तितली जैसी बेटियाँ – आशा झा सखी   : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज गौरी की हल्दी व मेंहदी की रस्म सम्पन हुई है । बहुत थक गई वो इन रस्मों को निभाते निभाते तन से भी और मन से भी।गौरी के मन में बहुत हलचल मची हुई है,पर पता नहीं उसकी आगे आने वाली जिंदगी क्या मोड़ लेने वाली है ।क्या उसे ससुराल में सबका प्यार नसीब होगा या अभी तक की जिंदगी की तरह ही प्यार के लिए महरूम रहेगी सदा।

गौरी आंख बंद किये हुए अपनी जिंदगी के बारे में सोचे जा रही थी। पता ही नहीं चला उसे की कब उसकी आँखों से अश्रु धारा बहने लगी। तभी उसे ऐसा लगा कि किसी ने उसके सिर पर हाथ फिराया हो ।जैसे ही देखने के लिए उसने ऑंखें खोली , अचानक तेज रौशनी से उसकी आंखें चौधिया गयी।वो उठ कर जैसे ही बैठी सामने देख कर वो अचरज से भर उठी। सामने उसकी चाची जी खड़ी होकर स्नेह पूर्ण नजरों से उसे निहार रही थीं। उसने उनसे पूछा – कुछ काम था ।

चाची जी बोली- नहीं, आज तो मैं अपनी लाडों से लाड़ लड़ाने आयी हूँ। कल तो पराई होकर चली जाएगी अपने साजन के घर।गौरी को तो कुछ समझ ही नही आया कि आज उसकी चाची जी को क्या हो गया है। आज से पहले तो हमेशा डांटती ही रहती थीं ,पर आज अचानक इतना प्यार दिखा रही हैं ।तभी उसकी चाची जी ने बोला – मैं बैठ जाऊँ, बहुत सी बातें करनी हैं तुमसे आज।

तुम्हारे मन की गांठ खोलना है। तुम्हारी गलतफहमी भी दूर करनी है। बैठिए न , गौरी बोल पड़ी। उसकी चाची जी ने उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर चुम लिया ये बोलते हुए की आज बहुत प्यारी लग रही है वो । कहीं किसी की नजर न लग जाये। फिर उसकी हथेलियों को अपने हाथ में ले सहलाते हुए बोली- पता है बेटा, जब तुम इस घर में आई तुम्हारी उम्र चौदह वर्ष की थी।

यानी विस्फोट के कगार पर खड़ी थीं तुम। उस पर सितम ये की माता पिता को खोकर मानसिक रूप से टूटी हुई , गांव के माहौल को छोड़ कर शहर के माहौल को आत्मसात करने की जद्दोजहद अलग। इस अवस्था में तुम किसी के भी द्वारा आसानी से बहकाई जा सकती थीं। तुम जैसी स्थिति में थीं तो घर वालों पर भी भरोसा नही किया जा सकता था।

इसलिए मैंने तुमको हर बात परडांट कर सख्ती से समझाया ताकि तुम कहीं भी गिर न पड़ो , तुमको घर के कामों में होशियार करने के लिए ही तुमसे काम भी करवाती थी ।जिससे आगे तुमको घर सँभालने में परेशानी न हो।तुमको अपने पैरों पर खड़ी करने के लिए ही तुमको बराबर ताना मारती रही ताकि तुम भटको नहीं बल्कि पढ़ लिख कर इस लायक बन जाओ की कभी किसी पर आश्रित न होना पड़े।

तुमको ये तो याद ही होगा कि मैंने कभी भी तुम्हारी स्कूल की फीस भरने में कमी नहीं की, न ही कभी तुमको खाने पीने में कमी की। हां ,तुमको आधुनिक कपड़े कभी नहीं पहनने दिए वो भी इसलिए ताकि तुमको देख कर किसी की नीयत न फिसले। बेटा, आज का जमाना बहुत खराब है ।

आजकल लोग रिश्तों का भी लिहाज भूल जाते हैं यदि मजबूरी दिखाई देने लगे तो ,इसलिए ही मैंने तुमको चाचाजी के पास जाने पर डाँटा ,उनको भी इसलिए ही शक करने का उलाहना देती रही ताकि भूल से भी उनके मन में तुम्हारे लिए कोई भी गलत ख्याल जन्म भी न लेने पाए। बेटा, लड़कियां तितली की तरह खूबसूरत होती हैं ,साथ ही बहुत नाज़ुक भी । उनकी देखभाल बहुत जतन से करनी पड़ती है। बहुत से आवारा भँवरे भी तितली को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।

अक्सर तितली खूबसूरत फूल को देखकर उसी पर मंडराती है जिससे उसका वक्त बर्बाद होता हैं। मैं तुम्हारे लिए ये नहीं चाहती थी ,इसलिए उस दिन वरुण को तुम्हारे साथ देखकर तुमको बहुत डांटा था। मैंने तुमको उस दिन भी यही बोला था कि जिस काम के लिए तुमको कालेज भेजा जाता है सिर्फ वही करोगी तो ही तुम्हारे लिए अच्छा होगा ।

प्यार ,इश्क , मोहब्बत करने के लिए उम्र पड़ी है। मैं तुमको जीवन भर यही नहीं बिठा सकती हूं।इतना सिर्फ इसलिय तो सुनाया था कि तुम सही रास्ते पर चलकर कुछ बन जाओ। यदि तुम दोनों का लगाव सच्चा होता तो समय के साथ परिपक्व होता । यदि सिर्फ आकर्षण होता तो ,तुम बर्बाद होने से बची रहो मेरे डर के कारण।

बेटा कभी कभी सही मंजिल पाने के लिए भी टेढ़ी राह अपनानी पड़ती है। अब देखो न मेरे इस तरह के अजीब से तरिके अपनाने से ही सही ,पर तुम आज एक बेहतर मुकाम पर खड़ी हो । आज आकाश के रूप में तुमको एक बेहद प्यार करने वाला जीवनसाथी मिलने वाला है। तुमको शायद पता नहीं है ,मैंने जब आकाश की आंखों में तुम्हारे लिए कुछ देखा था तो खुद उसके परिवार के बारे में , उसके बारे में सारी जानकारी प्राप्त की ।

आकाश से बात कर पूरी तसल्ली की तब जाकर उसे इस बात की इजाजत दी कि वो अपने मन की बात तुमसे कह सके। हो सके तो अपनी चाची जी को माफ कर देना उनकी कड़क अनुशासन के लिए। इतना बोल कर चाची जी चुप हो गयी। जब गौरी ने उनकी ओर देखा तो उनकी आंखें भरी हुई थीं।

चाची जी— बोल कर गौरी उनके गले लग गयी। आपने जो मेरे लिए किया वो तो शायद मेरी माँ भी न कर पाती। ये आपने सही कहा । यदि आप इतनी सजगता व होशियारी न दिखाती तो मुझसे वो सारी गलतियां हो जाती जिनसे आपने मुझे बचाया।फिर आज मै कहीं किसी कोने में पड़ी किस्मत को दोष दे रही होती।

चाची जी आपकी बात सुनकर मैं ये सोचने पर मजबूर हूँ कि अक्सर जो दिखता है वो पूरा सत्य नहीं होता । लोग अक्सर आपके बारे में गलत बोल कर मुझे भड़काते थे । मुझे भी लगता था ऐसा ही , पर मन के किसी कोने में ये भी लगता था बस डांटती ही हैं ज्यादा ,बाकी कमी नहीं रखती किसी चीज की।

एक बात कहुँ आपको ,ये बात आपकी सच है कि मजबूरी में अक्सर लोग रिश्तों का लिहाज भूल जाते हैं। ये बात मैंने भी महसुस की ,सच में यदि आप इतना सख्ती न रखती तो शायद मुझे बर्बाद करने वालों में पहला नाम मेरे परिवार के सदस्य का ही होता । आपका धन्यवाद भी नहीं बोल सकती ।

भला कोई बेटी अपनी माँ को धन्यवाद बोलती है उसकी बेहतरीन परवरिश के लिए।बोल कर दोनों ही एक दूसरे के गले लग कर आंसू बहाती रहीं । फिर उसकी चाची जी उससे अलग होकर उसे सुलाते हुए बोली- सो जा लाड़ो ,वरना डार्क सर्कल पड़ जायेंगे और दुल्हन सबसे खूबसूरत नहीं दिखेगी। फिर उसका माथा चूम कर बोली -आज जाकर तसल्ली मिली है । अब शांति से कल की तैयारी देखूंगी। दोनों ही अब एक अलग ही शांति को महसूस कर रही थीं और आने वाले भविष्य के सपने देखने में खो गईं।।।

आशा झा सखी

जबलपुर (मध्यप्रदेश)

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