• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

वक्त किसी का एक सा नहीं रहता… – श्रद्धा खरे 

“आज मां ने  सुबह फोन पर बताया कि चाची जी नहीं रही। मेरा मन बहुत बेचैन हो उठा और चाची जी के साथ बिताए बचपन से शादी तक की सभी यादें ताजा होने लगी।और उनके हाथ के बने लड्डू मठरी का स्वाद मुंह में आने लगा।

              निसंतान चाची जी जब भी कुछ बनाती मोहल्ले भर के बच्चे,बड़े-बुजुर्गों सभी को बड़े प्रेम से बुला बुला कर खिलाती। किसी के घर कुछ भी ब्याह शादी जन्मदिन कुछ भी काम हो तो चाची जी हमेशा उपस्थित रहती। बड़े अच्छे से सभी का संभालती। ब्याह शादी में रुपए पैसों की कमी किसी को न होने देती। सारे मोहल्ले के बच्चों को और चाचा जी अपने बच्चे समझते थे और सभी उनका हर काम करने को तत्पर रहते 

         पर कहते हैं वक्त सदा एक सा नहीं रहता ।यही चाची जी के साथ हुआ। पर समय रहते चाची जी ने अपनी ननद का बेटा गोद ले लिया। अब चाची चाचा जी के दिन सुख से कटने लगे। धीरे धीरे में बेटा बड़ा हो गया नौकरी लगने पर चाची जी ने उसकी शादी कर दी ।  कुछ दिन बहू  उनके पास रहकर बेटे के पास रहने लगी।

 

        अब चाची ज्यादातर बीमार रहने लगी, चाची जी को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया। उनके बेटी बहू ने शहर से आने से मना कर दिया और उनके लिए कामवाली बाई रख दी जबकि उन्हें अपनों की जरूरत थी  चाची चाचा जी ने सारा पैसा भी बेटे के नाम पर कर दिया था। अब चाची  बिस्तर पर लाचार लेटी रोती रहती । जब  उनका समय सही था   और शरीर में जान थी सभी उनके पास लगाए बैठे रहते  अब जब  वह लाचार हो गई तो उन्हें देखने भी उनके पास कोई न जाता। सब को बुला बुलाकर खिलाने वाली चाची जी के पास बुलाने पर भी कोई ना आता। पर वक्त के आगे किसी की नहीं चलती। कब वक्त किस को क्या दिन दिखा दे कोई नहीं कह सकता।

 

श्रद्धा खरे (ललितपुर)

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!