रॉंग नम्बर  –  सपना शिवाले सोलंकी

नरेंन्द्र ऑफिस से निकलकर हेलमेट पहनने ही वाला था तभी मोबाईल फोन घनघना उठा।  अनजान नम्बर से कॉल थी । उसनें जैसे ही हैलो कहा ,दूसरी तरफ से किसी लड़की की आवाज़ सुनाई दी,

“भईया अम्मा जी को खूब तेज बुखार हो रहा ,जल्दी से दवा भिजवा दीजिए न “

” हैलो ! कौन बोल रहा है ” नरेंद्र ने पूछा तो दूसरी तरफ से लड़की बोली , “आप यश मेडीकल से बोल रहे है ना”

“मैं अम्मा जी के घर से स्किम नम्बर 78 से बोल रहीं हूँ “

उनके बेटे का नाम श्रीकांत शुक्ला है ,आपके स्टोर से ही दवा लेते हैं।

“ठीक है, फिक्र मत करो, मैं थोड़ी देर में दवाई भिजवाता हूँ”

कहकर, नरेन्द्र ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी। रिस्ट वॉच पर देखा तो शाम के 7:30 बज रहे थे । वो इस वक़्त आई.टी पार्क के सामनें खड़ा था । वैसे तो उसे अन्नपूर्णा मन्दिर की तरफ जाना था। लेकिन उसनें अपनी बाईक का रूख विजयनगर की ओर कर दिया। विजयनगर पहुँचकर ,उसनें गूगल मैप पर, यश मेडिकल की लोकेशन सर्च की तो वहाँ से 2 कि. मी. की दूरी दिखी।

सीधे वह यश मेडिकल पहुँचा और शॉपकीपर से पूछा, “स्कीम न 78 में कोई श्रीकांत शुक्ला जी को पहचानते है” तो उसनें तुरंत हाँ में सिर हिलाया ।

“जी उनकी माता जी को बहुत  तेज बुखार है ” ऐसा उनके घर से फोन आया है।

” क्या आप दवा भिजवा देंगे ”  आप कहें तो, आपके यहाँ से किसी को मैं अपनीं बाईक में लेकर जाता हूँ ।

मेडीकल शॉप वाले ने ,पहले तो ऊपर से नीचे तक उसपर निगाह डालते हुए जायजा लिया, फिर अपनी शॉप के एक लड़के को नरेन्द्र के साथ भेज दिया।

जब वे दोनों दवा लेकर पहुँचे और कॉल बेल बजाई तो एक युवती ने दरवाजा खोला । नरेन्द्र ने बताया,

” हम यश मेडिकल से दवा लेकर आएं हैं “

युवती ने हाथ में दवा लेकर घबराई आवाज़ में बोली,

“अम्मा जी का बुखार बढ़ गया लगता है, बेहोश सी

लग रही ” बात तक नहीं कर पा रहीं हैं।


“क्या आप डॉक्टर को बुला सकतें है “

भैया भाभी दिल्ली गये हैं ,भाभी के पिताजी गुजर गए सो अचानक ही उनका जाना हुआ । मैं रानी हूँ, अम्मा की देखभाल करती हूँ। भैया को कॉल नहीं लग रही ,समझ नहीं आ रहा क्या करूँ।

सुनकर, नरेंद्र मेडिकल स्टोर वाले लड़के को लेकर अंदर कमरें में, रानी के पीछे पीछे गया।  लगभग 75 – 80 साल की महिला बिस्तर में लेटी थी। उनके माथे को छूकर देखा तो, जैसे ताप से जल रहा था । तुरंत उसनें यश मेडिकल स्टोर्स कॉल करके पूरी बात बताई ।

मेडिकल वाले संतोष भैया ने पास के हॉस्पिटल में फोन कर ,एम्बूलेंस की व्यवस्था की और उन अम्माजी को हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। नरेंद्र पूरी रात हॉस्पिटल में रहा । अगले दिन की भी उसनें छुट्टी ले ली और अम्मा जी के पास ही रहा।

शाम की फ्लाईट से अम्मा जी का बेटा दिल्ली से लौट आया था। हॉस्पिटल में अम्मा की हालत में हल्का सुधार था। रानी ने बताया, भैया, ” ये नरेन्द्र भैया हैं,इन्होंने ही बड़ी मदद की कल ।

श्रीकांत ने भरे गले से  नरेन्द्र को खूब सारा धन्यवाद दिया तो उसनें कहा  , मैं  यू .पी. बलिया जिले का रहनें वाला हूँ ।यहाँ जॉब करता हूँ।  उस दिन रानी ने गलती से रॉंग नम्बर डॉयल कर जब , “अम्मा बीमार है ” कहा तो मुझे मेरी माँ का चेहरा याद आ गया। इस कारण मैं खुद को मदद करनें से  रोक नहीं सका। सुनकर, श्रीकांत ने फिर से उसे बहुत सारा धन्यवाद ज्ञापित किया।

दो दिन बाद , नरेन्द्र फिर हॉस्पिटल पहुँचा तो पता चला, अम्मा की हालत में काफी सुधार है। उस दिन बहू को पिता की मौत की खबर सुन, रोता विलापता देख, अचानक उनका ब्लडप्रेशर खूब हाई हो गया था । साथ ही बुखार भी हो गया। बेटा बहू परेशान न हों सोंचकर, उन्हें कुछ ना बताया।

उनके जानें के बाद तबियत ज्यादा बिगड़ गयी तो रानी से मेडिकल से दवा बुलाने कहा था।

श्रीकांत ने नरेन्द्र के बारे में अम्मा को बताया तो सुनकर उनकी आँखों से आँसू छलक आये।

“तुम्हें मेरा खूब आशीष “

“खूब आशीर्वाद बेटा ..”

कहा तो , नरेन्द्र का ह्रदय भी द्रवित हो उठा। वह घर जानें के लिए निकला, तो श्रीकांत पार्किंग तक उसे छोड़ने गया।

“एक बार माँ अच्छी होकर घर आ जाएंगी, तो तुम्हें घर आना होगा खाने पर “

और हाँ ! अब से तुम अकेले नहीं हो इस शहर में , तुम्हारा बड़ा भाई है , उसका घर है ,किसी चीज की चिंता मत करना।

सुनकर, नरेन्द्र के चेहरे में मुस्कान फैल गयी …..

अनजाने शहर में, अनजानी कॉल के कारण उसे एक परिवार मिल गया था।

— सपना शिवाले सोलंकी

 

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