हौसला एक पिता का – अनुपमा

बहुत सुदूर प्रकृति की गोद मैं एक छोटा सा गांव था ,बहुत ही दुर्गम पहाड़ी इलाका था , वहां तक पहुंचने के लिए ही आठ दिन लगते थे वो भी पैदल पक्की सड़क से , हर वक्त बारिश और ठंड हो रही होती थी वहां।

जब पूरे देश मैं लॉक डाउन हुआ तो वहां की स्थिति और दैनिक दिनचर्या मैं ज्यादा फर्क नही आया था क्यूंकि गांव वाले सीमित संसाधनों मैं रहने के आदि थे और ज्यादातर चीजे वो ऑर्गेनिक ही इस्तेमाल करते थे ,बस कभी कभार की वस्तुओं के लिए ही गांव वासी शहर पर निर्भर थे। 

बंदी के समय सारे स्कूल बंद हो चुके थे , उस गांव मैं भी एक सरकारी अध्यापक था जो वहां के बच्चों को पढ़ाता था , बच्चों की कॉपी किताबे और बाकी का स्कूल का सामान भी शहर से ही आता था , 

उस गांव मैं चिन्नी नाम की एक बच्ची रहती थी अपने पिता के साथ , उसकी मां की मृत्यु हो चुकी थी किसी अनजान बीमारी से क्योंकि गांव मैं एक भी डॉक्टर नही था , इलाज के लिए आठ दिन का सफर तय करना पड़ता था , बीमारी जब तक पता चली बहुत देर हो गई थी और वो चिन्नी को अकेला छोड़ चली गई थी अब चिन्नी और उसके बाबा वही दोनो एक दूसरे  के लिए थे । चिन्नी पढ़ना चाहती थी , और डॉक्टर बनना चाहती थी जिससे उसके गांव मैं कोई भी बिना इलाज के ना रह सके । सारे देश के स्कूल ऑनलाइन हो गए थे , गांव के अध्यापक भी जा चुके थे और ऑनलाइन क्लास के लिए बच्चों के पास लैपटॉप या इंटरनेट कुछ भी नही था , चिन्नी बहुत परेशान रहती थी की अब उसकी पढ़ाई छूट जायेगी वो डॉक्टर कभी भी नही बन पाएगी और उसने खाना पीना भी छोड़ दिया था ।

एक दिन चिन्नी के बाबा और गांव वालों ने मिलकर कुछ रुपया एकत्रित किया और कुछ सामान बांध कर चिन्नी और गांव के ही तीन और बच्चों को साथ ले शहर की ओर निकल गए । आठ दिन पश्चात जब चिन्नी के बाबा शहर पहुंचे तो वो अध्यापक से मिले और एक लैपटॉप लिया इंटरनेट का डिवाइस लिया , अध्यापक जी ने चिन्नी को इसके इस्तेमाल के बारे मैं सिखलाया और फिर चिन्नी बाकी बच्चे और उसके बाबा वापिस शहर और गांव के बॉर्डर पर पहुंच गए । चिन्नी के बाबा ने वहीं अपने साथ लाए हुए सामान मै से तंबू निकाल कर दो तंबू लगाए और खाने पीने का सभी सामान का इंतजाम किया , क्योंकि इंटरनेट का नेटवर्क इसके आगे तक नही पहुंचता था । चिन्नी और बच्चे तंबू मैं रह कर दो साल तक पढ़ते रहे । और उनके बाबा उनकी देखभाल करते रहे , गांव से समय समय पर कोई न कोई आता रहता और खाना पीना पहुंचाते रहते । चिन्नी ने खूब मेहनत की ओर अच्छे नंबरों से पास हुई । अब उसके बाबा उसे दूर शहर भेज रहे है आगे की पढ़ाई के लिए जिससे चिन्नी अपनी पढ़ाई पूरी कर अपना सपना पूरा कर सके और गांव वालों की मदद कर सकें।

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