अब समझौता नहीं – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

रात के खाने के बाद सब लोग  अपने-अपने कमरों में जा चुके थे। घर की दीवारों पर पसरी खामोशी ने जैसे अंजलि के भीतर के तूफान को और उकसा दिया था। वह छत पर चली आई। सिर के ऊपर आकाश, बिखरी हुई चाँदनी,v और एक ऐसा अकेलापन… जो उसकी आत्मा की परछाई जैसा था। अंजलि … Read more

संशय – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

         “सुनो जी! मुझे लगता है कि पारुल के मायके से जो तीज-त्योहार पर सामान आता है न, वह स्वयं अपने माई को रुपए भेज देती है और उसका भाई आकर सारे नेग पूरे कर जाता है।”कविता ने अपने मन का संशय अपने पति प्रदीप के समक्ष ज़ाहिर करते हुए कहा।          “छोड़ो भी यार! जब बहू … Read more

रिश्तों के सही मायने – डॉ.बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

   जब किसी की अच्छाई पर बात करनी हो तो शायद ही कोई बोलता हो, सभी खामोश रहते हैं। लेकिन किसी की बुराई करनी हो तो गूँगें भी बोल पड़ते हैं। इसके बावजूद भी बुराई कितनी भी बड़ी हो वह हमेशा अच्छाई के सामने छोटी ही होती है। और जहां तक विश्वास की बात है…. विश्वास … Read more

ये घर तेरा भी है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

“कल दही भल्ले, गाजर का हलवा , राजमाह , मिक्स वैज राईस बनेगें और हां धनिया पुदीने की इमली वाली चटनी के साथ साथ बच्चों के लिए वाईट सोस का पास्ता भी और कुल्फी बाजार से मंगवा लेगें”। “ और हां मीठे पीले चावल भी” बंसत पंचमी है, शिल्पा को जैसे एकदम से याद हो … Read more

अपने मन की सुनो – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

ड्राॅइंग रूम के सोफ़े पर बैठकर श्रुति टेलीविज़न पर कार्टून शो देख रही थी।फिर वो रिमोट से चैनल बदलकर न्यूज़ देखने लगी।एक रिपोर्टर बोल रही थी,” आतंकवादियों ने धर्म पूछकर हिन्दू पर्यटकों पर गोलियाँ बरसा दीं..।उसने तुरन्त टीवी बंद कर दिया और पास बैठे अपने पिता से बोली,” पापा..कल स्कूल में मेरी एक सहेली कह … Read more

बीस साल बाद – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

आज दस दिन बाद जब वे कमरे पर आये तो चौंक गए।कारण मंत्री रघुवीर ने बीस हजार रूपए भेजे थे। साथ में पत्र भी था उसमें फोन नंबर भी दिया था। फोन करते ही प्रणाम किया और बोला -सर आपने पहचाना। अरे बेटा रघु ,तुमने पैसे क्यों भेजे? सर यह तो आपके उपकार के बदले … Read more

समझौता अब नहीं। – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

“बहुत हो गया। हर बार मैं ही समझौता करूं? नहीं अब ये नहीं होगा।” मंगला ने अपनी सास जानकी देवी से कहा। ” क्या फर्क पड़ता थोडा तुम समझौता कर लेती बडी? छोटी नई नवेली है। थोडे दिनों में हमारे रंग में रंग जायेगी। थोडा समय तो लगेगा ही।” ” माँ जी, जब से इस … Read more

वक्त ने बदल दिया – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

सुधीर का आखिरी दिन नौकरी का बहुत सालों से कंपनी में नौकरी कर रहा था।  लेकिन अचानक कंपनी बंद होने के कारण सुधीर का आखिरी दिन जाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था.. लेकिन क्या करें कंपनी इतनी लॉस में चली गई की सुधीर डिप्रेशन में आ गया और कुछ भी करने के … Read more

चेतना….. – प्रतिक्षा हरिपूरकर : Moral Stories in Hindi

चेतना… संवेदना… ये भावनाएँ हर किसी को जन्म के साथ प्रकृति द्वारा कम या ज़्यादा मात्रा में प्रदान की जाती हैं… कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की चेतना, संवेदना को जितना समझता है, वह उस व्यक्ति के उतना ही करीब जाता है… समान दुःखी या समान विचारों वाले लोग जल्दी जुड़ जाते हैं क्योंकि उनकी … Read more

दरारों – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

बारिश की बूँदें खिड़की के कांच पर थिरक रही थीं, जैसे किसी पुराने गीत की धुन हो। सुमन खिड़की के पास बैठी थी, चाय का प्याला सामने रखा था, लेकिन उसकी नज़रें कहीं  और थीं। उसी घर में जहाँ कभी बच्चों की किलकारियाँ गूँजती थीं, अब चुप्पियों की चादर तनी हुई थी। विनय जी, सेवानिवृत्त … Read more

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