‘ ख्वाब की हकीकत हो ‘ – विभा गुप्ता | Short Hindi Moral Story

    ” माँ…. फाइनली मुझे कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिल ही गया।ये देखो…” लाइसेंस दिखाते हुए श्रुति बोली और माँ के गले लग गई।लाइसेंस पर बेटी का नाम लिखा देख माँ की आँखों से आँसू छलक पड़े।             ” ये क्या माँ, तुम खुश नहीं हो।” श्रुति ने माँ की आँखों से आँसू पोंछते हुए बोली। “नहीं … Read more

ख्व़ाब – कमलेश राणा

शेखर गुनगुना रहा था,,देखा एक ख्व़ाब तो ये सिलसिले हुए,दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए,,,   वाह!!क्या बात है शेखर,,बड़े खुश नजर आ रहे हो आज तो,,,   हम तो हमेशा ही खुश रहते हैं,,   शेखर और सलोनी में अच्छी दोस्ती थी,,दोनों हाईस्कूल में पढ़ रहे थे,,   हाँ शेखर ,,,अभी जो … Read more

खुली आँखों के ख्वाब – ऋतु अग्रवाल

अक्सर नीता अपने सतरंगी ख्वाबों में डूब जाती और डूबती भी क्यों नहीं? आखिर वह पंद्रह बरस की युवा होती मध्यमवर्गीय लड़की थी। मध्यमवर्ग जहाँ, अच्छा भोजन, आम कपड़े, छोटा सा घर, संतुलित प्यार भरे रिश्ते नाते,कुछ अधूरी इच्छाएँ,परिवार और समाज का दबाव, बच्चों में कुछ बड़ा करने की ललक जगाता रहता है। तो ऐसे … Read more

मलाल – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’ | Very Small Story In Hindi

नीता ने ससुर जी के देहांत के बाद नौकरी करने का फैसला किया.एक अच्छी कंपनी मे उसकी नौकरी लग गई.आफिस जाते वक्त वह अपने बच्चे को बहन के पास छोड़ जाती थी. मां थी कसक तो रहती ही है दिन भर बच्चा मां से दूर रहता है पर बहन के पास रहता है यही सोच … Read more

‘बुरा सपना’ – पूनम वर्मा | Short Inspirational Story In Hindi

घन्न… घन्न… मोबाइल में अलार्म बज रहा था । सुबह के पाँच बज रहे थे । मैंने उठकर अलार्म बन्द किया और बिस्तर पर जाकर बैठ गई । मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था । नाक बंद, गले में दर्द और हल्का बुखार भी लग रहा था । मैं किचन में  गई और … Read more

भविष्य में  – गीतांजलि गुप्ता

मंदिर से लौटी कामना जी अपने कमरे में जा रही थीं कि रेखा बोली,” मम्मी आज से आप उर्जित वाले कमरे में रहेंगीं। आप का समान उर्जित ने उसी कमरे में लगा दिया है।” “ऐसा क्या हुआ रेखा कि मेरे पीछे से मुझे बताए बिना ही कमरा बदलने का फैसला ले लिया।” कामना जी ने … Read more

सच हुए सपने मेरे ” – सीमा वर्मा

सामने मंच पर खड़ी मिस ‘ दीप्ति भटनागर’ अपने सीनियर विंग कमांडर से स्वर्ण पदक लेती हुई सुशोभित हो रही है। और नीचे हॉल में लगी कुर्सियों की प्रथम पंक्ति में माँ ‘सुलभा’ और पिता ‘अशोक’ की आंखों से झरझर आंसुओं की धार बह  रही है। पूरा हॉल तालियों की गड़गडाहट से गूंज रहा है। … Read more

” हार बनी जीत ” – गोमती सिंह

—‐-विश्व विद्यालय ऑफ़ इन्दौर से पिकनिक के लिए बस जा रही थी देहरादून के लिए ।         सभी छात्र छात्राएँ शोरगुल करते हंसते गाते हुए जा रहे थे ।        सबसे पीछे की सीट पर बैठे आरती और सुनिल भीड़ में भी रहकर युगल एकांत में थे ।       सड़क पर बस जा रही थी, दोनों ओर आम … Read more

*वो लम्हें* – सरला मेहता

धड़धड़ाती ट्रेन की आवाज़ नव्या की धड़कने बढ़ा देती है। वह इस नई जगह आकर अपना अतीत भूल जाना चाहती थी। आफ़िसवालों  को पहले ही ताक़ीद दी थी कि शहर के शोरगुल से दूर उसके लिए फ्लेट ढूंढे। यूँ तो यह कालोनी शांत इलाके में है। किंतु रात के आठ बजते ही ट्रेन के गुज़रने … Read more

 एक अतृप्त माँ – पूजा मनोज अग्रवाल

#ख्वाब  बात सन 2003 की है , उस समय मेरी प्रेगनेंसी का प्रथम तिहाई चरण था ,,,,,उन दिनो मेरा स्वास्थ्य कुछ ठीक न था ,,, मुझे हर समय तीव्र सर दर्द की शिकायत रह्ती ,,,। गत कई दिनो से मुझे एक अजीब सा स्वप्न भी आ रहा था ,,,,, कुछ ही दिन शान्ति से बीतते … Read more

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