आस्था की लॉटरी – पूनम सारस्वत : Moral Stories in Hindi

आज हमारी नैनीताल ट्रिप का आखिरी दिन था तो बाजार जाकर कुछ गिफ्ट्स लेनी की सोचकर हम तीनों होटल से पैदल ही निकल पडे़ थे। ऑफ-सीजन की वजह से कोई खास भीड़भाड़ नहीं थी । हम हमेशा नैनीताल की ट्रिप ऑफ-सीजन ही प्लान करते हैं जिससे बहुत मजे से घूमना फिरना होता है। बाजार के … Read more

अनमोल खजाना – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

         शिवदत्त और बलवन्त दो भाई थे, जो माता-पिता की छत्रछाया में  खेती किसानी का काम करते थे। बलवन्त बड़ा था और शिवदत्त छोटा था। बलवन्त के चार बेटे थे। उनकी पढ़ाई में जरा भी रूचि नहीं थी, एक बहिन थी लीला जो शिवदत्त के बेटो से हमेशा ईर्ष्या करती थी, क्योंकि शिवदत्त के दोनों … Read more

Work from home – सरिता कुमार : Moral Stories in Hindi

पहली बार जब सुना था “वर्क फ्रॉम होम ” तो अच्छा लगा था । बहुत राहत महसूस हुई थी कि इस विपदा में नौकरी सुरक्षित है जबकि बहुत से संस्थानों में तो नौकरी से छुट्टी मिल गई थी । लगभग 20% लोग घर में क़ैद होकर सड़क पर आ गए , खाने के लाले पड़ … Read more

नायिका – सरिता कुमार : Moral Stories in Hindi

छः महीने का वक्त मिला था लेकिन पांचवें महीने में ही इशिता से साबित कर दिया कि वो हार नहीं सकती । आत्मविश्वास से परिपूर्ण अदम्य साहस का परिचय दिया है । सही कहते हैं बुजुर्ग लोग की “पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं ।” मुझे याद आया काबुल लाइन का वह … Read more

” दिखावे की ज़िंदगी ” – साधना वैष्णव : Moral Stories in Hindi

      मालती एक निम्न वर्ग की लड़की थी। वह लोगों के कपड़े सिलकर अपने माता-पिता को आर्थिक सहयोग करती थी। शादी के बाद घर का खर्च चलाने और पति की मदद के लिए वह लोगों के घरों में काम करने लगी।           काम करते हुए वह अपने मालिकों का रहन-सहन देखती तो उसकी भी इच्छा होती कि … Read more

साड़ी वाली गंवार – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

” बहू आज मेरी किटी है मेरी किटी की सहेलियां आएगी सब इंतज़ाम अच्छे से होना चाहिेए खाने पीने के सामान में कोई कमी नहीं रहे और हां गंवारो की तरह कपड़े पहनकर ना आना उन लोगों के सामने तुम यह जो छः मीटर का कपड़ा लपेटे रहती हो वह न लपेट लेना। तुम साड़ी … Read more

फालतू काम – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आजा मेरा राजा बेटा तू ही ये काम कर सकता है मालिनी ने तीसरी बार बेहद दुलार से अपने निर्विकार बेटे राजन से कहा तो पिता राजेश्वर झल्ला गए। इतनी #लल्लो चप्पो करके क्यों बोल रही हो मालिनी। तुम्हारा बेटा है इसी घर में रहता है बाजार जाके सामान लाना उसका भी कार्य है …दिन … Read more

केक – पूनम अरोड़ा : Moral Stories in Hindi

रोज की तरह आज फिर स्कूल से मिनी को घर लाते समय वो हाथ छुड़ाकर आनंद बेकरी के बाहर शीशे से चिपट कर खड़ी हो गई और  केक , पेस्ट्री को बाहर से ही ललचाई नज़रों से तकने लगी ।पता था ये सब “मां की ममता की परिधि” के वश में नहीं  इसलिए जिद भी … Read more

सपनों का महल – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

प्रेक्षा जब भी अपनी सजी संवरी, गहनों से लदी बुआ को देखती, कहती माँ मैं भी बुआ जैसे ही घर में शादी करूंगी, देखो न बुआ की जिंदगी में ऐश ही ऐश है। और न जाने कब उसकी जुबां पर देवी सरस्वती बैठी।बुआ इस बार रक्षा बंधन पर आई तो बोली, मेरी चाची सास का … Read more

दिखावे की जिंदगी – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————— मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी गुनगन के ख्वाब हमेशा रइसों वाले थे। यहां तक की वो अपने पिता की नौकरी और मां की विवशता की आलोचना भी करती और उनको नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी। पिता क्लर्क थे तो कमाईं भी सीमित थी और मां घर के कामकाज के साथ लोगों के … Read more

error: Content is Copyright protected !!