” यह कैसी बरसात…? ” –  रणजीत सिंह भाटिया 

 बरसात अपने पूर्ण वेग पर थी l  रजत छतरी लेकर भी पूरी तरह से भीग गया था l ऑफिस से घर थोड़ी ही दूरी पर था lतो पैदल ही आना जाना होता था l घर पहुंचकर रजत ने दरवाजा खटखटाया पत्नी सुधा ने दरवाजा खोला  ”  अरे आप तो पूरे भीग गए चलो कपड़े बदल लो फ्रेश हो जाओ मैं तुम्हारी पसंद की गरमा गरम अदरक  और इलायची वाली चाय बनाती हूं और साथ में पकौडे…”

” हां भई…चाय की तो सख्त जरूरत है.. ” रजत ने कहा l चाय पीकर रजत और सुधा गपशप कर रहे थे l इतने में फोन की घंटी बज उठी सुधा ने फोन उठाया नीरा दीदी का फोन  है   ” स्पीकर ऑन कर दो “रजत बोला l नीरा बहुत ही खुश हो कर बता रही थी कि मैं रक्षाबंधन पर आ रही हूं… तो रजत   और सुधा बहुत खुश हुए ” नमस्ते दीदी जरूर आइए दीदी हम आपका बड़ी बेसब्री से से इंतजार कर रहे हैं l आधे घंटे तक बातें करने के बाद फोन बंद हो गया तो सुधा कहने लगी तो फिर मैं अपना मायके जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर दूं.?..”अरे..नहीं.. नहीं तुम आराम से बेफिक्र होकर जाओ दीदी बहुत ही अच्छी है, बुरा नहीं मानेगी… अगर तुम उनकी वजह से नहीं गई तो उन्हें बहुत बुरा लगेगा “l

         रजत सुधा को मायके छोड़ा आया और दो दिन बाद नीरा आ गई पूरा घर व्यवस्थित देखकर बहुत खुश हुई ” रजत तेरे जैसे बुद्धू को इतनी अच्छी पत्नी कैसे मिल गई..रे .? एक चीज भी ठिकाने पर नहीं रखता था… अब तेरी सेहत  भी बहुत ठीक लग रही है चलो बहुत अच्छी बात है  l

          नीरा दीदी को आये चार दिन बीत गए थे l भाई बहन की बातें खत्म ही नहीं होती थी l वह पुरानी यादें..वह बचपन की बातें… रक्षाबंधन का दिन आ गया नीरा ने भाई रजत को कलाई पर राखी बांधी और मंगल टीका लगाया लंबी उम्र और सुख समृद्धि की कामना की फिर दोनों भाई बहन ने दूसरे दिन पातालझीरा पिकनिक स्पॉट जाने का प्रोग्राम बनाया सुबह ही पड़ोस वाले शर्मा जी के परिवार के साथ सब पातालझीरा के लिए निकल पड़े वहां का मौसम बहुत ही सुहाना था l हल्की हल्की धूप  और इक्के दुक्के बादल आकाश में तैर रहे थे l नदी ज्यादा गहरी नहीं थी l तो सब नदी पार करके उस पार जाकर बैठ गए अंताक्षरी खेली.. गपशप हुई..दो-तीन घंटे के बाद अचानक बादल गरजने लगे और बहुत जोरों की बरसात होने लगी सब लोग अपना अपना सामान समेटकर नदी के उस पार जाने लगे l पानी का भाव बहुत ही तेज होता जा रहा था l शर्मा जी के परिवार के पीछे पीछे नीरा भी चली जा रही थी  l अचानक नीरा का पैर फिसल गया और तेज बहाव में बहने लगी पीछे आता रजत फुर्ती से  उस और बड़ा और वह भी फिसल गया पानी ऊपर की ओर से जोर से बहते हुए  आता है और फिर  बहुत बड़े झरने के रूप में तब्दील हो जाता है l बहुत कोशिशों के बाद कुछ भी ना बन सका और दोनों भाई बहन झरने में जा गिरे जो बहुत ऊंचा और गहरा था  l आसपास लोग चिल्ला रहे थे कई लोग फोन पर वीडियो भी बना रहे थे l पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी lअंत में दोनों भाई बहन  उस झरने में समा गए l

               दो दिनों की खोजबीन के बाद उनके मृत शरीर नीचे झरने  से चार मील की दूरी पर प्राप्त हुए l इस बार सावन में  हंसते खेलते परिवारों में मातम छा गया l

 

 स्वरचित

 

 लेखक रणजीत सिंह भाटिया 

 

 

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