बुनकर – अंजू निगम

“अरे नौशाद, जरा दो गिलास पानी तो भिजवा यहाँ।” शमशाद की आवाज पर नौशाद काम छोड़ तुरंत अमल पर उतरा।  इस महीने लगा, पुरानी रौनक फिर लौट रही है।  लगन लग रहे थे। कई मोटे ग्राहक फिर आ जुटे थे। अब तक सूखी पड़ी कड़ाही में घी की तरावट आने लगी थी। शमशाद जी जान … Read more

स्वसंवाद….!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

घर से निकलते ही….!! “घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही….!! “ आज भी जब मैं ये गाना सुनता हूँ या कहीं से इसके स्वर मेरे कानों में पड़ते हैं तो बरबस मुझे वो तुम्हारा पुराना घर याद आ जाता है जो ठीक मेरे घर के सामने था ,जिसके टैरिश पर तुम रोज खड़ी … Read more

‘दीदी’ – पूनम वर्मा

कमला और विमला दो बहनें थीं और दोनों बहनों से छोटा था भाई कमल । कमल अपनी दोनों बहनों का लाडला था । पापा ने कमल का एडमिशन अंग्रेजी स्कूल में करा दिया था । सुबह तो पापा ही स्कूल पहुँचा देते पर छुट्टी के समय लाने के लिए दोनों बहनों को कह दिया । … Read more

ईमान – उषा गुप्ता #लघुकथा

“भैया,रिक्शा जरा जल्दी चलाओ ना !” मिसेज गोस्वामी उतावली हो रही थी अपने बेटे और पोते को देखने के लिए। ” अरे भागवान ,रिक्शा ही तो है हवाई जहाज नहीं …बस पहुंचने ही वाले हैं।” मिस्टर गोस्वामी ने दिलासा देते हुए कहा। जैसे ही रिक्शा बड़ी सी कोठी के गेट पर रुका ,दोनों ने फटाफट … Read more

लत – कंचन आरज़ू

कहते हैं लत कोई भी अच्छी नही पर लग जाए तो कोई क्या करे ,लाख जतन कर लो पर छूटती नहीं। अब अम्मा को ही ले लो सबके इंतज़ार करने की बुरी बीमारी लगी है , वहीं दलान में बैठे बैठे हर आने जाने वाले पर नज़र रखती है। क्या मजाल कि उनकी नज़र से … Read more

सन्नाटा  – गौतम जैन #लघुकथा

आप दोनों के लाड़ प्यार से बच्चे बिगड़ जाएंगे इसलिए बच्चों को नहीं भेजेंगे । बच्चों पर आप लोगों का कोई अधिकार नहीं है ये आपकी बहू कह रही है और इसमें गलत भी क्या है ? बेटा अपने मां बाप से बोला ।           हम तो यहां सब कुछ छोड़कर बच्चों के लिए ही तो … Read more

नन्हकी – पुष्पा पाण्डेय

अस्सी की उम्र में भी शर्माईन नन्हकी ही कहलाती थी। पता नहीं उनका असली नाम नन्हकी ही था या कुछ और? सास तुल्य उसकी सौत ने जब मंदिर से अपने पति का दूसरा ब्याह कराकर आई तो मुह दिखाई की रस्म में नन्हकी नाम का ही सम्बोधन किया। तभी से सभी उसे नन्हकी चाची, नन्हकी … Read more

अनजान रिश्ता – नीलिमा सिंघल

राजुल ने बताना शुरू किया “वो एक ऐसी अनाथ है जिसके माता-पिता ने खुद उसको पालनाघर नाम के अनाथ आश्रम में छोड़ा, उसका नाम राजुल उसी अनाथ आश्रम की संचालिका ने रखा था, बचपन मे एक जोड़ा उससे मिलने आता था उसके लिए खिलौने लेकर आते थे साथ घुमाने की फ़रियाद लेकर आते थे पर, … Read more

बेरोजगारी – माता प्रसाद दुबे

बेकारी की दौड़ में जीत हासिल करना आसान नहीं होता। ना जाने कितने लोगों का पूरा जीवन इस दौड़ को पूरा करने में समाप्त हो जाता है। रविवार का दिन था,रेलवे स्टेशन की बेंच पर बैठा हुआ प्रकाश हजारों की संख्या में रेलवे की भर्ती की परीक्षा देने आए नौजवानों की भीड़ देखकर वह चिंता … Read more

बंधन – गुरविन्दर टूटेजा

 अनुज नाम था उसका….मेरे आफिस में थर्ड ग्रेड वर्कर था….मेरा तबादला अभी यहाँ हुआ था आफिसर की पोस्ट पर मैने तीन चार दिन पहले ही जाईन करा था….!!! अनुज बहुत मेहनती व समझदार था मुझे तो दीदी ही बोलता था पर एक दिन मेरे जूनियर प्रशांत ने उसे डाँटते हु़ये बोला कि वो मेडम है….तो … Read more

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