते हैं, ना की बच्चों के आगे हाथ जोड़ते हुए।

रमा– रेखा और निशांत, अब मेरी भी ज़िमेदारी है की मैं और तुम्हारे पापा घर को चलाने मैं सहियोग करेंगे और शाम को बच्चो को घुमाने और पढ़ाने की जिम्मेदारी हम दोनो की रहेगी और इतवार के दिन सुबह की चाय मैं तुम दोनो के लिए बनाया करूंगी।

रेखा– लेकिन मम्मी…

रमा– रेखा तुम कुछ बोलोगी नही। मैं अपनी ज़िमेदारी भूल गई थी की घर–परिवार सबके साहियोग से चलता है, आज मुझे ऐसाहस हो गया है की मैं अपनी बगिया को महका सकू और अपनी जिम्मेदारी को निभा सकू।

तीनों मुस्कुराने लगे, आज उनका घर फिर से महकने लगा ।

#जिम्मेदारी 

पूनम श्रीवास्तव

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!