एक किरण रोशनी की – मृदुला कुशवाहा

  बच्चालाल मजदूरी करके घर वापस आया था। उसके घर में प्रवेश करते ही रोशनी पानी लेकर आ गई थी। बच्चालाल थका हुआ था। बेटी को इस तरह देखते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसने भावविह्वल होकर कहा – “बिटिया, तू मेरी माँ है या बिटिया? आँखों से अंधी है, फिर भी मेरा … Read more

प्रायश्चित – प्रियंका त्रिपाठी’पांडेय’ : Moral stories in hindi

सुबह सुबह फोन की घंटी बज रही थी.राजन राधिका से कहता है.उठो..जाओ देखो किसका फोन है.नही मुझे सोने दो..जाओ तुम देख लो.अरे इतनी सुबह किसका फोन आ गया..राजन फोन उठाता है..”हैलो” उधर से आवाज आती है बेटा मैं मम्मी बोली रही हूं. आज शहर आई थी कुछ काम से काम तो पूरा हो गया सोचा … Read more

मेरे बच्चे माडर्न हैं – पुष्पा ठाकुर

रोहित – राशि तुम दीदी को देखने नहीं जा रही हो?उनकी तबीयत बहुत खराब है , तुम्हें जाना चाहिए। रोहित ने अपनी पत्नी से कहा। राशि – मन तो है रोहित लेकिन तुम्हें तो पता है न दीदी की आदतें….बात बात पर माडर्न होने का दंभ ……. खराब तबीयत में भी सेल्फी लेकर डालती होंगी,उनका … Read more

गुरु दक्षिणा, – सुषमा यादव

मैं उस समय एक हायर सेकंडरी स्कूल में पदस्थ थी, एक दिन मैं अपनी कक्षा से छात्रों को पढ़ा कर आफिस में जैसे ही आई, सन्नाटा पसरा हुआ था, पूरा स्टाफ मुझे देखने लगा, मैंने सबका चेहरा पढ़ा और बोली,भई, क्या बात है, कोई भूत देख लिया क्या,, मुझे देख कर सब ख़ामोश हो गये … Read more

मुज़रिम –  मुकुन्द लाल 

 वैद्य दिवाकर जी की उम्र जब करमपुर में वैद्यगिरी करते-करते ढलने लगी तो बीस वर्षों के बाद अपने गांव लौट आये। गांव में एक नया जीवन आ गया, छोटे से गांव में दिवाकर जी की बहुत इज्जत थी। इनके गांव में आने के पहले साधारण रोगों के लिए भी शहर दौड़ना पड़ता था।   वैद्यजी उदार … Read more

बेटे के त्याग ने माता-पिता को नवजीवन दिया – नीतिका गुप्ता

मां जी,, क्या मैं दिवाली के लिए घर की साफ सफाई कर दूं ?? शांति बाई ने हिचकते हुए पूछा शांति अब किसी साफ सफाई की जरूरत नहीं है,, अब इस घर में कभी दिवाली नहीं मनाई जाएगी , जिस घर का इकलौता चिराग बुझ गया वहां अब दियों से क्या रोशनी हो पाएगी,, तुम … Read more

नूरी भाभी – संगीता त्रिपाठी : Hindi kahani online

मुझे बचपन की नूरी भाभी याद आ गई। मै सोचती हूँ क्या सच में कोई इतना त्यागशील हो सकता। स्त्री तो त्याग की मूरत होती है पर पुरुष भी कम नहीं होते, बस उनका त्याग दिखता कम है। आइये नूरी भाभी की कहानी की ओर चलते है।              एक अलसुबह ऑंखें खुली तो पड़ोस का घर … Read more

त्याग – डाॅ संजु झा

आखिर उमा थी तो इंसान ही.मानवीय  कमजोरियाँ कभी-कभार उसपर हावी हो ही जातीं.नहीं चाहने पर भी अनगिनत ख्यालें और यादें उसका पीछा नहीं छोड़ती. उसके अंतर्मन की यादें परत-दर-परत अनायास  ही खुलने लगीं और अंतस की भीतरी तहों में दबी अतीत की यादें उसके सामने एक-एककर जीवंत हो उठीं.यादें उसके मन में बारिश के समान … Read more

“मेरा गाँव मेरा देश ‘ – सीमा वर्मा

साथियों नमस्कार 🙏 इन दिनों मैं अमेरिका प्रवास पर हूँ। जहाँ के बड़े- बड़े घर ,शांत-चौड़ी धूल रहित सड़कें , हर वक्त चारो तरफ फैली अपूर्व शांति  बैकयार्ड में बना विशाल स्वीमिंग पुल जो नदी के किनारे जैसा एहसास  दिलाता है। मैं जब कभी उसके किनारे लगे हुए झूले पर बैठ  आँखें मूंद लेती हूँ … Read more

कौशल्या आंटी – ऋतु अग्रवाल

  कौशल्या आंटी! हाँ! यही नाम था उनका। कौशल्या आंटी हमारे पड़ोस में रहती थी। मेरे घर से दो घर छोड़कर। बड़ी, मोटी तगड़ी थी वो। हम गली के बच्चे उनसे बड़े मजे लेते थे। होली के दिन तो हम सबसे ज्यादा गुब्बारे उन्हीं को मारते थे। पता है, क्यों? क्योंकि वह इतनी मोटी थी कि … Read more

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