शक की बीज (भाग 2)- कामिनी मिश्रा कनक  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : अदिति – जी मैम यही कारण भी था , परंतु मुझे क्या पता कि मेरे पिता के मन में शक की बीज पनप चुकी थी । विक्रम को मेरे कमरे से निकलते हुए देखकर , मेरे पिता ने मन घरण कहानी अपने अंदर गहन लिए थे ।

मैम- ओहो….. तुम्हारी मम्मी ने कुछ नहीं कहा……??

अदिति -अगर वह अपने मन की व्यथा उस वक्त किसी से भी जाहिर करते , तो हम समझ पाते कि उनके मन में क्या चल रही है । उस वक्त उन्होंने मां से भी कुछ नहीं कहा ।

अदिति रोते हुए मैडम के गले लग जाती है….. 

और वह बताने लगती है कि कुछ महीनों बाद मेरी तबीयत बिगड़ गई मुझे उल्टियां होने लगी मेरे पिता मुझे हॉस्पिटल ले जाने की बजाय घर में छुपा कर बैठा दिए , और यह कहने लगे कि मैं प्रेग्नेंट हूं ।

मैम -क्या……? ऐसा कैसे हो सकता है ।

अदिति – मेरे पिता तो जिद पर आ गए कि आज ही वह विक्रम से शादी करवा कर मुझे विक्रम के घर विदा कर देंगे ।

 मैम -ओ माई गॉड….

आदित्य -मैं बहुत समझाने की कोशिश की हाथ पैर भी जोड़ें परंतु वह मेरी एक बात नहीं सुने ।

मैम -तुम अपनी मां से बात करती ।

आदित्य – की  थी अपनी मां से बात…….

 मैंने उनसे कहा भी कि माँ ऐसा कैसे हो सकता है जब मुझे किसी आदमी ने छुआ ही नहीं है । तो मैं प्रेग्नेंट कैसे हो सकती हूं । 

मैम -तो क्या तुम्हारी माँ  ने भी तुम्हारी बातों पर विश्वास नहीं किया ।

अदिति- माँ ने तो किया विश्वास मुझ पर , और माँ तो पापा से बात भी कि , उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की ……….कि 9 महीने रुक जाते हैं इंतजार करते हैं , या डॉक्टर को दिखा देते हैं परंतु पापा के मन में शक कि बीज तब तक पेड़ बन चुका था ।

मैम- तुम्हारे माता-पिता ऐसा कैसे…  कर सकते हैं । 

आई एम सॉकिंग……

अदिति – किस्मत ने मेरे साथ कैसा खेल खेला मैम……

मैम –  जब तुमने घर का माहौल देखा , कि तुम्हारे पिता तुम्हारी शादी जबरदस्ती विक्रम से करवा रहे हैं , तो तुम घर से भाग क्यों नहीं गई ……

 अदिति- मैं कोशिश की थी , परंतु उन्होंने मुझे घर में बंद करके रखा था । और एक दिन मौका देख कर उन्होंने मेरी शादी जबरदस्ती विक्रम से करवा दिए और विक्रम के साथ उसके घर भेज दिए ।

मैम -तो क्या विक्रम ने कुछ नहीं कहा……. वह तो बोल सकता था कि ऐसा कुछ नहीं है ।

अदिति- पापा सुनते तब ना उन्हें तो ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों झूठ बोल रहे हैं ।

मैम-फिर 9 महीने बाद क्या हुआ….?

अदिति- कुछ नहीं क्या होगा मैम……

जब कुछ हुआ ही नहीं था तो 9 महीने क्या साल भर बाद भी नहीं कुछ हुआ ….

मैम -तो क्या 9 महीने बाद तुम्हारे पापा आए थे तुमसे मिलने ।

आदित्य – हा आए …..नजरे झुकाए हुए मुझे कुछ रुपयों का बैग थमा करके बोलने लगे ………..कि बेटा मुझे माफ कर दो । जो भी हुआ वह गलतफहमी में हुआ ।

अदिति – पापा ऐसी क्या गलतफहमी हो गई थी आपको ।

पापा – वो अदिति जब मैं पार्टी से लौटा था , तब विक्रम तुम्हारे कमरे से अपने कपड़े को सही करते हुए निकल रहा था ।

अदिति -क्या……. ऐसा कैसे हो सकता है, वो तो मुझसे चाय का पूछने आया था , और मैं उसे भी वहा से गुस्से में भेज दी।

पापा – मुझे तुम पर शक नहीं करना चाहिए । 

अदिति पर पापा ऐसा कैसे हो सकता हैं। क्या विक्रम ने हमें धोखा दिया है ।

तभी विक्रम आ जाता है वहां पर …….

अदिति – विक्रम तुम मुझे बताओ उस रात को मेरे कमरे से कपड़े  ठीक करते हुए क्यों निकल रहे थे।

पापा – विक्रम तुम ऐसा कैसे कर सकते हों।

विक्रम – अंकल मेरी बात सुनिए , मैं उस वक्त भी आपको समझाने की कोशिश कि थी । …….पर आप सुनने को तैयार नहीं थे  । 

वह मेरी कमीज दरवाजे में फंस गई थी जिसकी सिलाई निकल गई मैं बस वही ठीक कर रहा था ।

अदिति -पापा अब आप यहां से जाइए सब आपकी वजह से हुआ है। आपको अपनी बेटी पर विश्वास नहीं था ।

पापा -पता नहीं बेटा यह सब कैसे हो गया ।

परंतु अब तुम्हारी शादी विक्रम से हो गई है , तो मैं तुम्हें अपने साथ घर भी लेकर नहीं जा सकता हूं , सोसाइटी में मैं क्या बोलूंगा , इसलिए यह कुछ पैसे है इसे तुम रख लो तो मेरे सर पर जो बोझ है वह उतर जाएगा ।

मैम -वो पैसे कहां है अदिति……? 

अदिति- मैं तो उन्हें लौटा चुकी थी…. परंतु विक्रम ने वह पैसे रख लिए ।

मैम – विक्रम कहां है…..???

आदित्य- विक्रम यही किसी छोटे-मोटे रेस्टोरेंट में खाना बनाने का काम करता है ।

मैम – तो तुम्हारे पास पापा का दिया हुआ पैसा है और तुम वैल एजुकेटेड लड़की हो ।

विक्रम के साथ तुम अपना रेस्टोरेंट क्यों नहीं खोल लेती हो….

अदिति – मुझे पापा का पैसा नहीं चाहिए ।

मैम -बेटा उस पैसे को रख कर भी क्या फायदा ।

अदिति -मुझे उस आदमी का पैसा नहीं चाहिए जिसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी…..

मैम -अब तुम और विक्रम अपना भविष्य सुधार सकते हो । उस पैसे को यूज करो और जहां तुम्हें मेरी जरूरत पड़े वहां मैं  हेल्प करूंगी ।

अदिति – मैम मैं अपने पापा का पैसा यूज नहीं करूंगा ।

मैम -बेटा इन बच्चों को देखो , यह तुम्हारे बच्चे हैं क्या तुम अपने पापा की तरह इन बच्चों की जिंदगी बर्बाद करोगी ।

अदिति – नहीं मैम नहीं …….

मैम -उन पैसों से रेस्टोरेंट खोलो और विक्रम है तुम्हारे साथ तुम्हारी मदद करने के लिए ।

अदिति -जी मैम ……… अब ऐसा ही होगा , मैं अपने पिता को अपना नाम रोशन करके दिखाऊंगी ।

कामिनी मिश्रा कनक  

 

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