यह आजकल के बच्चे (भाग-12) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अब आगे …

सामने से रोहन को अपनी दोस्त नेहा के गले में हाथ डालकर आता हुआ देख बैठक में  बैठे परिवार के सभी लोग भौचक्के   रह गए …

रोहन ने भी सबको बैठा देख  अपना हाथ नेहा के गले से हटा लिया …

और सभी को नमस्कार किया…

नमस्ते अंकल …

बटुकनाथ जी तो अभी भी बुत बने हुए थे …

जब दोबारा से रोहन ने  नमस्ते किया तो  पिता विशंभर जी के  टोहनी मारने पर वह बोले…

हां बेटा …

नमस्ते ,नमस्ते …

अभी भी वो रोहन की तरफ ही देख रहे थे …

सोच  रहे थे कि यह कैसे घर में लड़की को ब्याह रहा है तू  बटुकनाथ कि तेरा होने वाला दामाद किसी और लड़की के साथ रंगरलियां मना रहा है …

कितना बेशर्म है यह…

इसकी आंखों में जरा भी शर्म नहीं दिख रही है …

चला आ रहा है सबके सामने…

भाईसा ,,सौ  बात की एक बात …

यह बात आपके लला की हमें बिल्कुल भी अच्छी ना लगी..

अब यह ब्याह नहीं हो सकता …

बहुत ही मुश्किल है..

यह तो छोरी के संग घूमे  है ..

हमारी तो नाक कट जाएगी कुल खानदान में …

विशंभर जी रोष में बोले…

बटुकनाथ जी भी मन ही मन खुश हो रहे थे ..

कि मेरे कुछ कहने से  पहले ही पिताजी ने मन  की कह दी …

पिताजी थोड़ा सोच समझ कर बोलते…

अभी तो हमें पता भी नहीं है कि यह लड़की कौन है ..

धीरे से बटुक नाथ जी बोले …

क्यों मना कर रहा है ..??

तुझे सामने से नहीं दिख रहा जो लड़का तेरी बिटिया  से ब्याह करने वाला है …

किसी और लड़की के गले में हाथ डालकर झूम रहा है..

तो ऐसी जगह ब्याह करना क्या सही होगा रे …

तेरे दीदा फूट गए होंगे …

मेरे ना …

समझो…

अब चल यहां से…

पिताजी के कहने  पर हाथ जोड़कर दोनों  दोनों बाप बेटे उठ खड़े हुए …

वीरेंद्र जी ने उन्हें धमका कर फिर बैठाया…

कैसी बात करते हो सा ..

आप शायद गलत समझ गए हैं…

यह हमारे रोहन की दोस्त है …

और रोहन भी अपनी बहन  ही मानता है इसे…..

हर साल राखी बांधती  है नेहा…

आप लोग खामखां दोष दे रहे हैं दोनों को…

ऑफिस में भी साथ में ही काम करते हैं…

आपकी बात में एक परसेंट की भी सच्चाई ना लग रही मुझे तो..

विशंभर जी बोले..

हमें तो लग रहा है अभी  भी झूठ बोल रहे हैं ..

अगर ऐसी कोई बात होती तो हम क्यों आपसे झूठ  बोलते…

लोग बहुत बड़े-बड़े झूठ बोल जाते हैं ,,

ऐसे तो ना कहो सा…

आप निश्चिंत रहिए…

ऐसी कोई बात नहीं है…

रोहन तू भी तो बोल…

क्यों हम खड़ा हो गया है ऐसे …

रोहन  तो वैसे भी झूठ के सख्त खिलाफ था…

क्योंकि नेहा राखी थोड़ी ना बांधती थी उसे ..

वह उसकी दोस्त थी..

एक खास दोस्त..

जिससे वह अपनी हर बात शेयर करता था…

और उसके हर सुख दुख में साथ देती थी …

लेकिन प्यार शायद उनके बीच नहीं था…

तेरी बहन ही तो है ये…

नेहा बेटा आप ही बता दो…??

नेहा के चेहरे पर गुस्सा था …

कि कितने ओल्ड फैशन लोग हैं …

लेकिन अपने दोस्त रोहन की खातिर से झूठ बोलना पड़ा …

जी अंकल..

वी आर जस्ट फ्रेंड्स ..

हे रोहन,,आई एम गोइंग नाओ..

विल मीट यू टुमारो..

कम ऑन टाइम..

ओके ..

ओके ..

रोहन बोला..

और नेहा बाय कर कर चली गई…

रोहन भी अंदर की तरफ अपने कमरे में हो लिया …

उसने जवाब नहीं दिया था…

आपके बेटे  ने  कुछ कहा क्यों नहीं जी..??

आप निश्चिंत रहिए..

आपको मैं बार-बार कह रहा हूं…

हमारी तरफ से आपको कोई भी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा…

वीरेंद्र जी और रविकांत जी ने पिंकी के घर वालों को कंविंस   करने की पूरी कोशिश की …

अगर आप कह रहे हैं ..

तो विश्वास कर लेते हैं …

लेकिन मेरा मन अभी भी नहीं मान रहा है…

ऐसा करते हैं …

आप अगली बार जब हम आए तो इस बिटिया से रोहन के हाथ में राखी बंधवा दीजिएगा …

तो शायद हमें विश्वास हो जाए …

ऐसी भी क्या बात है …

जी जरूर…

ठीक है सा…

हम चलते हैं ….

आगे की बातें आपको टेलीफोन से बता देंगे …

उन्होंने सभी को नमस्कार कर विदा किया …

तो ठीक है फिर अगली बार फिर से मिलते हैं…

आप बस जल्दी शादी की तैयारी कीजिए …

और हमारी बहू को हमारे घर आने दीजिए …

मन ही मन विशंभर जी और बटुक नाथ जी उन्हें गरिया ही रहे थे…

क्योंकि अभी भी उनका मन शांत नहीं था…

अगले दिन सुबह उठ रोहन तैयार हो ऑफिस जाने के लिए निकला …

क्या देखता है कि उसकी  होने वाली पत्नी चिंकी बस स्टैंड पर खड़ी हैं …

अब तो उसकी जिज्ञासा बढ़ गई…

कि  चिंकी उसके शहर में क्या कर रही है …

वह धीरे से अपनी कार चलाने लग गया …

चिंकी बस में चढ़ी…

बस  आगे की ओर बढ़ गई …

तभी वह एक रेस्टोरेंट के सामने उतरी …

उसके साथ में उसकी एक फ्रेंड भी थी …

दोनों सहेलियां अंदर चली गई …

चिंकी  सूट में ही थी…

लेकिन यह क्या  आधे घंटे इंतजार के बाद चिंकी और उसकी फ्रेंड बाहर आते है…

तो दोनों का ही लुक  बिल्कुल चेंज होता है …

एकदम मॉडर्न जमाने का, जींस, टॉप, खुले हुए बाल, आई लाइनर, मेकअप, काजल, गहरी गुलाबी रंग की लिपस्टिक,, हाई हील्स…

रोहन समझ नहीं पा रहा था …

कि यह चिंकी का कौन सा रूप है…

उसके मन में जिज्ञासा बढ़ रही थी …

कि चिंकी के बारे में और पता करना पड़ेगा …

शायद तभी चिंकी ने रोहन को देख लिया था…

वह उसकी  तरफ बढ़ती हुई चली आ रही थी…

 जय श्री राधे

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मीनाक्षी सिंह

आगरा

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