Moral stories in hindi : अनुराग जी ने अपना सारा सामान बांध लिया था सामान के नाम पर ऐसी कोई भारी पूंजी उनके पास नही थी दो सूटकेस ही तो थे…जाना ही पड़ेगा यहां से …उनके सिद्धांत ही तो उनकी जिंदगी की पूंजी थे जिनके साथ समझौता वह नही कर सकते थे…आज बात ही ऐसी हो गई….!
लेकिन सर ये तो सरासर अन्याय है मेधावी विद्यार्थियो के साथ…..अनुराग सर ने प्रवेश लिस्ट पर हस्ताक्षर करने से इंकार करते हुए चलती हुई खुफिया मीटिंग में जैसे ही यह कहा मानो भूचाल सा आ गया पूरे मीटिंग हॉल में..!!नवीन सत्र में आयोजित इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक प्रवेश का मुद्दा भी था।
कॉलेज विकास प्रबंधन कमेटी के मुख्य चेयरमैन विश्वास जी ने अनुराग की तरफ आश्चर्य चकित भाव से देखते हुए कहा …मिस्टर अनुराग आप कहना क्या चाहते हैं कृपया स्पष्ट रूप से बताने का कष्ट करें..!क्या आपको इस कॉलेज की प्रतिष्ठा और इसके प्रतिष्ठित नियमों का अंदाजा है…!!
माफ़ कीजियेगा सर इस प्रतिष्ठित कॉलेज का एक अदना सा सदस्य होने के नाते ही यह बात कहने की हिम्मत कर पा रहा हूं कि इस एडमिशन लिस्ट में आधे से अधिक विद्यार्थियों के बहुत कम पर्सेंटेज हैं जबकि हमारे पास इनसे बहुत अधिक पर्सेंटेज वाले विद्यार्थियों के एप्लीकेशंस आए हैं उनके नाम इसमें क्यों नहीं हैं..मैं आप सभी से यही निवेदन करना …..
अजीब इंसान हैं आप भी अनुराग जी इस कॉलेज में रहना है कि नाही…अभी नए हैं ना आप कमेटी के नियमो की जानकारी नहीं है ना आपको इसीलिए इस तरह की अव्यवहारिक बातें कर रहे हैं अरे भाई ये हमारा प्रतिष्ठित कॉलेज जिन लोगों के कारण आज टॉप कॉलेज कहला रहा है और हम सबकी रोजी रोटी ये शान शौकत जिन लोगों के कारण फर्स्ट क्लास चल रही है उन्हीं के सिफारिशी विद्यार्थियों के नाम हैं
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ये सब …अब इन सबका एडमिशन पहले करना तो हम सबका परम धरम बनता है ना…बनता है की नाही…!! सोने की कमानी वाले चश्मे को अच्छी तरह से अपनी मिचमिचाती आंखों पर दुरुस्त करते हुए अनुभवी विनोद प्रकाश जी ने बीच में ही अनुराग की बात काटते हुए तेजी से कहा तो अनुराग से नहीं रहा गया
सर मैं हाथ जोड़ कर आप सभी से निवेदन करना चाहता हूं कि किसी भी शिक्षण संस्था की प्रतिष्ठा की बुनियाद वहां के विद्यार्थी होते हैं…प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्था का उद्देश्य हर परिस्थिति में प्रतिभा को आगे बढ़ाने और पल्लवित होने के हर अवसर उपलब्ध कराना होना चाहिए अगर हमारे कॉलेज के विद्यार्थी होनहार होंगे
तो कॉलेज की प्रतिष्ठा को आंच भी नहीं आ सकती और सर ….एडमिशन तो सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है जिसकी प्रक्रिया गुप्त नही वरन पारदर्शिता के आधार पर बेहद स्पष्ट होनी चाहिए…!किंचित रुक कर अनुराग जी ने विनोद जी की तरफ देखते हुए विनम्रता पूर्वक कहना जारी रखा….
……आदरणीय विनोद सर आप इस कॉलेज के सबसे पुराने और अनुभवी प्राध्यापक हैं शिक्षक हैं इस नाते भी आपको ऐसे प्रतिभावान विद्यार्थियों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए जिन्हे मात्र कोई सिफारिश ना होने के कारण इस कॉलेज में एडमिशन से वंचित कर दिया जाए ..
.प्लीज पहले मेधावी विद्यार्थियो को अवसर दीजिए फिर अगर सीट बचती है तभी आप इन सभी कम पर्सेंटेज पर सिफारिश वाले आवेदनों पर ध्यान दें…सुयोग्य विद्यार्थी से ही कॉलेज की प्रतिष्ठा है!!इतना कह अनुराग अपनी सीट पर बैठ गए थे लेकिन
पूरे हॉल में विरोध के स्वर उठने लगे कई सदस्य खड़े हो होकर अनुराग को मीटिंग से बाहर करने की बात करने लगे।
क्षमा चाहूंगा सर अगर मैने आप लोगों और इस कॉलेज की प्रतिष्ठा के विपरीत बात कही हो ….अगर आप सभी मेरी बात से सहमत नही है तो मुझे इस मीटिंग में और शायद इस कॉलेज में भी बने रहने का कोई अधिकार नहीं है मैं एक शिक्षक हूं और मेरे लिए मेरा विद्यार्थी और उसकी मेधा ही सबसे प्रमुख हैं
ऐसा अन्याय और पक्षपात होते देखना मेरे शिक्षकीय दायित्वों पर धब्बा लगने जैसा है मैं अपने शिक्षा और शिक्षक के धर्म को कलंकित नहीं कर सकता ….आप सभी के बहुमूल्य समय को नष्ट करने के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं….वह मीटिंग से उठकर घर आ गए थे।
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विश्वास जी हतप्रभ थे इस अप्रत्याशित एकल विरोध से आज तक इस गूढ़ तथ्य ..”विद्यार्थी से कॉलेज है कॉलेज से विद्यार्थी नहीं …” की तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया था…!!अनुराग सर जैसे समर्पित शिक्षकों से ही इस कॉलेज की प्रतिष्ठा है ..” विश्वास जी इस तथ्य को भी भलीभांति समझ चुके थे.।…..तत्काल मीटिंग बर्खास्त कर दी गई।
दूसरे दिन ही कॉलेज के प्रमुख नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक रूप से एक पृथक नई एडमिशन कमेटी का गठन हुआ जिसके हेड अनुराग जी थे ….।
अनुराग जी के सूटकेस फिर से खुल गए थे…! सामान के भी और सिद्धांतो के भी..।
लतिका श्रीवास्तव
#धब्बा लगना कलंकित करना#