भाभी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

हेलो दीपिका कैसी हो , हां ठीक हूं भाभी।तुम लोग तो अपनी भाभी को जैसे भूल ही गई हो ।आज मैंने गीतिका को भी फोन लगाया था । जबसे सासूमां इस दुनिया से गई हैं तुम लोग तो मुझे और भइया को जैसे भूल ही गई हो अरे अभी भाभी भइया की भी खोज खबर … Read more

पछतावे के आँसू.. – शीतल भार्गव : Moral Stories in Hindi

रामू की आँखों से नींद कोसों दूर थी ,मन ही मन बहुत पछता रहा था कि काश उसने अपनी माँ की बात मानी होती यह सोच-सोच कर रोज ही रोता रहता । औरपुरानी बातें याद करने लगता ।एक छोटे से गाँव में रामू नाम का लड़का रहता था ।वह एक गरीब क़िसान का बेटा था … Read more

कलंकित रिश्ता – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

संध्या ने चीखते हुए कहा..”बस कर अंशिका ! कुछ भी बोलती रहती है, जब देखो तब चाचू की शिकायत करती रहती है । एक तो तेरे चाचू नहीं हैं कोई ,ऊपर से ये पवन चाचू तेरे पापा के ममेरे भाई ! हमारे पड़ोसी होने के साथ – साथ तुम्हें पढ़ाने में भी कितनी मदद करते … Read more

माता बनी कुमाता – खुशी प्रजापति : Moral Stories in Hindi

 किसी गाँव में एक महिला अपने दो पुत्रों के साथ रहती थी। उसके पुत्रों के नाम रोहित तथा शिवम थे। रोहित की आयु लगभग 8 वर्ष तथा शिवम की आयु लगभग 6 वर्ष की थी। उसका पति बाहर नौकरी करता था। रोहित के दादा-दादी भी उन्ही के साथ रहते थे। रोहित के दादा किसान थे। … Read more

“काश ! मैं भी स्वार्थी होती ” – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

रिया आज बहुत उदास थी क्योंकि उसने सच्चे प्यार को जो ठुकरा दिया था।और करती भी क्या वो?जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई थी।घर में कमाने वाली वो अकेली ही तो थी।पिता के जाने के बाद छोटे भाई बहन और माँ की जिम्मेदारी उसके ही कंधों पे आन पड़ी थी।कैसे इन जिम्मेदारियों से मुँह मोड़कर … Read more

अम्मा जी – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  अम्मा जी रुआंसे मन से कार में बैठीं। उनके सीट पर बैठते ही उनकी बेटी भी कार में उनके संग बैठ गई। उसने अम्मा जी की लातों पर कंबल ओढ़ाया और उनके सिर का स्कार्फ माथे की ओर आगे करते हुए पुनः एक बार उनका शॉल ठीक किया, लेकिन इस दौरान अम्माजी का सारा ध्यान … Read more

जब बच्चों को अकेले रहने की आदत हो जाती है तो बड़े बुजुर्गों से उन्हें बंधन दिखाई देने लगता है – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

प्रणति और हरिप्रसाद मध्यम वर्गीय परिवार के थे । हरिप्रसाद सरकारी स्कूल में गणित पढ़ाया करते थे । उनकी शादी के दो साल बाद उनके घर पुत्र का जन्म हुआ। उसका नाम आदित्य रखा ताकि सूर्य की तरह वह चमकता रहे । उसी समय उन्होंने सोच लिया था कि अपने बेटे को बहुत पढ़ा लिखाकर … Read more

पछतावे के ऑंसू – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

स्नेहा जैसे ही तैयार होकर ब्रेकफास्ट टेबल पर पहुॅंची।वहाॅं अंशुल को ना देख उसने रामू काका से पूछा “काका,अंशुल ने ब्रेकफास्ट कर लिया।” “नहीं बिटिया, अंशुल बाबा तो अब तक उठे ही नहीं है।” “क्या! अब तक नहीं उठा। 9:00 बज रहे हैं। 10:00 बजे तो उसकी कोचिंग है। हद होती है, लापरवाही की। दिल्ली … Read more

चुप एकदम चुप — संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

चुप एकदम चुप…..! एक शब्द भी नहीं बोलोगी तुम किसी से इस विषय पर समझी……। अब जो करना है मैं करुँगी श्वेता ने कड़े शब्दों मे डांटने के लहजे में समझाते हुए  नौ वर्षीय बेटी महक से कहा……! पर क्यों माँ क्यों….?  मैं चुप क्यों रहूँ , मेरी गलती क्या है…..मैंने क्या किया है महक … Read more

पछतावे के आंसू – मंजू ओमर  : Moral Stories in Hindi

शिवम् के पिता बचपन में ही एक एक्सीडेंट में गुजर गए थे ।शिवम् की मां सुजाता जी ने स्कूल में टीचर की नौकरी करके शिवम् को अकेले ही पाला था।और पढ़ा लिखा कर लायक बनाया था ।आज शिवम् किसी प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता था।शिवम् अट्ठाइस का हो चुका था । सुजाता अब शिवम् की … Read more

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