तुम्हारे वक्त पर मेरा भी अधिकार है…. – रश्मि प्रकाश : Moral stories in hindi

“कितनी सुहानी सुबह थी वो रजत जब हम मसूरी घूमने गए थे, खुशगवार मौसम और हम दोनों का प्यार मौसम को और रूमानी बना रहा था…जो देखता बस हमारी जोड़ी की तारीफ करते नहीं थकता…तुम भी तो बस मुझे अपनी नजरों से एक पल को ओझल नहीं करना चाहते थे…बस तुम्हारी नज़रों के सामने रहूँ…यही तो कहा था ना तुमने…..

हमने शायद ज़िन्दगी में उसके बाद कभी ऐसी कोई सुबह नहीं देखी….शादी के बाद हम पहली बार अकेले एक दूसरे के साथ रहे थे इसलिए तुम्हारी नज़र बस मुझ तक ही सीमित थी…जिम्मेदारियों ने मेरे रजत को कितना बदल दिया…आज हमारे बीच हमारे प्यार की निशानी रूही भी है पर तुम उसको भी ठीक से नहीं देख पाते…वो पापा के प्यार को तरसती रहती है रजत…काम के बोझ तले तुम इतना दब गए कि अब तुम अकसर घर से बाहर टूर पर ही रहने लगे हो।

 मैंने तुम्हारे हर कदम पर साथ देने का वादा किया है रजत और मैं हमेशा साथ दूँगी भी पर अब सवाल हमारी बेटी का है….उसके लिए तुम्हारे फर्ज का है…तुम माँ बाबूजी और अपनी सब बहनों के लिए हमेशा अच्छे बने रहे…उनकी थोड़ी सी भी तकलीफ़ में तुम परेशान हो जाते हो….

मैं तुम्हारे उनके प्रति कर्तव्य से कभी विमुख नहीं करना चाहती हूँ….पता कितनी बार मैं बीमार पड़ी पर तुमने कभी पूछा तक नहीं ना मैंने तुम्हें पता चलने दिया…आज रूही को बुखार आ गया वो तुमको याद करते करते बेहोश हो गई….जब तुमको फोन किया तुमने कहा काम में व्यस्त हूँ बाद में बात करता हूँ….

तुम्हें फोन ना करना था ना तुमने किया….मैं अपनी बेटी के साथ जा रही हूँ….जब तुम्हें एहसास हो जाए कि जैसे माँ बाबूजी और बहने तुम्हारी जिम्मेदारी है हम भी तुम्हारी जिम्मेदारी है तब तुम हमसे बात करना और तो और जैसे माँ बाबूजी बहनें सभी तुम पर अपना अधिकार जताती है और तुम खुश हो जाते हो … मेरा भी मन करता है तुमसे कहूँ तुम पर सिर्फ़ मेरा अधिकार है…. पर मैं ये बात चाह कर भी कभी कह नहीं पाई ना ही कभी कहूँगी….जानती हूँ तुम ही सबके लिए हो और सबका तुम पर पूरा अधिकार है सिवाए ….!!”

                                                                                                                        तुम्हारी जूही

हाथों में जूही का पत्र लिए रजत सिर पकड़ कर बैठ गया था।

जूही की अक्षरशः एक एक बात सच्ची ही तो थी। 

वो शुरू शुरू में पत्नी का कितना ख्याल रखता था। जूही कभी उससे किसी बात के लिए सवाल नही करती थी, सोचती जो भी कर रहा हमारे भविष्य के लिए ही तो कर रहा है पर क्या पता था कि काम करने की धुन के साथ साथ पैसे कमाने की सनक भी इस कदर हावी हो जाएगी…. माँ बाबूजी बहनें सभी को मनमाफिक सब मिल रहा था उन्हें किसी बात से कोई एतराज़ भी नहीं था….बस रजत ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की होड़ में जूही और रूही से कोसों दूर हो गया था। 

जूही भी एक इंसान हैं कब तक सब बर्दाश्त करती रहती। आज बेटी की हालत ने उसे मजबूर कर दिया कि रजत को सच से अवगत कराना कितना जरूरी हैं।

रजत जूही से बहुत प्यार करता था, पर उसके लिए वक्त की जरूरत पूरी नहीं कर पाया। 

ये बात रजत को अब समझ आ रहा था। 

वो फ़ौरन रात को ही जूही को मिलने निकल गया। 

पता था वो अपने मायके ही गई होगी।

सुबह के करीब चार बजे वो जूही के पास पहुँचा ।

‘‘ जूही मुझे माफ कर दो, मैंने सच में काम और पैसे कमाने के चक्कर में खुद को झोंक दिया था….मैं तुम दोनों से बहुत प्यार करता हूँ….तुम दोनों के बिना नही रह पाऊँगा… घर में तुम होती हो बस इस बात से मुझे तसल्ली रहती थी … पर आज जब घर गया…तुमने दरवाजा नहीं खोला तो मैं अपने पास की चाभी से दरवाजा खोला….तुम्हारी अनुपस्थिति मुझे परेशान कर रही थी फिर वो लेटर जो तुम छोड़ कर चली आई मुझे ऐसा लगा मेरी दुनिया ही उजड़ गई है…..अब चलो अपने घर…..अब कभी तुम्हे शिकायत का मौका नहीं दूँगा ।” रजत जूही से कान पकड़ कर माफी माँगने लगा

जूही असमंजस की स्थिति में थी …. क्या रजत सही कह रहा है या फिर मेरे जाते ही …!!!

खुद को सवालों के घेरे में छोड़ कर वो रजत के लिए पानी लेने रसोई में गई तो वहाँ माँ पहले से ही चाय बनाने आई हुई थी ।

“ देख जूही मैं ये नहीं कहती कि रजत सही कर रहे थे पर एक बात ज़रूर कहूँगी…अगर वो अपनी गलती मान कर तुम दोनों को लेने आए है तो इंकार मत करना …हो सकता है तेरे इंकार से वो जो सुधरने का सोच रहा हो वो भी बंद हो जाए …. जाकर देख मुझे लग रहा है रजत पर अब तुम दोनों का भी पूरा अधिकार है वो अब तुम्हें भी वक्त देंगे ।”

जूही कुछ ना बोली बस हाँ में सिर हिला दी ।

जूही जब जाने लगी तो माँ ने कहा ,‘‘बेटा आज तेरे लिए कितनी सुहानी सुबह आई है भगवान करे अब तुझे कभी ऐसे घर छोड़ कर ना आना पड़े….जब आए दामाद जी के साथ आए।”माँ के स्नेहाशीष से जूही भावविभोर हो गई

 रजत अब जूही और रूही के लिए वक्त निकालने लगा था…मासूम रूही पिता के सानिध्य से खुश रहने लगी थी और अब जूही बड़े प्यार से रजत से कहती ..,” अब लग रहा है मेरा रजत फिर से लौट आया है जिसपर मेरा सिर्फ़ मेरा अधिकार है ।”

ये सुनकर रजत ने जूही को बाँहों में जकड़ लिया ।

मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#वाक्यकहानीप्रतियोगिता 

#तुमपरसिर्फमेराअधिकारहै

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