बुनकर – अंजू निगम
“अरे नौशाद, जरा दो गिलास पानी तो भिजवा यहाँ।” शमशाद की आवाज पर नौशाद काम छोड़ तुरंत अमल पर उतरा। इस महीने लगा, पुरानी रौनक फिर लौट रही है। लगन लग रहे थे। कई मोटे ग्राहक फिर आ जुटे थे। अब तक सूखी पड़ी कड़ाही में घी की तरावट आने लगी थी। शमशाद जी जान … Read more