उलझन-एक पहलू ये भी : Moral Stories in Hindi

ढोलक की थाप पड़ते ही नई नवेली बहू शिल्पी के पैरों में थिरकन शुरू हो गई…. “मुझे आई ना जग से लाज कि इतनी जोर से नाची आज कि घुँघुरु टूट गए!” शिल्पी ने थोड़ी बहुत मान-मनुहार के बाद जो नाचना शुरू किया तो ऐसा लगने लगा मानो स्वयं स्वर्ग से अप्सरा उतर आई हो.. गजब की खूबसूरत लग रही थी शिल्पी, गौरवर्ण, दुबली-पतली,बड़ी-बड़ी कजरारी आँखे, सुनहरे से घने लम्बे बाल, आसमानी रंग की साड़ी में शिल्पी ऐसी लग रही थी मानों स्वयं ईश्वर ने बहुत ही खूबसूरती से फुर्सत के क्षणों में अपने हाथों से शिल्पी को गढ़ा है।

“अरी… कमला तेरे बेटे के तो भाग ही खुल गए है.. कहाँ तो वो ब्याह करने को नही मान रहा था और कहाँ अब अपने से आधी उम्र की अप्सरा सी बहू मिल गई वो भी अपनी पसंद से,” चुहल बाजी करते हुए भूपी दादी ने जैसे ही यह बोला तो, झट से कमला दादी ने खड़े होकर शिल्पी के ऊपर घूंघट डाल बैठ जाने का इशारा किया। “अरे… दादी! शिल्पी चाची कितना अच्छा डांस कर रहीं थी! आपने क्यूँ बैठा दिया उन्हें!!” राजीव थोड़ा सा अनमने से भाव से बोला..तो कमला दादी ने उसे डपट कर बाहर का रास्ता दिखाते हुए कहा……
“तू हम औरतें के बीच क्या कर रहा है? चल भाग यहाँ से.. …कुछ काम कह दूँ तो इसकी पढ़ाई का हर्जा होता है और यहाँ आकर छिपकर लुगाईयों में घुसकर बैठा है..आने दें शाम को राकेश को उसी को बताऊंगी तेरी हरकत……अपनी माँ की तो तू सुनेगा नहीं।”
“ठीक है ठीक है, आप अपने प्रवचन बंद करो दादी मैं जा रहा हूँ, मैं तो बस शिल्पी चाची का डांस देखने आ गया था….. शिल्पी चाची आप बहुत अच्छा डांस करती हो!” लगभग चिल्लाते हुए राजीव यह बोलकर दरवाजे से बाहर की ओर भाग गया। मधुर गाने और दीवाना बनाती ढ़ोलक की थपकी पर खुद को क्यूं ना रोक पा रहा था।
आखिर ऐसा क्या हो गया उसे…..जो कि अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़ घर बैठ गया। धीरे-धीरे उसका व्यवहार क्यूँ बदल रहा है? क्यूँ कमर मटकाती बालाओं की तरह वह भी मटकना चाहता है? घंटों खुद को आईने में निहारना.. सोलह श्रृंगार करना.. कजरारी आखों को मटकाते हुए खुद से ही घंटो बाते करना अब राजीव को भाने लगा था!
राजीव को शुरू से ही लड़कियों के खेल, उनकी तरह नाचना-गाना और बातें करना पसंद आता था। अपने बेटे को यूँ लड़कियों के साथ ही खेलते रहते देख उसके माँ पापा को पसंद नही आता था और खूब डांट भी खाता और कभी कभार मार भी। जैसे जैसे वो बड़ा होता गया उसने अपने आप में सिमटना शुरू कर दिया।
क्योंकि कोई उसे समझ नही पा रहा था। वो पहले पढने के लिए शहर चला गया फिर वहीं नौकरी करने लगा।
गाँव में कोई उसे नहीं समझेगा वो जान गया था पर दिल्ली जैसे शहर में भी उसे पढे़ लिखे दोस्त नहीं समझते थे। एक दिन उसने हिम्मत करके अपने सबसे खास दोस्त को अपने दिल की बात कह दी तो पहले वो खूब हँसा और फिर बोला, “यार एक तो तेरी कोई गर्लफ्रैंड नही है और दूसरा तू लड़कों से भी दोस्ती नही करता। तभी तुझे ऐसा लगने लगा है….. तू चल मेरे साथ आज तुझे मजे करवा लाता हूँ और तेरे आदमी होने का सुबूत भी मिल जाएगा,” कह कर वो उसे रेड लाइट एरिया की बदनाम गलियों में खींच कर ले गया।
राजीव को वो सब अटपटा लग रहा था। बनी संवरी औरतें उन दोनो को इशारों से बुला रहीं थी। उसके दोस्त ने एक लड़की के पास ले जा कर खड़ा कर दिया और बोला, “जा मजे कर!” वो उस लड़की के साथ चला तो गया पर उस लड़की को देख कर भी राजीव में कोई ऐसा भाव नही आया जो नार्मली लड़को को आता है।
लड़की उसे रिझाने की कोशिश कर रही थी और राजीव उसके बनाव श्रृंगार को देख रहा था। लड़की ने बोला,” जल्दी करो साहब… मुझे लेट हो रहा है”, कह कर वो अपने कपड़े उतारने को हुई तो राजीव ने उसे रोक दिया और बोला,” प्लीज आप मुझे डांस करके दिखा दो बस,” लड़की उसकी बात सुन हैरान हुई पर मुस्कुरा कर नाचने लगी। राजीव को उसका डांस अच्छा लग रहा था…. वो भी उसके साथ थिरकने लगा।
उसे अपने साथ थिरकते देख वो लड़की हैरान हो गयी, राजीव की कमर उससे ज्यादा बल खा रही थी और गाने के भाव उसके चेहरे पर खूब जँच रहे थे। लड़की ने अपना नाचना बंद किया और उसे बोला,” तुम ऐसा किसी के सामने मत करना , वर्ना लोग तुम्हें किन्नर बना कर अपने परिवार से तुम्हें अलग कर देंगे और तुम्हारा जीना हराम हो जाएगा।”
राजीव उसकी बात सुन तुरंत वहाँ से घबराकर निकल आया क्योंकि वो किन्नरों को आमतौर पर रेड लाइट पर भीख माँगते और गाली गलौज करते हुए तो देखता ही था गाँव में भी उनका नाच गाना देखते आया था और लोगो का उनका मजाक उड़ाना भी उसकी आँखों के आगे तैर गया।
राजीव ने अपने आप को उसके बाद नौकरी और कमरे में ही समेट लिया था। वो सबसे बात करने में भी हिचकने लगा था। उसका मन धीरे धीरे नौकरी से हटने लगा वो हर वक्त किन्नरों के बारे में सोचता और उसे सपने भी ऐसे आने लगे तो घबरा कर उसने नौकरी छोड़ दी और वो वापिस गाँव आ गया है। यहाँ अपनी नयी चाची को नाचते देख वो मंत्र मुग्ध हो गया था। उसमें फिर वही भाव जाग रहे हैं…..।
धीरे धीरे वक्त बीत रहा है। राजीव को अपनी शिल्पी चाची का साथ भाने लगा है। जब भी वो काम करके आराम करने कमरे में जाती वो भी वहीं पहुँच जाता। शिल्पी भी राजीव से खूब बातें करती। शिल्पी एक पढी लिखी लड़की थी तो राजीव उससे हर तरीके की बात करता फिर घूम फिर कर कभी शिल्पी की साड़ी की तारीफ करता तो कभी उसके बालों की और शिल्पी मुस्कुरा देती।
ऐसा नही था कि शिल्पी बिल्कुल बेखबर थी। उसे हमेशा लगता कि राजीव किसी उलझन में है और वो कुछ बात कहना चाहता है। कभी कभार उसका लड़कियों जैसी बातें करना शिल्पी अनदेखा नही कर पा रही थी क्योंकि ये बात राजीव को कुछ अलग दिखा रही थी।
बस एक दिन मौका देखते ही शिल्पी ने राजीव से उसकी परेशानी पूछी तो वो थोडा़ डर और झिझकता हुआ सब इस विश्वास के साथ बतलाता चला गया की शिल्पी चाची उसे समझेगी। शिल्पी ने भी उसे ध्यान से सुना और समझने की कोशिश भी की। उसने राजीव से वादा किया कि वो किसी को कुछ नही कहेगी।
शिल्पी ने राजीव का लैपटॉप लिया और काफी सारे आर्टिकल्स उसने पढ़ डाले। साइंस ग्रेजुएट शिल्पी ने अपने उम्र से कुछ ज्यादा बड़े राजीव के किशन चाचा के साथ इसलिए शादी की थी क्योंकि शिल्पी को उनका व्यक्तित्व भा गया था। किशन भी उसे पसंद करने लगे थे तो दोनो की रजामंदी से उनकी शादी हो गयी।
शहर में रहने वाली शिल्पी गाँव में अपने मामा मामी से मिलने आयी और यहीं की हो गयी। उसे गाँव में रहने से कोई दिक्कत नही थी। एकल परिवार में रहने वाली वो तो इतना बड़ा परिवार पा कर खुश थी। उसे अब राजीव की परेशानी को सुलझाना था।
उसने कुछ दिनों में राजीव से खुल कर बात करके हल ढूँढ निकाला और उसने दिल्ली के एक Endocrinologist से मिलने का समय ले लिया। शिल्पी ने अपने मायके जाना था। उसका भाई उसे लेने आया तो राजीव ने दूसरी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने का बहाना बनाया और शिल्पी के साथ चल दिया। ये प्लानिंग तो शिल्पी ने ही की थी।
दिल्ली आ कर वो दोनो डॉक्टर से मिले। कुछ टेस्टस हुए। सारी रिपोर्टस देख कर डॉक्टर ने बताया, “हम सब में कुछ हार्मोंस होते हैं जो आदमी और औरतों दोनो में कॉमन होते हैं पर कभी कभार हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से जिसकी मात्रा ज्यादा होती है शरीर में, उसी के गुण किसी में ज्यादा दिखते हैं तो किसी में कम।”
“ये कैसी बीमारी है डॉक्टर? अब क्या करना होगा?” राजीव ने घबरा कर पूछा। डॉक्टर ने बताया कि बीमारी हो कर भी इसे बीमारी नही कह सकते। अब अगर लड़कियों में मेल वाले हार्मोंस ज्यादा होते हैं तो उसी की वजह से उनके चेहरे पर ज्यादा बाल हो जाते हैं, लड़को की तरह दाढी आने लगती है और लड़कियों में लड़को जैसे चलना, उनके जैसी पसंद वगैरह दिखाई देता है। ठीक वैसे ही जैसे तुमने अपने बारे में बताया।”
“डॉक्टर ये सब तो ठीक है पर इसका क्या ट्रीटमेंट है?” शिल्पी का सवाल सुन डॉक्टर साहब बोले, “हार्मोन्स को बैलेंस करने के लिए दवाई है पर उसको ज्यादा वक्त तक नही दिया जा सकता।”
राजीव डॉक्टर की बात सुन कर निराश हो गया और मायूस हो कर बोला, “मतलब मैं ऐसे ही पूरी जिंदगी शरीर से लड़का और मन से लड़की रहूँगा?” शिल्पी भी समझ नही पा रही थी कि क्या करे? डॉक्टर बोले,” वैसे तो राजीव आजकल ऐसे ऑपरेशन्स भी हो रहे हैं जिनमें पैशेंट में जिन हार्मोन्स की मात्रा ज्यादा है वो वही बनने के लिए ऑपरेशन करा लेते हैं मेरा मतलब ट्रांसजैडंर से है! आजकल ट्रांसजैंडर टॉपिक काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। काफी मुश्किल प्रोसेस तो है ही जैंडर चेंज करने का जिसमें मानिसक और शारीरिक दर्द भी शामिल हैं।”
“वैसे आजकल गूगल पर सर्च करने से सब पढने, जानने और समझने को मिल जाता है! फिर भी मेरी पर्सनली सोचना है कि अपना जैंडर चेंज करने के साथ ही हमें काफी कुछ सहने की आदत डालनी पड़ती है जो अंदर से मजबूत है वो शायद लड़ भी ले पर परिवार के सपोर्ट के बिना कोई कदम उठाने से वो इंसान अकेला रह जाता है। पैदा होते ही जो पहचान मिलती है उसे भूला कर अपनी नयी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अगर तुम्हारे केस में ऐसी जरूरत पड़ी तो तुम्हें तैयार रहना होगा इन सब परेशानियों का सामना करने के लिए।
डॉक्टर की बात सुन राजीव उलझन में पड़ गया और बोला ” डॉक्टर आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं पर क्या ये ऑपरेशन सक्सेसफुल होते हैं? कुल खर्च कितना आता है?” उसकी बात सुन डॉक्टर और शिल्पी दोनो ने एक साथ राजीव के चेहरे की तरफ देखा। ” राजीव, कुछ दिन आप पहले हार्मौंन्स को बैलेंस करने वाली दवा लीजिए। आप कुछ ज्यादा ही सोच रहे हैं। अभी इतना स्ट्रैस लेना ठीक नहीं है। 3 महीने के बाद आएँगे तो कुछ टैस्ट करवाते आइएगा फिर देखते हैं!”
“डॉक्टर सर बिल्कुल ठीक कह रहे हैं राजीव भैया!” शिल्पी की बात सुन उसने अपनी सहमति दे दी। शिल्पी और राजीव को दिल्ली आए 1 हफ्ता हो गया था इसलिए शिल्पी उसी के साथ वापिस गाँव आ गयी।
राजीव अपनी दवाई टाइम पर ले रहा था। शिल्पी और वो दोनो बैठ कर सर्च करते रहते और जब टाइम मिलता एक दूसरे से बातें करते रहते। हार्मोन बैलेंस वाली दवा कोई जादू की दवा तो थी नही जो राजीव का मन बदल जाता। राजीव रोज एक्सरसाइज भी करने लगा था और शिल्पी के समझाने के बाद वो शाम को लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने चला जाता।
सवाल तो यही था कि इन सबसे राजीव में कोई बदलाव आएगा पर फिर भी शिल्पी उसका मनोबल बढाती रहती। चाची उसे सपोर्ट कर रही है यही सोच कर राजीव उसका कहना मानता। शिल्पी “खाली दिमाग शैतान का घर होता है”, कहावत को सोचते हुए उसने राजीव को ऑनलाइन कोई जॉब या कोर्स करने के लिए कहा तो राजीव ने,”ठीक है चाची, कुछ सोचता हूँ”, कह कर अपने लिए सचमुच कोई नौकरी ढूँढने लगा पर ये भी सच था कि वो अभी घर से बाहर नही जाना चाहता था।
राजीव के मम्मी पापा और दादी उसके घर घुसु बने रहने से परेशान और नाराज रहने लगे थे पर शिल्पी ने राजीव का हमेशा साथ दिया। शिल्पी भी राजीव के लिए नौकरी की तलाश में थी। राजीव के चाचा और शिल्पी के पति किशन काफी दिनो से दोनो की जुगलबंदी देख रहे थे। वो खुश थे कि शिल्पी घर में रच बस गयी है।
जब नौकरी का कुछ समझ नही आया तो शिल्पी ने अपने पति से मदद माँगी तो किशन ने तुरंत राजीव को बुलाया और उसे अपने साथ ले गए। सुबह से निकले चाचा भतीजा जब शाम को वापिस आए तो राजीव खुश नजर आ रहा था। उसने सबको बताया कि, “अब वो चाचा जी के साथ काम करेगा!”
राजीव के यहीं रह कर काम करने की बात सुन कर घर में सब बहुत खुश हो गए थे और होते भी क्यों नहीं? वो यही तो चाहते थे पर राजीव ही अपने कारणों की वजह से शहर को छोड़ कर नही आना चाहा रहा था। सब को खुश देख कर राजीव को अच्छा लगा क्योंकि सब उसकी वजह से खुश हैं।
शिल्पी की वजह से ये संभव हुआ है सब को यही लग रहा है। सब की नजरों में शिल्पी के लिए सम्मान और प्यार बढ गया था। पूरे तीन महीने हो गए थे राजीव को मेडिसिन खाते हुए वो एक बार फिर शिल्पी के साथ ही दिल्ली जा रहा था पर इस बार शिल्पी ने ही कहा,” मैं राजीव भैया को साथ ले जाती हूँ और 2-4दिन में इन्हीं के साथ आ जाऊँगी। भैया भी अपने दोस्तों से मिल लेंगे और उनके लिए चेंज हो जाएगा!”
राजीव इन तीन महीनों में कई बार आशा-निराशा में डूबता और निकलता रहा। उसने गूगल पर जो कुछ भी था ट्रांसजैंडर्स के बारे में सब पढा और समझा। वो कभी अपने आप को उन में से एक समझता तो कभी कभी अलग। यही वजह थी कि उसने शिल्पी के कहने पर ऑनलाइन ही एक मनोचिकित्सक से अपनी काउंसलिंग की थी।
मनोचिकित्सक ने उसकी पूरी बात ध्यान से सुनी और कहा,” राजीव हार्मोंन्स का अंसुतलन एक वजह तो हो ही सकती है पर ये भी सच है की जब हम बच्चे होते हैं तो आसपास अगर लड़के ज्यादा होते हैं तो हम उसी रंग ढंग में ढल जाते हैं और लड़कियाँ होने पर उनके खेल, खिलौने, कपड़े, नाच
गाना और संजना संवरना अच्छा लगने लगता है। शायद तुम्हारे साथ ऐसा ही हुआ है और क्योंकि तुम्हें हमेशा ऐसा करने से रोका गया तो बाल सुलभ इच्छाएँ तुम्हारे मन में ही कहीं दबी रह गयी हैं और तुम उन सभी इच्छाओँ को ऐसे देख और समझ रहे हो इसलिए एक बार जा कर अपने कुछ टैस्ट करवा लो फिर बताओ!”
मनोचिकित्सक की बात ने उसके अंदर सकारात्मक सोच ला दी। वो अपने आप को ऑब्जर्व करने लगा था और शिल्पी भी उस की हर गतिविधि पर नजर रखे थी। जब से वो अपने किशन चाचा के साथ काम करने लगा है वो खुश तो रहता ही है साथ ही आत्मविश्वास भी बढा है। ये किशन और शिल्पी दोनो ने ही महसूस किया।
दिल्ली आ कर शिल्पी और राजीव दो दिन बाद डॉक्टर के पास गए। इस बार उन्होंने टेस्ट करवा कर रिपोर्ट लाने को कहा था। इन दो दिनो में राजीव अपने कॉलेज फ्रैंडस से मिल आया। डॉक्टर ने रिपोर्ट देख कर खुश हो कर कहा, “पहले से बैटर रिपोर्ट है और साथ ही बाकी टेस्ट देख कर पता चलता है कि तुम में कोई और कोई कमी नही है।”
डॉक्टर की बात सुन शिल्पी और राजीव के चेहरे पर संतोष नजर आ रहा था। सच तो ये था कि जिस दिन उसका दोस्त उसे रेड लाइट एरिया में ले गया था वहाँ उस लड़की ने जो कहा वो राजीव को परेशान कर गया और उसे लगा कि कहीं वो सच में किन्नर तो नही है। यही डर उसे वापिस गाँव ले गया।
ये सच समझने में मनोचिकित्सक ने मदद की और उसके दिल में अपने घर की लड़कियों को देख कर जो इच्छाएँ बचपन से थी उसे दबाया गया। यही अगर उसे बच्चा समझ बेवजह की बंदिशे न लगाते तो लड़कियों की इन आदतों को ले कर उसके दिल में इतना जबरदस्त आकर्षण न होता कि वो उनको कॉपी करने लगा।
राजीव और शिल्पी वापिस गाँव आ गए। राजीव ने समझदारी से काम लिया और डॉक्टर ने जो कहा उसे हमेशा किया और मनोचिकित्सक से अपने मन में आयी बातों को बताते रहने से राजीव खुद को हलका महसूस करने लगा था और सबसे बड़ी बात वो खुद को नार्मल मानने लगा था।
2 साल देखते ही देखते बीत गए। इस बीच शिल्पी ने एक बेटे को जन्म दिया। सबसे ज्यादा खुश राजीव दिखायी दे रहा था। उसने घर की सब औरतों के साथ खूब डांस किया और लड़को के साथ मिल कर तो रंग ही जमा दिया।
आज राजीव के घर में खूब चहल पहल है। आज राजीव घोड़ी चढ़ रहा है अपनी दुल्हन को लेने जा रहा है पूरी बारात के साथ। शिल्पी बहुत खुश है राजीव को जिंदगी में आगे बढते देख कर नही तो एक बार वो डर गयी थी राजीव के भविष्य को लेकर। अब जब राजीव ने खुद को वक्त दे कर समझा तो जाना कि
एक छोटी सी परेशानी को उसने कितना बड़ा बना दिया था और स्कूल कॉलेज के दिन उसने बेकार कर दिए पर अब वो खूब खुल कर जीएगा। उसका परिवार उसके साथ है।
समाप्त
इस कहानी को दो लेखिकाओं ने मिलकर लिखा है
सुमन ओमानिया और सीमा बी.

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