“मेरा घर” – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

#मायका “माँ” बैठक में ही चावल लेकर चुनने के लिए बैठ गई थी। तभी मेन गेट की घंटी बजी। उन्होंने वहीं  से पूछ लिया- कौन है? कोई आवाज नहीं आई। वह सोचने लगी कि  पता नहीं कौन हो सकता है अभी दोपहर के समय। दोनों बाप-बेटे तो घर में ही हैं तो फिर कौन आया? … Read more

मैं मायके चली जाऊँगी – विनोद सिन्हा “सुदामा”

“शांति” मेरी धर्मपत्नी का शुभ नाम.. जाने क्या सूझा या क्या सोच माता पिता ने शांति नाम रखा… शादी के दस साल बाद भी समझ नहीं पाया…रूप एवं स्वभाव से बिल्कुल विपरीत और अलहदा.. वैसे तो मेरी धर्मपत्नी… किसी चंद्रमुखी से कम नहीं..लेकिन न तो कभी चंद्रमुखी दिखी मुझे.. और न ही कभी शांत रहने … Read more

मायका टूरिस्ट प्लेस – उर्मिला प्रसाद

बात उन दिनों की है जब मां गाँव में रहा करती थीं और हम छह महीने बाद- बाद उनसे मिलने जाया करते थे। मां को जब खबर होती थी कि मैं ससुराल से  आने वाली हूँ तो जिस दिन से खबर मिलती उसी दिन से वो हमारी राह देखने लगती थी। किस दिन कौन सा  … Read more

ठंडी छाँव – कमलेश राणा

#मायका  “मायका “शब्द के नाम से ही हर महिला के चेहरे की रौनक ही बदल जाती है।यह वह स्थान है जहाँ जीवन का सब से स्वर्णिम समय गुजरता है।बिल्कुल मस्ती से भरपूर,जिम्मेदारी से मुक्त,सब के स्नेह से सराबोर। शादी के बाद तो इसकी एहमियत और भी बढ़ जाती है।जब भी मायके से बुलावा आता तो … Read more

पिता से मायका सलामत है – संगीता अग्रवाल

#मायका ” बेटा कब तक पहुंच रही है तू ?” तन्वी से उसके पापा महेंद्रनाथ जी ने फोन पर पूछा। ” पापा आधे घंटे में पहुंच जाऊंगी थोड़ा जाम है इसलिए देर हो रही है !” तन्वी बोली। फोन रखकर तन्वी सोचने लगी मां के बिना मायका कैसा होगा। पापा की खुशी के लिए आ … Read more

अजन्मी आकांक्षाबाएँ* – सरला मेहता

मकरंद की पसंद थी मंदा। माँ पापा तो इस सम्बन्ध के पक्ष में ही नहीं थे। वे चाहते थे कि इकलौते बेटे के लिए बहू के परिवार की पूरी जानकारी हो। चाहे विजातीय हो किन्तु पत्रिका का मिलान ज़रूरी। मकरंद ने ऐलान ही कर दिया था कि ब्याह करेगा तो मंदा से वरना कुँवारा ही … Read more

वर्चुअल मायका – ज्योति अप्रतिम

स्निग्धा ,मेरी बात सुन ,दो दिन से देख रही हूँ ।दादी बहुत उदास हैं पता नहीं क्या बात है? हाँ ,सही कह रही हो ।मैंने भी देखा कल   चुप चाप  अपने कमरे में बैठी आँखें पोंछ रही थी। सुविधा ने अपनी बहन की बात का समर्थन करते हुए कहा। चलो, मम्मी से पूछते हैं … Read more

अजीब दास्तां है ये – सुधा जैन

कादंबरी,… हां यही नाम था उसका जितना सुंदर नाम उतनी ही सुंदर थी वह… बड़ी बड़ी आंखें गोल चेहरा.. लंबे लंबे बाल बहुत ही आकर्षक… सुंदर …जितनी सुंदर उतना ही सुंदर गायन… जो भी उसे देखता … देखता ही रह जाता। महाराष्ट्र के नागपुर में जन्मी अपने  मम्मी पापा की छोटी लाडली बिटिया … बचपन … Read more

स्कूल – रश्मि स्थापक

“अरे! चंदू की दुकान खुल गई।” जय मन ही मन बुदबुदाया। घर के बिल्कुल सामने जूते-चप्पल सुधारने की छोटी सी गुमटी जिसे चंदू ने अपनी मेहनत से धीरे-धीरे कर खरीद भी ली थी जिसमें वह सुधारने के साथ ही साथ वह कुछ जूते बना भी लेता था। बीस साल से घर के सामने दुकान होने … Read more

“उलझन,” – मिनाक्षी राय 

लता आज बहुत परेशान थी उसकी उदासी और परेशानी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी l लता आज इस बात से परेशान थी, कि क्या इस बदलते माहौल में संयुक्त परिवार का एक साथ रहना कोई गुनाह है क्या?? आज लता अपने लिए जब नए घर के मालिक से मिलने गई तो उसका पहला … Read more

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