उफ़ मेरी MIL (हास्य रचना) – संगीता अग्रवाल 

” बेटा पू कुछ चाहिए तो नही तुम्हे ?” नवविवाहित पूजा अपने कमरे मे सिर झुकाये बैठी थी तभी उसकी सासुमा ज्योत्स्ना जी वहाँ आकर पूछने लगी।

” मम्मीजी वो …!” पूजा संकोचवश कुछ बोलने को हुई कि।

” बेटा मम्मीजी नही ये सब बहुत आउटडेटेड लगता है तुम मुझे MIL बोला करो और ये घूँघट क्यो डाला है तुमने इतनी गर्मी मे उतारों इसे और आराम से हवा खाओ !” ज्योत्स्ना जी इतरा कर बोली।

” जी…..!” पूजा सास की बात सुन चकरा सी गई । उसकी सास मॉर्डन है ये तो उसने देख लिया था पर इतनी ये नही पता था। 

” लो पू मुंह दिखाई की रस्म के लिए तैयार हो जाओ जल्दी से !” थोड़ी देर बाद ज्योत्स्ना जी उसे एक शरारा सूट देती हुई बोली।

” मम्मी जी …मेरा मतलब है MIL ये सूट !” पूजा के लिए ये दूसरा मौका था हैरान होने का उस बेचारी को नही पता था अभी तो कितने मौक़े उसे हैरान करने को तैयार खड़े है।

” हां बेटा ये भारी भरकम साडी कहाँ सम्भलेगी तुमसे अरे शादी हुई है कोई सजा थोड़ी मिली है जो छह गज के थान मे कैद कर दी जाओ!” ज्योत्स्ना जी प्यार से बोली और उसे तैयार होने को बोल खुद चली गई । बाहर जा उन्होंने पूजा की ननद सुरुचि उर्फ़ सू को अंदर भेज दिया जो उसे तैयार कर बाहर ले आई।

मुंह दिखाई की रस्म अच्छे से निमट गई तो सू उसे उसके तैयार कमरे मे छोड़ गई कमरा बहुत सुंदर सजा था थोड़ी देर बाद उसके पति यश ने दरवाज़े पर हल्की सी दस्तक दी तो पूजा ठीक से बैठ गई ।




अगले दिन पूजा नहा धोकर जल्दी तैयार हो नीचे आ गई। घर से मेहमानो की विदाई तो कल ही हो गई थी तो अब बस पूजा ,उसका पति यश , सास ससुर और ननद बचे थे ।

” MIL खाने मे क्या बनेगा बता दीजिये मुझे ?” नीचे आ सास ससुर के पैर छू पूजा बोली।

” गुड मॉर्निंग पू तुम इतनी जल्दी क्यो उठ गई बेटा और ये पैर छूने की कोई जरूरत नही रही खाने की बात यहां ऐसी कोई फॉर्मेलिटी नही जाओ तुम आराम से कमरे मे बैठो मैं चाय भेजती हूँ !” ज्योत्स्ना जी उसे देख बोली।

” नही कोई दिक्कत नही मुझे खाना बनाना पसंद है !” पूजा बोली उसके लिए ये सब बहुत न्या और अजीब था उसने तो अपनी सहेलियों से ससुराल के अलग ही किस्से सुने थे ऊपर से ये MIL ये तो उसे बहुत ही अजीब लग रहा था पर नई नई आई थी इस घर मे कुछ बोल भी नही सकती थी।

पूजा को ससुराल आये दो महीने बीत चुके थे उसे यहां ऐसा लग रहा था वो कोई गुड़िया है वो भी कांच की जिसे सहेजा जा रहा है ना तो कोई काम करने दिया जाता ना कुछ । अचानक उसकी एक सहेली रिया जो शादी मे नही आ पाई थी उससे मिलने आई।

” हेलो पूजा कैसी है तू? ” वो पूजा के गले लग बोली ।

” मैं ठीक हूँ तू बता इनसे मिल ये है मेरी MIL और ये SIL !” पूजा ने अपनी सास और ननद का परिचय रिया से करवाया।

” नमस्ते ज्योत्स्ना आंटी हेलो सुरुचि !” रिया बोली।




” ज्योत्स्ना नही जो ..जो आंटी और ये सू है !” ज्योत्स्ना जी बोली तो रिया पूजा की तरफ हैरानी से देखने लगी । पूजा ने उसे आँखों के इशारे से कुछ समझाया। फिर दोनो पूजा के कमरे मे आ गई।

” ये सब क्या है पूजा तुम्हारी सास बड़ी अजीब है !” रिया बोली।

” अजीब नही एकता कपूर के सीरियलस की सास है मॉर्डन सास !” पूजा बोली।

तभी ज्योत्स्ना जी ने उनके लिए खाने पीने का सामान भेज दिया ।

” क्या बात है यार तेरे तो ठाठ है यहाँ एक हमारी सास है कि कोई दोस्त आये या मायके वाले रसोई मे हमें ही लगना है !” रिया बोली।

” मेरी सास मुझे रसोई मे जाने भी नही देती गर्मी मे परेशान हो जाओगी मेकअप खराब हो जायेगा !” पूजा बोली।

” सही है यार काश ऐसी सास मुझे मिली होती !” रिया बोली।

” क्या सही है यार कितना मन करता है पति को अपने हाथ से बना कर खिलाऊं ससुराल वालों की तारीफ पाऊं पर यहाँ तो मैं बस एक सजी धजी नाजुक गुड़िया सी बनकर रह गई हूँ । साडी पहनो तो बोलती है आउटडेटेड है , वेस्टर्न कपड़े पहनो !” पूजा दुखी स्वर मे बोली।




” यार ये तो सच है कि सास नाम के प्राणी से कोई नही खुश रह सकता यहाँ सारा दिन पिलते रहो तब कोई तारीफ़ नही करता जीन्स तो दूर सूट नही पहनने देता एक तू है तुझे सब कुछ मिला पर तू सास से तब भी खुश नही !” रिया चुटकी लेते हुए बोली।

” सास नही MIL !” पूजा एकदम से बोली और दोनो सहेलियाँ हंस पड़ी। 

 चेतावनी – दोस्तों ये एक काल्पनिक हास्य रचना है जिसका हकीकत से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नही इसलिए आप अपने सोच के घोड़ो को लगाम दीजिये और ऐसी सास की कल्पना मत कीजिये । क्योकि आपको जो मिल गई वही रहेगी हमारी पू जैसी सास नही नही MIL नही मिलेगी।

#5वां_जन्मोत्सव 

आपकी दोस्त

संगीता ( स्वरचित )

1 thought on “उफ़ मेरी MIL (हास्य रचना) – संगीता अग्रवाल ”

  1. बहुत अच्छा अंदाज… लेकिन आज कल जो जैसे ही सास की तादाद बढ़ती जा रही है.. 😃

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