वो फिर समझ गए – ऋतु गर्ग  : Moral Stories in Hindi

अरे राधिका तुम कैसी गंवार बहु ले कर आ गई,अपने पढ़े लिखे लड़के के लिए ।

पडोसन ने घर में घुसते हुए जैसे ही कहा तो राधिका चौंक गई।

अरे आओ बैठो रितिका,

तुमने कुछ कहा क्या राधिका ने अनजान बनते हुए कहा। 

रीतिका  ने बात पलटते हुए कहा,  तुम सुनाओ, बहु कैसी है ।

 तुम खुद ही देख लो , राधिका ने हंसते हुए कहा।

सुगंधा जो गांव में पली बढ़ी लेकिन शिक्षित थी। 

उसकी सादगी को देखकर कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता।

अपनी संस्कृति में ढली हुई, मान सम्मान का ध्यान रखने वाली संस्कारी लड़‌की थी।

    कुछ दिनों पूर्व वह राधिका के घर बहु बन कर आई थी।

शहर में आकर कुछ भी उसे नया नहीं लग रहा था, क्योंकि वह  शादी से पहले कभी कभी शहर में अपने भैया भामी के पास रहने जाती और उच्चशिक्षा भी वहीं से प्राप्त की।

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    लेकिन शादी में शामिल सभी रिश्तेदार इत्यादि इस बात से परिचित न थे। 

हर किसी की जुबान पर यही रहता कि राधिका का चुनाव ऐसा कैसे हो सकता है।

 सुगंधा ने घर में कदम रखते हि पूरे घर का जायजा लिया और

  मन ही मन निश्चय किया कि घर को व्यवस्थित रखते हुए सभी के स्वास्थय का भी ध्यान रखेगी।

 सुगंधा गाँव में पली बढ़ी थी इसलिए सभी की इज्जत करती

    हमेशा सिर पर पल्लू रखती। जो स्वयं की इज्जत का प्रतीक मानती।

  उसका रहन सहन देखकर सभी उस को गंवार समझ‌ते। 

सुगंधा को आए अभी कुछ ही दिन हुए थे, उसने सभी के खान पान में काफी बदलाव किया।

     अपने हाथ से सभी को बहुत ही प्रेम से खाना परोसती। घर का वातावरण भी बहुत शांति पूर्ण रखती।

सुगंधा  की  व्यवस्था को देखकर घर के सभी सदस्य खुश थे। राधिका ने सुगंधा  को आवाज लगाते हुए कहा बहु जरा इधर तो आओ देखो कौन आया है।

    आवाज सुनकर सुगंधा तुरंत सिर पर पल्लू संभालते हुए आई ओर रीतिका के पांव छुए।

    रितिका ने अनमने मन से उसे गंवार समझ कर आशिर्वाद दिया।

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   राधिका के कहने पर सुगंधा ने

झट से नाश्ता तैयार किया और प्लेट में सजाकर लेकर आई । जैसे ही रीतिका ने प्लेट से की ओर देखा तो उसके मुँह में पानी भर आया।

 प्लेट में सजे ताजा पकोडे, मिठाई, गाजर का हलवा और आटे की चक्की बहुत ही साफ-सुथरे तरीके से सजी

हुई थी।

सुगंधा ने बहुत ही प्यार से कहा चाची जी खाइए न।

जैसे ही रीतिका ने आटे की चक्की (जो कि बहुत ही मनमोहक रूप में पिस्तों से  सजी हुई थी) को उठाकर  मुँह में डाला तो तारीफ किए बिना न रह सकी।

    रीतिका ने सुगंधा से इसकी रेसीपी मांगनी चाही। 

मगर सुगंधा ने हंसते हुए टालमटोल करने का बहाना बनाया।

 रीतिका ने शिकायत भरे लहज़े में कहा मैं कहती थी न कैसी गंवार बहु ले कर आई हो।

इतना सुनकर  राधिका ने हंसते  हुए कहा चाची जी गंवार बहू के द्वारा बनाई मिठाई आपको बहुत पसंद आई है।

इसकी रेसिपी जानने आपको भी हमारे गाँव जैसा गंवार बनना पड़ेगा ।

यह सुन कर तीनों हंस दिए।

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जब रीतिका को सच्चाई का पता चला कि बहु बहुत पढ़ी लिखी ओर गुणवान है तो वह भी गंवार बहू की तारीफ किए बिना न रह सकी। 

अब उसे गंवार और फूहड़ में अंतर समझ आ गया था।

10/12/2023

ऋतु गर्ग, सिलिगुड़ी पश्चिम बंगाल

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