दर्द का रिश्ता – पुष्पा पाण्डेय

भागती हुई नर्स डाँ. रवि के केबिन में आई।  ” सर, वार्ड नम्बर-7 में जिसकी कल ही डिलीवर हुई थी,वो बच्चा छोड़कर न जाने कहाँ चली गयी?”  “अरे, ऐसे कहाँ चली जायेगी? खोजो, यहीं कहीं होगी। नहीं तो उसके परिजन से सम्पर्क करो।” भूख से बिलखते उस बच्चे को नर्स ने नर्सरी में भेज दिया … Read more

आई माँ – मंगला श्रीवास्तव

 शारदा आज मेरी जरूरी मीटिंग है कम्पनी में मुझको जल्दी जाना है ,  तुम सुदीप को संभाल लेना उसका ध्यान रखना दूध पिला देना काम पड़ा रहने देना बाद में कर लेना। यह कहकर अमिता जी अपने तीन महीने के मासूम बेटे को छोड़ पति नरेंद्र के साथ बाहर निकल गई थी। शारदा  घर में … Read more

दिल का रिश्ता”  – ऋतु अग्रवाल

इसे कहानी कहूँ, संस्मरण या मेरे दिल का सबसे नाजुक कोना। मैं यह निश्चित करने में नाकाम हूँ।शायद इतना प्यार कोई किसी से नहीं कर सकता जितना मैंने उससे और उसने मुझसे किया। बहरहाल, यह मेरी जिंदगी का सबसे प्यारा और पीड़ादायक हिस्सा है।         बात तब की है जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। … Read more

गरम चिमटा – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : नमिता बहुत व्यथित थी आज…..कुंठित सी हो रही थी आपने आप में… ये अक्सर मेरे साथ ही क्यों होता है….क्या सोचती हूं और क्या हो जाता है…! हर बार स्वयं को लानत भेजती हूं …हर बार ये संकल्प दुहराती हूं … कि अब किसी से कुछ नही कहूंगी जिसको जो … Read more

आ अब लौट चलें – प्रेम बजाज : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : बस सतीश अब बहुत हुआ , अब और नहीं , पाँच साल हो गऐ हमें अपने बच्चों से , अपने परिवार से बिछुड़े , मैं अपने बच्चो के बिना अब और नहीं रह सकती” ” नीलु  तुम क्या समझती हो कि मैं बच्चों के बिना रह सकता हूँ या माँ … Read more

मेरा पति सिर्फ मेरा है –  मनीषा भरतीया

रमा और उसके पति हर साल गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के साथ कहीं ना कहीं छुट्टियां मनाने जरूर जाते थे इस साल उन्होंने ऊटी जाने का प्लान बनाया था। ऊटी जाने के लिए बच्चे भी बहुत खुश है लेकिन इस बार रमा घूमने अकेले नहीं जा रही थी बल्कि अपने सास-ससुर को भी अपने … Read more

कुबेर सखा – एक मसीहा ” रीमा महेंद्र ठाकुर

आबादी से दूर एक कुटिया नजर आ रही थी!  संध्या बेला,  सुमन अपनी नन्ही बिटिया,श्रमिका की ऊंगली थामे कुटिया की ओर बडे बडे डग भरती, अंधेरा होने से पहले पहुंचने की चेष्टा कर रही थी!  गुरु जी ने सूरज ढलने से पहले उसे बुलाया था!  यदि देर हो गई तो श्राप भी दे सकते है,  … Read more

हौसला एक पिता का – अनुपमा #लघुकथा

बहुत सुदूर प्रकृति की गोद मैं एक छोटा सा गांव था ,बहुत ही दुर्गम पहाड़ी इलाका था , वहां तक पहुंचने के लिए ही आठ दिन लगते थे वो भी पैदल पक्की सड़क से , हर वक्त बारिश और ठंड हो रही होती थी वहां। जब पूरे देश मैं लॉक डाउन हुआ तो वहां की … Read more

मासूम चीख…….. नीरजा नामदेव

मुनमुन बहुत ही शांत प्रकृति की बच्ची थी।वह नौवीं कक्षा में पढ़ती थी। उसके माता-पिता सुकेश और सुजाता नौकरी करते थे। जब मुनमुन का जन्म हुआ था तब तो दोनों बहुत ही खुश थे। जैसे-जैसे मुनमुन बड़ी होती गई उसे माता-पिता की बातें कुछ कुछ समझ आने लगी थी। सुकेश और सुजाता के बीच हमेशा … Read more

एक पिता ऐसे भी –  लतिका श्रीवास्तव #लघुकथा

……शादी की धूम धाम समाप्ति पर थी,मुझको  दो दिन हो गए थे ससुराल में आए हुए सुबह से लेकर शाम रात तक बहु देखने और मिलने वालों का तांता लगा हुआ था…अभी तक तो मैं अपने इस नए घर अपनी ससुराल के सभी कक्षों से ही परिचित नहीं हो पाई थी तो फिर घर के … Read more

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