संस्कारहीन – पूजा शर्मा  : hindi stories with moral

hindi stories with moral : प्रिया ओ प्रिया !अपना नाम सुनकर प्रिया नेजैसे ही पीछे मुड़कर देखा साधना खड़ी थी और उसी की ओर दौड़ी चली आ रही थी ,तू यहां कैसे?ऐसे गायब हो गई जैसे ईद का चांद ,फोन नंबर भी बदल दिया पिछले 2 साल से कोई खैरखबर नहीं है तेरी ?

एक साथ इतने सारे सवाल सुनकर प्रिया मुस्कुरा कर उससे गले मिली और कहने लगी यही पास में ही मेरा घर है चल वहीं बैठकर बातें करते हैं कहती हुई दोनों आगे कदम बढ़ाने लगी ,लेकिन साधना तू तो लखनऊ रहती थी यहां चंडीगढ़ में कैसे? इस पर साधना बताती है

अभी एक महीना पहले ही मेरे पति का किसी काम के सिलसिले में यहां आना हुआ तो मैं भी साथ में आ गई यहां पर उनकी बहन का घर है हम दोनों वहीं पर रुके हुए हैं प्रिया और साधना ने ग्रेजुएशन देहरादून से साथ में ही किया था साधना लखनऊ से थी और प्रिया का घर देहरादून में ही था ग्रेजुएशन के बाद ही साधना की शादी हो गई थी तब से उसका उनका कोई कांटेक्ट नहीं हुआ था।

प्रिया जैसे ही घर में घुसती है सुमित्रा जी उससे पूछता है बेटा आज थोड़ी देर हो गई हां मां आज स्कूल में मीटिंग थी ना इसीलिए देर हो गई आप इससे मिलो यह मेरी दोस्त साधना सुमित्रा जी साधना से बहुत प्यार से मिलती है और प्रिया से कहती हैं ठीक है बेटा तुम बैठकर बातें करो मैं फटाफट चाय लेकर आती हूं कहती हुई रसोई में चली जाती हैं साधना रहती है यार तेरे साथ तो बहुत अच्छी है कितना प्यार करती है

सबसे बिल्कुल मन जैसा वह मेरी मां से भी बढ़कर है और ना माँ है और ना ही सास, प्रिया कहती है। क्या मतलब है तेरा साधना आश्चर्य से उससे पूछती है? तब प्रिया बताती है यह मेरे पहले पति की मां हैं। क्या कह रही है प्रिया तू? मैं सही कह रही हूं साधना पिछले 2 साल में मैंने बहुत कुछ झेला है ग्रेजुएशन के तुरंत बाद ही मेरी शादी अतुल से हो गई थी शुरू के दो-तीन महीने तो सब ठीक सा ही था लेकिन अतुल एक दोहरे व्यक्तित्व का इंसान था। क्या यूं कहूं कि उसने अपने दो रूप रखे हुए थे एक आदर्श रूप वो था

जो अपनी मां के सामने रखता था क्योंकि उसे पता था कि उसकी माँ उसूलों की बहुत पक्की है यदि उनको उसकी असलियत पता चल जाती तो उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर सकती थी उसने अपनी सीधी-सादी मां की आंखों में हमेशा से ही धूल झोंकी थी। लेकिन एक इंसान कब तक दोहरा व्यक्तित्व जी सकता है कभी ना कभी तो उसका सच सबके सामने आ ही जाता है

अब उसके नशे की लत भी बढ़ चुकी थी। वह आए दिन शराब पीकर घर आने लगा उसके कितनी लड़कियों से नाजायज संबंध भी थे। उसका ये अनदेखा रूप देखकर माँ को भी गहरा सदमा लग चुका था।माँ अकसर यही सोचती रहती थी कि मेरी परवरिश में क्या कमी रह गई थी मैंने तो हमेशा अपने बेटे को अच्छे संस्कार दिए थे यह किस करनी का फल मिला है उन्हें,और मेरा जीवन तो नरक ही बन चुका था

फिर वह मेरे साथ भी अमानवीय व्यवहार करने लगा था। एक दिन मैन बाजार से सामान लेने गई हुई थी तब नशे की हालत में ही उसने मुझे इतना मारा कि मैं लहू लुहान हो गई और जब माँ ने मेरी हालत देखी तब उन्होंने अपने घर पुलिस को बुलाकर अपने ही बेटे को जेल में भिजवा दिया। नहाने मुझे मेरी माता-पिता के साथ भी जाने से रोक लिया क्योंकि अपने बेटे की करने का फल वह मुझे भुगतने नहीं देना चाहती थी।

मेरे माता-पिता की रजामंदि से उन्होंने अपने बेटे की बंधन से मुझे मुक्ति भी दिलवाई और सौरभ के साथ मेरी शादी करा दी थी, सौरभ मेरे साथ स्कूल में ही पढा ता था। सौरभ बचपन से ही आना तथा और उसे उसके मामा ने पाला था। लेकिन कुछ समय पहले उनकी भी मृत्यु हो गई थी।

मैंने सौरभ से शादी करने की यही शर्त रखी थी कि मैं मां को अपने साथ रखूंगी और वह खुशी खुशी हमारे साथ रहेंगे तब से मां हमारे साथ ही रहती हैं। लेकिन अपने संस्कारहीन बेटे को अब तक भुला नहीं पाई हैं। क्योंकि कुछ दिन पहले ही जहरीली शराब पीने के कारण उसकी मौत हो गई थी।

वह अभी उसकी याद में आंसू बहती हुई अक्सर यही कहती रहती हैं आखिर मेरे दिए संस्कारों में क्या कमी रह गई थी? जो मेरा बेटा नशे के पतन में गिरता चला गया। साधना प्रिया की आपबीती कहानी सुनकर रोने लगती है। तभी सुमित्रा जी चाय लेकर आ जाती है साधना उन्हें देखकर ही सोच रही थी

कि आखिर इस मां की क्या गलती है वह अपने बच्चे को भूल भी कैसे सकती हैं? सच ही कहा है पूत कपूत हो सकता है लेकिन माता कभी कुमाता नहीं हो सकती। साधना को अपना परिवार मिल ही गया लेकिन इस मां ने अपना बच्चा हमेशा के लिए खो दिया था कितनी महान स्त्री हैं यह इन्होंने अपनी बहू का भविष्य संवार दिया।

पूजा शर्मा

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