नन्ही रोशनी – विजया डालमिया

यूँ तो सुबह रोज होती है, पर वह सुबह मेरी जिंदगी की सबसे ज्यादा प्यारी और अनमोल सुबह बन गई। मैं बालकनी में बैठा चाय के साथ अखबार का मजा ले रहा था। तभी किसी की आवाज कानों में पड़ी….. मम्मी लगी तो नहीं आपको? उठो ना। मैंने देखा 8  से 9 साल की एक … Read more

पिता का त्याग” – भावना ठाकर ‘भावु’ 

कमल को बचपन से लेकर उसके पिता के गुज़रने तक की एक-एक बात आज याद रही थी। पिता के त्याग पर फ़ख़्र महसूस हो रहा था और अपनी बेरुख़ी पर गुस्सा आ रहा था। नींद कोसों दूर जा चुकी थी, एक बेचैनी ने उसके वजूद को घेर रखा था। शीतल ने कमल को इतना परेशान … Read more

ॐ इग्नोराय नमः – डॉ पारुल अग्रवाल

आज अल्पना अपने तीन दिन के मोटिवेशनल सेशन के बाद घर लौटी थी। आज वो काफी खुश थी क्योंकि एक व्यस्तम शेड्यूल के बाद अब परिवार के साथ समय बिताने का सोचा था। इतनी थकान के बाद उसे नींद भी अच्छी आई।सुबह जब वो काफी के मग के साथ बालकनी में आई, तो आज के … Read more

काला दिन – मृदुला कुशवाहा

1996 में, जब मैं तीन या चार साल की थी एक दिन मैंने सुना कि पापा घर आ रहें हैं तो, मैं और मेरे भैया दोनों बहुत खुश हुए थे ! ज्यादा खुशी तो मुझे अपने नौ महीने के छोटे भाई और मम्मी से मिलने की थी । मेरे पापा भारतीय सेना में थे और … Read more

 त्याग ही जिनका जीवन है। –  सुधा जैन

संसार में कई प्रकार के रिश्ते होते हैं। खून के रिश्ते तो महत्वपूर्ण होते ही है, लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो खून के तो नहीं होते, लेकिन इतने पवित्र होते हैं कि उनके बारे में लिखना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे ही एक जीवन चरित्र के बारे में मैं लिख रही हूं, जो … Read more

अस्सी के पार – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू

***** कमरे से कदम निकाला ही था कि रेखा ने आवाज लगाई,कहां जा रहीं हैं ,तो रीमा हंसते हुए कहीं नहीं बस दरवाजे तक। नहीं ……… नहीं…….. चलिए अंदर कहीं नहीं जाना बहुत घूम चुकी ,कहते हुए सीढियों से उतर कर खुले गेट पर कुड़ी लगा दी। और झटपट सीढ़ियों से चढ़ अपने कमरे में … Read more

माँ ने पराया कर दिया – सोनिया कुशवाहा

“सुनो, मम्मी का फोन आया है वो घर आ रही हैं। मैं उनको लेने बस स्टैंड जा रहा हूँ। तुम डिनर की तैयारी कर लेना। ” नमन ने हड़बड़ी मे फ़ोन करके बताया। नमन से बात करने के बाद मधु सोच में डूब गई। ऐसे अचानक मांजी आ रही हैं! बिना कुछ बताए!! इतने सालों … Read more

कुछ वक्त मेरे लिए भी – मनप्रीत मखीजा

“सलोनी…उठो सलोनी…. सलोनी क्या हुआ तुम्हे!” विजय पिछले चंद मिनटों से अपनी पत्नी सलोनी को बेहोशी से बाहर लाने की कोशिश कर रहा है। सलोनी पर कोई असर न होता देख विजय ने डॉक्टर को फोन किया। चेकअप के बाद डॉक्टर ने विजय से बात की। “क्या उम्र है आपकी पत्नी की!” “जी…., यही कुछ … Read more

अजनबी – विजया डालमिया

अगर इश्क गुनाह है तो गुनाहगार है खुदा जिसने बनाया दिल किसी और पर आने के लिये। कुछ हादसे आवाज छीन लेते हैं ।इंसान चाह कर भी उन हादसों से बच नहीं सकता क्योंकि वह जिंदगी में ऐसी छाप छोड़ जाते हैं कि बदलाव आए बिना नहीं रहता। देखने को सब कुछ वही रहता है।पर … Read more

मेरा पहला मोबाइल – सुषमा यादव

बहुत साल पहले की बात है,मैं किसी काम से दो दिन के लिए दिल्ली गई थी, मेरी बेटी ने अपनी पहली तनख्वाह से मुझे एक प्यारा सा स्मार्टफोन गिफ्ट किया, मैंने उससे कहा कि ये मेरे पास है तो, मुझे तो ये चलाना भी नहीं आता, अरे मम्मी,ये तो छोटू मोबाइल है,आप इससे दीदी से … Read more

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